वर्तमान में चांदपुर विधानसभा-23 से बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी डॉ. शकील हाशमी हैं। फिलहाल मुस्लिम समुदाय में पूरे प्रदेश में बसपा की स्थिति को बहुत मज़बूत नहीं माना जा रहा है।
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डॉ. शकील हाशमी रात-दिन एक कर रहे हैं
चांदपुर क्षेत्र की बात करें तो अभी तक सपा+लोकदल गठबंधन और भाजपा के बीच सीधी टक्कर दिखाई दे रही है। जबकि बसपा प्रत्याशी डॉ. हाशमी रात-दिन एक करने में लगे हुए हैं। उसके बावजूद अभी तक उन्हें कोई अपेक्षित सफ़लता नहीं मिल पाई है।
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अभी तक डॉ. हाशमी एकमात्र मुस्लिम कैंडिडेट हैं
क्षेत्र में डॉ. शकील हाशमी की छवि बेहद साफ़-सुथरी बनी हुई है। उनपर किसी प्रकार का कोई आरोप भी नहीं है। लेकिन दिक़्क़त यह है कि फिलहाल पूरे उत्तरप्रदेश में गठबंधन की लहर चल रही है। मुस्लिम समुदाय के एक बड़े वर्ग का झुकाव गठबंधन के पक्ष में जा रहा है। चांदपुर क्षेत्र भी इस सबसे अछूता नहीं है। यहां भी अधिकांश मुस्लिम समाज गठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में जाता नज़र आ रहा है। हालांकि फिलहाल वह एकमात्र मुस्लिम कैंडिडेट हैं। उसके बावजूद वह उसका अपेक्षित लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
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हवा का रुख़ मोड़ना होगा
डॉ. शकील हाशमी और उनके शुभचिंतकों को यह समझना चाहिये कि हवा का रुख़ बसपा की ओर मोड़ना होगा। मुस्लिम समाज को यह समझाना होगा कि चांदपुर क्षेत्र में अभी तक सपा की जीत नहीं हो पाई है। जबकि बसपा दो बार जीत हासिल करने में कामयाब हुई है।
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राजनीतिक धुरंधरों को अपने पक्ष में करना होगा
यहां यह भी समझने योग्य है कि डॉ. शकील हाशमी का यह पहला विधानसभा चुनाव है। इसलिए उन्हें और अधिक मेहनत करनी होगी। साथ ही राजनीति के धुरंधरों को अपने पक्ष में करना होगा।
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शेख़ बिरादरी को पक्ष में लाना चाहिए
डॉ. शकील हाशमी को सबसे पहले अपनी ही शेख़ बिरादरी को अपने पक्ष में करने की आवश्यकता है। जब तक शेख़ बिरादरी का एक बड़ा हिस्सा उनके पक्ष में खड़ा नहीं होता, तब तक उनको हवा का रुख़ अपने पक्ष में करने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।
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यहां स्थायी शत्रु है न मित्र
हम यहां यह भी बताना जरूरी समझते हैं कि डॉ. शकील हाशमी की टीम में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो पुर्वाग्रह से ग्रसित हैं। ऐसे तमाम लोग ही उनका सबसे बड़ा सिरदर्द बनने वाले हैं। क्योंकि राजनीति में न कोई स्थायी शत्रु होता है और न ही कोई स्थायी मित्र।
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झुकना सीखो साहब
राजनीति का एक औऱ उसूल है, और वह है “झुकना सीखो”। राजनीति में व्यक्ति के व्यवहार में लचक बहुत जरूरी है। जो झुकना नहीं जानता वह अक्सर टूट जाया करता है। और यह बात डॉ. शकील हाशमी जैसे दानिशमंद इंसान बहुत बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
एक शेर अर्ज है-
वह चोट तो कर रहा है हवा के माथे पर।
मज़ा तो तब है जब कोई निशान भी तो पड़े।।।