आज के उन युवाओं विशेषकर जो राजनीति को एक करियर के रूप में देखते हैं, के लिये स्वामी ओमवेश एक प्रेरणास्रोत के रूप में देखे जा सकते हैं।
स्वामी ओमवेश ने 1993 में लड़ा था पहला चुनाव
बड़ौत के एक छोटे से गांव में जन्में स्वामी ओमवेश ने जाट कॉलेज, बड़ौत से अपनी राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी। उस समय उनकी आयु मात्र 17 वर्ष की ही थी। छात्र राजनीति से आरम्भ करने वाले स्वामी ओमवेश ने 1993 में पहली बार निर्दलीय चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें मात्र 24,000 वोट प्राप्त हुए थे।
स्वामी जी पहली बार 1996 में जीते थे
चांदपुर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले स्वामी ओमवेश ने 1996 में फिर से निर्दलीय चुनाव लड़ा और उस समय उनका चुनाव चिन्ह चश्मा था। और इस बार स्वामी जी को कुल 54, 124 मत प्राप्त हुए थे। और पहली बार वह विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे थे।
रालोद के टिकट पर लड़ा था चुनाव
इसके बाद 2002 में उन्होंने राष्ट्रीय लोकदल के टिकट पर चुनाव लड़ा और वह 60, 595 वोट लेकर प्रथम स्थान पर रहे थे।
फिलहाल 2022 में उन्होंने गठबंधन के टिकट पर चुनाव लड़ा है और इस बार भी उन्होंने भाजपा को कांटे की टक्कर दी है। जीत-हार का फैसला 10 मार्च को होगा।
हाथ हमेशा जुड़े ही रहते हैं
स्वामी ओमवेश यूँ ही सफल नहीं हुए उसके पीछे उनका संघर्ष, लगन और विनम्र व्यवहार बहुत महत्वपूर्ण रहा है। यहां उल्लेखनीय है कि हमने 2022 चुनाव पूर्व लिखा था कि स्वामी ओमवेश एक बुझता हुआ चिराग़ हैं। लेकिन ओमवेश जी अपनी कर्मठता और लगन से यह सिद्ध कर दिया कि शेर कभी बूढ़ा नहीं होता।
सुबह 4 बजे प्रचार पर निकल जाते हैं
आज का युवावर्ग जहां 11 बजे तक सोता रहता है वहीं ओमवेश सुबह 4 बजे से ही मतदाताओं से सम्पर्क करने निकल पड़ते हैं। गांव-गांव में पैदल भ्रमण कर चुनाव करने वाले स्वामी ओमवेश के हाथ हमेशा जुड़े ही रहते हैं, मानो किसी ने उन्हें फेविकोल से जोड़ दिया हो। एकदम शांत और गम्भीर व्यक्तित्व वाले स्वामी ओमवेश की याददाश्त बहुत तेज़ है। आज भी वह जिनसे एक बार मिल लेते हैं, उनका नाम नहीं भूलते।
नशे और व्यसन से हमेशा दूर रहते हैं
आज के युवाओं की महत्वकांक्षाएं तो बहुत हैं लेकिन कर्मठता और लगन के नाम पर वह शून्य हैं। आलस, नशाखोरी और अकर्मण्यता ने आज के युवा को पूरी तरह से खोखला कर दिया है। यहाँ उल्लेखनीय है कि स्वामी जी हर प्रकार के नशे एवं व्यसन से हमेशा दूर ही रहते हैं।
युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए
युवाओं विशेषकर चांदपुर क्षेत्र के राजनीतिक संगठनों से जुड़े नौजवानों को ओमवेश जी के कर्मठ, जुझारू, संघर्षी जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। और उनकी दिनचर्या और जीवनशैली को अपनाने का हरसम्भव प्रयास करना चाहिए।
क्या जाट समुदाय के स्वामी ओमवेश एक बार फिर इतिहास रच पाएंगे?
भगवा तो स्वामी ओमवेश भी पहनते हैं साहब, पर कोई हंगामा नहीं होता