अभी प्रदेश में भले ही योगी सरकार है। लेकिन इसके बावजूद कुछ सपा नेताओं का तकब्बुर (अहंकार) सातवें आसमान पर है।
सपा नेता पेशाब में चिराग़ जलाएंगे
अगर आपको यकीन न आ रहा हो तो ज़रा समाजवादी पार्टी की यूथब्रिगेड के इस युवा नेता का बयान सुनिए।
सपा नेता नए अविष्कार की तैयारी कर रहे हैं
अब हो सकता है कि कुछ “भाईजान” सपा के युवा नेता के इस बयान के बचाव में यह कहना आरम्भ कर दें कि – “मोदी सरकार में सरसों के तेल के दाम आसमान छू रहे हैं। ऐसे में समाजवादी पार्टी जनता को राहत पहुंचाने के लिए ‘पेशाब’ में चिराग़ जलाने का नया अविष्कार करने की तैयारी कर रही है।”
गोमूत्र के नाम पर नाक-भौं सिकोड़ते हैं
वैसे यह बहुत ही अजीबोगरीब सा है कि जो सपा नेता “गोमूत्र” का नाम सुनते ही नाक-भौं सिकोड़ने लगते हैं। और तो और जो लोग पेशाब की एक-एक बूंद को साफ़ करने के लिए “इस्तंजा” करते हों। वह लोग “पेशाब” में चिराग़ जलवाने का वादा कर रहे हैं।
सपा सरकार में जनता बाज़ार नहीं जाएगी
बहरहाल, सपा नेता के इस बयान से कम से कम एक बात तो बिल्कुल तय है कि यदि 2022 उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में सपा की सरकार बनती है, तो जनता को चिराग़ के लिए बाज़ार नहीं जाना पड़ेगा। बाकी आप ख़ुद समझदार हैं।
सपा नेता ने की बुजुर्ग इमाम की पिटाई
अब ज़रा दूसरा नमूना देखिये। न्यूज़ डेली 24 नामक एक ब्लॉग से मिली जानकारी के अनुसार नजीबाबाद में एक बुजुर्ग पेश इमाम को एक स्थानीय सपा नेता और उनके भाइयों द्वारा सड़क पर गिराकर लात-घूंसों से पीटने की शर्मनाक करतूत सामने आई है।
हाफ़िज़ साहब को लात-घूंसों से पीटा
ब्लॉग के अनुसार नजीबाबाद में मस्जिद अंसारीयान मोहल्ला हवेली तला के पेश इमाम व मदरसा इमदादुल उलूम मोहल्ला मुगलशाह नजीबाबाद के उस्ताद जनाब हाफिज मोहम्मद यामीन की नेत्र शक्ति व शरीर कमजोर है।
बताया गया है कि इसी मोहल्ले निवासी एक सपा नेता के बच्चे और भतीजे हाफिज साहब को रोजाना छेड़ते हैं। कभी टाइम पूछते हैं, कभी उनका कुर्ता पीछे से पकड़ कर खींचते हैं, तो कभी उन्हें अभद्र भाषा में पुकारते हैं।
बीते सोमवार को भी उक्त सपा नेता के बच्चे और भतीजे; हाफिज साहब से अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए उनको परेशान कर रहे थे। हाफिज साहब ने उन बच्चों में से एक को पकड़ लिया और उसकी कमर पर दो-चार हाथ जड़ दिये।
अंदर बैठे हुए सपा नेता और उनके भाई कैमरे में यह सब देख रहे थे, तो वह सब अंदर से उठकर बाहर आ गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार उन्होंने हाफिज साहब को थप्पड़ मारने के साथ ही धक्का देकर गिराया और लात-घूंसों से पिटाई शुरू कर दी। कुछ लोगों ने आकर छुड़ाने की कोशिश की, फिर भी पीछे से कुछ लोग हाफिज साहब को मारते ही रहे। किसी प्रकार उन्हें बचा कर चिकित्सक से प्राथमिक उपचार कराया गया।
पैसे और सियासत के घमंड में शायद अंधे हो गए
बताया जाता है कि इस घटना को लेकर लोग सपा नेता की इस शर्मनाक करतूत को बेशर्मी और बैगैरती की इंतिहा बताते हुए कह रहे हैं कि सपा नेता और उनके भाई पैसे और सियासत के घमंड में शायद अंधे हो गए हैं। उनको यह नहीं पता कि खुदा की लाठी में आवाज नहीं होती।
तकब्बुर तो फ़िरऔन का भी नहीं रहा
अब इन दोनों घटनाओं से यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि सपा नेताओं का घमंड सातवें आसमान पर है। शायद सपा नेता यह भूल गए कि तकब्बुर तो फ़िरऔन का भी नहीं रहा।
तकब्बुर की वजह से बहुत से लोग गुमराह हो गए
इल्मी लियाकत या इबादत या दयानतदारी में या दौलत में इज्जत में या कुब्बत व कौमियत या हकूमत बगैरा मैं अकड़ना और इतराना और अपने आप को बड़ा समझना यह तकब्बुर है। इसी तकब्बुर की वजह से बहुत से लोग गुमराह हो गए हैं। सबसे बड़ा गुमराह तो शैतान भी इस वजह से काफ़िर और दोज़खी हुआ।
सुल्ताने दो जहां हजरत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाते हैं कि जिसके दिल में राई के दाने के बराबर भी तकब्बर होगा वह जन्नत में नहीं जाएगा। और जो शख्स तकबीर करता है अल्लाह ताला उसकी गर्दन तोड़ देता है। यानी उसको जलील और बेइज्जत करता है।
ऐसे लोगों को यह सोचना चाहिए,कि जितनी खुबियां हमारे अंदर हैं।अल्लाह ताला की दी हुई है। अगर वह चाहे तो जरा सी देर में सब छीन ले। फिर अपने आप को और उससे बड़ा समझना फजूल और फिरऔनियत और शैतानी काम है। जिसका नतीजा जिल्लत और बेइज्जत होना है और दोजख में जाना है।
(किताब नाम बागे जन्नत पेज नंबर 66)
किसी शायर ने क्या ख़ूब कहा है-
ख़ुद पसन्दी का रोग जिसे लग जाता है।
उसे फिर अपने सिवा कोई और कहाँ भाता है।।
मग़रूर हो जाते हैं लोग इस रोग में।
इंसान ख़ुद को ख़ुदा से सिर्फ़ एक दर्जा कम पाता है।।