मोदी ने मैच हरवाया है-राकेश टिकैत
किसानों के कथित मसीहा बने राकेश टिकैत साहब का कहना है कि – “मोदी सरकार ने पाकिस्तान से मैच हरवाया है। उन्होंने कहा कि सरकार जानती है कि हिंदू मुस्लिम तनाव से उनको वोट मिलेंगे। उनका कहना था कि सरकार को पता है कि मैच हारने से ज्यादा वोट बीजेपी को मिलेंगे। इसी वजह से मैच हराने का फैसला लिया गया।”
तो क्या तथाकथित किसान आंदोलन करने वाले यह जानते थे
टिकैत साहब इसका अर्थ यह हुआ कि जिन लोगों ने किसानों की आड़ में झंडा लालकिले पर तिरंगे का अपमान किया। एक किसान को जिंदा जला दिया। लखीमपुर खीरी में 4 निर्दोष युवाओं की लाठी-डंडों से पीट-पीटकर हत्या कर दी। और एक गरीब दलित किसान के हाथपैर काटकर उसको उसकी मृत्यु तक उल्टा लटकाए रखा। एक गरीब मजदूर की टांग तोड़ दी, क्योंकि वह मुफ़्त का मुर्गा नहीं दे रहा था। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के सख्त आदेशों के बावजूद मुख्य मार्गों को जाम किया हुआ है। सड़कें जाम होने के कारण रोजाना हजारों-लाखों लोगों का जीवन अस्तव्यस्त हो रहा है। और गरीब मजदूर रोटी-रोज़गार के लिए भटक रहा है। तो क्या यह “तथाकथित किसान आंदोलन” को संचालित करने वाले सब लोग पहले से जानते रहे होंगे कि इससे देश में साम्प्रदायिक तनाव फैलेगा। इसीलिए शायद जानबूझकर उन्होंने ऐसा किया रहा होगा?
भिखमंगा और व्यापारी देश से प्यार नहीं करता
आगे राकेश टिकैत साहब का कहना था कि – “भिखमंगा और व्यापारी को देश से प्यार नहीं होता। भिखारी को इस चौराहे पर भीख नहीं मिली तो दूसरे चौक पर चला जाएगा। व्यापारी भी ऐसा ही करता है। जहां धंधा मिलता है वो वहीं अपना अड्डा जमा लेता है।”
जहाँ देखी तवा परात वहीं गुजारी सारी रात
टिकैत साहब शायद यह बताना भूल गए कि व्यापारी और भिखारी के अलावा “दल्ले” और “निठल्ले” को भी देश से प्यार नहीं होता। दलाल को भी जहां से दलाली मिलती है, वहीं पर अपनी दुकान सजा लेता है। इसी तरह निठल्ले ने भी जहाँ देखी तवा-परात, वहीं गुजारी सारी रात।
बीजेपी देश विरोधी है
एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि “उन्हें भी 2014 के बाद ही ज्ञान मिला कि बीजेपी देश विरोधी है। उनका कहना था कि मैच के बाद जो मारपीट हिंदू मुस्लिमों के बीच हुई वो सरकार के इशारे पर हुई थी। इससे हिंदू मुस्लिमों के बीच खाई बढ़ी है।”
टिकैत साहब इन दंगों का जिम्मेदार कौन है
टिकैत साहब ज़रा बताने का कष्ट करेंगे कि 1947 से लेकर 2013 तक तो भाजपा की सरकार नहीं थी। तब जो हिन्दू-मुस्लिम दंगे हुए, वह किस सरकार ने कराए? कश्मीरी पंडितों के गले कटे हों, 1984 में सिखों को जिंदा जलाया गया हो। अथवा पश्चिम बंगाल और दिल्ली में हिन्दू समाज की बहन-बेटियों की इज्ज़त-आबरू को रौंदा गया हो। इन राज्यों में तो भाजपा का शासन नहीं था।
हिन्दू भी दो तरह के होते हैं
राकेश टिकैत ने कहा कि “हिंदू भी दो तरह के हैं। एक जो संघ के इशारे पर चलते हैं। वो सबसे ज्यादा खतरनाक है। दूसरी तरह के हिंदू नुकसानदेह नहीं होते। वो शांतिप्रिय होते हैं।”
मुस्लिम भी दो तरह के होते हैं
टिकैत साहब ठीक इसी प्रकार मुस्लिम भी दो तरह के हैं। एक वह जो पाकिस्तान की आईएसआई, पीएफआई और सिमी जैसे आतंकी संगठनों के आकाओं के इशारों पर नाचते हैं। और दूसरे वह, जो अपने देश के लिए अपनी जान तक कुर्बान कर देते हैं।
इस देश को अब्दुल हमीद चाहिए बुरहान वानी नहीं
इस देश को ब्रिगेडियर उस्मान, वीर अब्दुल हमीद और एपीजे अबुल कलाम जैसे वतनपरस्त मुसलमानों की जरूरत है। बुरहान वाणी, अफजल गुरु, याकूब मेमन जैसे आतंकियों की इस देश को न कल जरूरत थी, न आज है और न कल कभी होगी।