वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक चांदपुर विधानसभा क्षेत्र की आबादी लगभग 5 लाख की है. इसमें से एससी/एसटी आबादी लगभग 2.5 लाख के करीब और मुस्लिम आबादी 1.5 लाख के करीब है।
कुल 2, 78, 379 मतदाता हैं
बाकी जाट, यादव समेत अन्य पिछड़ा वर्ग के मतदाताओं की भी खासी संख्या यहां मौजूद है. चांदपुर विधानसभा क्षेत्र में कुल रजिस्टर्ड वोटर्स की संख्या 2,78,379 है. इनमें पुरुषों की संख्या 1,51,639 है जबकि महिला वोटर्स की संख्या 1,26,740 है।
2008 में पहचान संख्या 23 सौंपी गई थी
इस विधानसभा क्षेत्र में पहला चुनाव 1957 में परिसीमन आदेश (डीपीएसीओ – 1956) 1956 में पारित होने के बाद हुआ था। वर्ष 2008 में “संसदीय और विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन आदेश, 2008” पारित होने के बाद निर्वाचन क्षेत्र को पहचान संख्या-23 सौंपी गई थी।
38,000 मतदाता सैनी हैं
एक अनुमान के अनुसार चांदपुर विधानसभा क्षेत्र में सैनी समाज के मतदाताओं की संख्या करीब 35,000 से 38,000 के बीच है। दलित समाज के बाद सैनी समाज का एक मज़बूत वोट आधार यहां पर माना जाता है। 2017 के चुनाव में सैनी समाज का प्रतिनिधित्व श्रीमती कमलेश सैनी ने किया था, और भाजपा को ऐतिहासिक जीत दिलवाई थी।
हालांकि इसमें अकेले केवल सैनी समाज की नहीं बल्कि सर्वसमाज की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।
राजनीति और क्रिकेट में संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता
वर्तमान में यह आशंका जताई जा रही है कि 2022 में श्रीमती कमलेश सैनी का टिकट काटा जा सकता है। हलांकि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से अभी तक ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं, और न ही वहां इस विषय में कोई किसी भी प्रकार की चर्चा अभी तक हो पाई है। लेकिन राजनीति औऱ क्रिकेट में संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता है।
बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना
ऐसे में इस सम्भावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि श्रीमती कमलेश सैनी का टिकट कट सकता है। लेकिन यक्ष प्रश्न यह है कि तब क्या सैनी समाज के ही किसी दूसरे दावेदार को टिकट दिया जाएगा अथवा किसी अन्य समाज के व्यक्ति को टिकट मिल पायेगा। हालांकि कुछ लोग यह दावा कर रहे हैं कि वह सैनी समाज का वोट अपने पाले में करने में सक्षम हैं। लेकिन हमारे दृष्टिकोण से यह कुछ ऐसा ही है कि जैसे – बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना। जिनकी कुल जनसंख्या 3500 नहीं है, वह 35000 के नेता बनने का दावा किस दम पर कर रहे हैं। यह हमारी समझ से बिल्कुल परे है।
महान दल की ओर रुख़ कर सकता है सैनी समाज
बताते चलें कि 2012 में महान दल के एक उम्मीदवार को 31,000 वोट मिले थे। उल्लेखनीय है कि महान दल को सैनी समाज का राजनीतिक दल माना जाता है। उधर ख़बर है कि 2022 विधानसभा चुनाव में महान दल का गठबंधन सपा और लोकदल से हो सकने की प्रबल संभावना है। यदि ऐसा होता है तो सैनी समाज का एक बड़ा वर्ग इस “सम्भावित गठबंधन” की ओर भी रुख़ कर सकता है। और ऐसे में इसका सीधा नुकसान बीजेपी को होना तय है। उधर जाट समाज भी राष्ट्रीय लोकदल का रुख़ कर सकता है, ऐसे में इन दोनों ही समुदायों को अपने पाले में रखने के लिए भाजपा को बहुत फूंक-फूंक कर कदम रखना होगा।
अमित शाह चुनावी रिस्क लेने में माहिर हैं
इसके लिए जरूरी है कि भाजपा को टिकट वितरण की अपनी रणनीति में जबरदस्त बदलाव करना पड़ जाए। और ऐसा करना भी चाहिए। लेकिन यह भी ध्यान रखना होगा कि उत्तरप्रदेश चुनाव की कमान ख़ुद गृहमंत्री और भाजपा के चाणक्य माने जाने वाले श्री अमित शाह ने अपने हाथों में सम्भाल ली है। और लखनऊ से लेकर दिल्ली तक यह बात सबको मालूम है कि अमित शाह “चुनाव में रिस्क” लेने में बहुत माहिर माने जाते हैं।
एक मजबूत रणनीति तैयार की जाएगी
अमित शाह का टिंकटैंक उत्तरप्रदेश के लिए एक बहुत मज़बूत रणनीति तैयार करने में लगा है। और इस बार यह तय माना जा रहा है कि पश्चिमी उत्तरप्रदेश में जाट समाज को मनाने के साथ-साथ सैनी व गुर्जर समाज को भी साधने का हरसम्भव प्रयास किया जाएगा।