अभी हाल ही में एक निजी यूट्यूब चैनल को दिए गए अपने एक साक्षात्कार में वरिष्ठ अधिवक्ता और सदर विधायक श्रीमती शुचि चौधरी के पति श्रीमान ऐश्वर्य चौधरी उर्फ मौसम भैया ने राष्ट्रहित पर पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा कि- जो भारत माता की जय और वंदेमातरम कहता है, वही राष्ट्रहित है। जो इस देश के संविधान में विश्वास रखता है, वह राष्ट्रहित है।
क्या भारतीय संविधान वंदेमातरम के लिए बाध्य करता है
अब प्रश्न यह उठता है कि क्या भारत का संविधान भारत के किसी नागरिक को इस बात के लिये बाध्य कर सकता है कि वह भारत माता की जय बोले या फिर वंदेमातरम कहे। अगर कोई व्यक्ति हिंदुस्तान जिंदाबाद कहता है, राष्ट्रगान गाता है औऱ सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा कहता है, तो क्या वह राष्ट्रहित में नहीं हो सकता। क्या वह राष्ट्रहित के विषय में चिंतन नहीं कर सकता।
क्या राष्ट्रवाद और राष्ट्रहित मात्र दो नारों में सिमट सकता है
प्रश्न यह भी है कि क्या राष्ट्रवाद औऱ राष्ट्रहित मात्र दो नारों में समेटा जा सकता है? यह माना जा सकता है कि जो व्यक्ति भारत में रहकर पाकिस्तान जिंदाबाद का नारा लगाता है, अथवा किसी दुश्मन देश का महिमामंडन करता है। उसे राष्ट्रहित के योग्य नहीं माना जा सकता है।
क्या वंदेमातरम कहने से ही देशभक्ति सिद्ध हो सकती है
लेकिन यह कहना कि केवल “भारत माता की जय” या “वंदेमातरम” कहने से ही किसी का राष्ट्रप्रेम या देशभक्ति मापी जा सकती है, उचित नहीं माना जा सकता है।
गांधी जी भी रामधुन गाते थे
यहाँ उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी रामधुन गाते थे, और उन्होंने वंदेमातरम से दूरी बना ली थी। जबकि स्वयं गांधी, नेहरू भी वंदेमातरम को राष्ट्रवाद का मंत्र मानते थे। एपीजे अबुल कलाम ने इस राष्ट्र के हित में जो कुछ किया। वह कोई भी दूसरा वह व्यक्ति नहीं कर सका जो रातदिन वंदेमातरम की माला जपता रहा है। शहीद भगतसिंह ने भी फांसी पर झूलने से ठीक पहले “इंकलाब जिंदाबाद” का नारा बुलंद किया था।
किसी भी भारतीय नागरिक की राष्ट्रभक्ति केवल इस पैमाने पर नहीं मापी जा सकती कि वह वंदेमातरम कहता है अथवा नहीं। अपितु इस आधार पर तय की जा सकती है कि वह भारत के संविधान में विश्वास रखते हुए, भारत की एकता, अखंडता और सम्प्रभुता की रक्षा हेतु प्रतिबद्ध है।