पिछले एक लंबे समय से लुटियन मीडिया, टुकड़े-टुकड़े गैंग, जिहादी, जिन्नावादियों और बाबरभक्तों सहित लाल टोपी और वामी-कांगी गैंग भगवा को पानी पी-पीकर कोसने में लगे हुए हैं।
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भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों की खोज
कांग्रेसी और वामपंथियों ने तो भगवा आतंकवाद जैसे नए-नए शब्दों की खोज भी कर डाली। लाल टोपी गैंग को सपने में भी भगवा गुंडे नज़र आते हैं। लुटियन मीडिया तो भगवा धारियों को गुंडा, बदमाश, हत्यारा और आतंकी तक साबित करने के लिये दिन-रात एक करती रही है।
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भगवा हिंदुओं और बौद्धों का महान प्रतीक
भगवा का शाब्दिक अर्थ है। गेरुआ रंग अर्थात हलका पीलापन लिए हुए लाल रंग का वस्त्र। भगवा ध्वज भारत का ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक ध्वज है। यह हिन्दुओं और बौद्धो के महान प्रतीकों में से एक है। इसका रंग भगवा (saffron) होता है। यह त्याग, बलिदान, ज्ञान, शुद्धता एवं सेवा का प्रतीक है। भगवा ध्वज हिन्दू संस्कृति और धर्म का शाश्वत प्रतीक है। यह हिन्दू धर्म के प्रत्येक आश्रम, मन्दिर पर फहराया जाता है। यही श्रीराम, श्रीकृष्ण और अर्जुन के रथों पर फहराया जाता था और छत्रपति शिवाजी सहित सभी मराठों की सेनाओं का भी यही ध्वज था। धर्म, समृद्धि, विकास, अस्मिता, ज्ञान और विशिष्टता का भी प्रतीक है।
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दिग्विजय सिंह का आपत्तिजनक बयान
कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने तो कथिततौर पर यहां तक कह दिया था कि “भगवा वस्त्र पहनकर तो बलात्कार हो रहे हैं।”
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धर्म समझा रहीं प्रियंका वाड्रा
कांग्रेस की उत्तरप्रदेश प्रभारी श्रीमती प्रियंका वाड्रा ने तो उत्तरप्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ को भगवा धर्म भी समझाने का प्रयास भी किया था। हालांकि उनकी पार्टी के लोग तो भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ने में महारथ हासिल कर चुके हैं।
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हज हाउस का रंग भी बदला
योगी सरकार ने जब लखनऊ हज हाउस का रंग भगवा यानी केसरिया करा दिया था। तब भी विपक्ष विशेषकर समाजवादियों ने कड़ा विरोध किया था। केसरिया रंग से जिन लोगों को नफ़रत है। जो लोग माननीय योगी आदित्यनाथ के केसरिया वस्त्रों पर उंगलियां उठाते रहे हैं। आज उन्हीं लोगों को स्वामी ओमवेश के समर्थन में नारे लगाते हुए देखा जा सकता है।
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ओमवेश भी तो वही वस्त्र धारण करते हैं
प्रश्न यह है कि ओमवेश भी तो वही भगवा वस्त्र धारण करते हैं। जो कि माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ के शरीर पर दिखाई देते हैं। स्वामी जी के केसरिया से प्रेम और योगी जी केसरिया से द्वेषपूर्ण व्यवहार। ऐसा क्यों?
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क्या भैयाजी का काटी हलाल है
क्या इसका अर्थ यह निकाला जाए कि मुल्लाजी का काटी ही हलाल है? अगर ऐसा है तो फिर कोई भी सवाल उठाना निरुद्देश्य ही है। वैसे यहां “मुल्लाजी” शब्द के स्थान पर अगर “भैयाजी” शब्द का प्रयोग किया जाए तो अधिक औचित्यपूर्ण रहेगा। क्योंकि आजकल तो सबकुछ लाल टोपी वाले “भैया जी” तो कर रहे हैं। लेकिन यह हमारी समझ से परे है कि लाल टोपी लगाने वालों को भगवाधारी स्वामी जी कैसे भा गए?
कबीर दास का दोहा
वैसे कबीर ने क्या खूब कहा है-
लाली मेरे लाल की, जित देखूँ तित लाल |
लाली देखन मैं गई, मैं भी हो गई लाल ||
हम इसको कुछ यूं कह सकते हैं-
भगवा मेरे राम का, जित देखूं तित भगवान।
भगवा देखन जब सपा गई, बोली जय श्री राम।।
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