विश्वस्त सूत्रों से मिली खबर के अनुसार चांदपुर से संघ और भाजपाई संगठनों ने वर्तमान विधायक श्रीमती कमलेश सैनी के विपक्ष में अपनी रिपोर्ट्स भेजी हैं।
इस बार 100 विधायकों का टिकट कट सकता है
उधर भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने 2022 विधानसभा चुनाव में 100 विधायकों का टिकट काटने का विचार बना लिया है। हालांकि विश्वसनीय सूत्रों का मानना है कि इस विषय पर अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।
मच सकती है अफरातफरी
सूत्रों का कहना है कि भाजपा और संघ के बुद्धिजीवियों का मानना है कि यदि एकदम से 100 विधायकों के टिकट काट दिए गए तो एकदम से अफरातफरी मच सकती है। और विपक्ष इसका लाभ ले सकता है। इसके साथ ही यह भी विचार किया जा रहा है कि इस बार जातिगत समीकरणों को साधना बेहद आवश्यक है। विशेषकर उस समाज को कदापि नाराज़ न किया जाए जो भाजपा का परम्परागत वोट माना जाता रहा है। इस बार पार्टी का शीर्ष नेतृत्व ओबीसी औऱ दलित समाज के साथ-साथ ब्राह्मण समाज को साधने की भी जुगत में है।
केवल मोदी के नाम पर जीते अकर्मण्य माननीयों का टिकट कटेगा
मालूम हुआ है कि दिल्ली से लेकर लखनऊ तक इस बात को लेकर गहन मंथन चल रहा है कि जिन लोगों ने अपने क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया है और जिनकी रिपोर्ट्स लगातार नकारात्मक रही हैं, तथा जिनकी जीत का प्रमुख कारण मोदी या राम लहर रही है, तो ऐसे लोगों का टिकट काट दिया जाए। लेकिन साथ ही इस बात पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है कि इससे बगावत की स्थिति नहीं बननी चाहिए।
सबका साथ-सबका विकास-सबसे संवाद
सुनने में तो यह भी आया है कि पिछली बार जिन लोगों को केवल जातिगत आधार पर अन्य किसी पार्टी से इम्पोर्ट किया गया था। और जो मोदी लहर के कारण जीत हासिल कर गए। लेकिन धरातल पर शून्य हैं, ऐसे तमाम लोगों को टिकट न दिया जाए।
कुल मिलाकर इस बार भाजपा का शीर्ष टिकट हेतु केवल उन्हीं लोगों को प्राथमिकता देने का प्रयास कर रहा है जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा को पुष्पित-पल्लवित करते हुए, सबका साथ-सबका विकास- सबसे संवाद स्थापित कर सकने में सक्षम हों।
क्या कमलेश सैनी का टिकट कटेगा
अब देखना यह है कि तमाम विरोधों और नकारात्मक रिपोर्ट्स के बाद भी क्या पार्टी श्रीमती कमलेश सैनी का टिकट काटने पर विचार करेगी? और यदि करेगी भी तो क्या टिकट काट पाएगी?
हमेशा अपना जूता ही पैर में काटता है
दरअसल, हमारे सूत्रों का मानना है कि श्रीमती कमलेश सैनी के कुछ “अपने” ही उनकी जड़ों को कमज़ोर करने में लगे हुए हैं। यूं भी एक कहावत है कि जूता हमेशा अपना ही पैर में काटता है। दूसरे के जूते ने आजतक कभी किसी के पैर में नहीं काटा। यहां भी स्थिति लगभग वही है, कमलेश सैनी जी का अपना ही जूता उनके पैर में काटने की तैयारी कर रहा है।
यह राजनीति है साहब
वैसे कुछ विरोधियों को छोड़कर अन्य लोग श्रीमती कमलेश सैनी की व्यवहार कुशलता और सुलझे हुए व्यक्तित्व की प्रशंसा करते हुए नहीं अघाते हैं। लेकिन सच्चाई यह है साहब, हाथी के दांत दिखाने के और, और खाने के कुछ और होते हैं।
यह राजनीति है, यहाँ जो होता है, वह नहीं दिखता। और जो दिखता है, वह होता नहीं है।