मीडिया सूत्रों के हवाले से ख़बर है कि, भाजपा के फायर ब्रांड नेता कहे जाने वाले कपिल मिश्रा के नेतृत्व में, गुरुग्राम की 29 ऐसी खुले सार्वजनिक स्थलों को चिन्हित किया गया है। जिनपर मुस्लिम समाज हर सप्ताह जुमे की नमाज़ पढा करता था।
सार्वजनिक स्थल पर नमाज़ पढ़ने वालों को चेतावनी
अब सुना है कि भाजपा सहित कई हिन्दू संगठनों ने उन सभी सार्वजनिक स्थलों पर नमाज़ पढ़ने वालों को ऐसा न करने की चेतावनी दी है।
घूमने-फिरने की आज़ादी चाहिए
इस मामले पर एक राष्ट्रीय चैनल के संवाददाता से बात करते हुए कपिल मिश्रा ने कहा कि – खुली जगहों और सार्वजनिक स्थलों पर नमाज़ पढ़ने से आम जीवन अस्त-व्यस्त होता है। उन्होंने कहा कि उन्हें सार्वजनिक स्थलों पर घूमने-फिरने, रोजगार करने आदि हेतु आने-जाने की आज़ादी चाहिए। और भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को इसकी इजाज़त देता है।
केवल नमाज़ पढ़ने पर ही बंदिशें क्यों
हम श्रीमान कपिल मिश्रा सहित तमाम हिन्दू भाई-बंधुओं की इस बात से पूर्णतया सहमत हैं। परन्तु प्रश्न यह उठता है कि केवल नमाज़ के ही लिए क्यों ? अन्य आयोजनों पर सवाल क्यों नहीं उठाए जाते हैं।
किसान आंदोलन पर चुप्पी क्यों है
अब उसी हरियाणा में एक लंबे समय से “तथाकथित किसानों” का आंदोलन निर्बाध रूप से चल रहा है। माननीय सर्वोच्च न्यायालय की फटकार के बावजूद किसी के कानों पर कोई जूं नहीं रेंग रही है।
पिछले कई महीनों से टिकैत बंधुओं के नेतृत्व में दिल्ली, हरियाणा और उत्तरप्रदेश सीमाओं को “कथित किसान आंदोलन” की आड़ में बंधक बनाया हुआ है। जिसके कारण आम आदमी अपने रोजगार-कारोबार से परेशान है, बच्चे अपनी शिक्षा से वंचित हैं और सामान्य व्यक्ति का रोजमर्रा का जीवन पूरी तरह से अस्तव्यस्त हो चुका है।
टिकैत बंधुओं की हठधर्मिता का विरोध क्यों नहीं
इससे पहले NRC-CAA को लेकर शाहीन बाग़ में मुख्य मार्गों को बंधक बना लिया गया था। लेकिन तब कोई कपिल मिश्रा किसी हिन्दू संगठन को लेकर सड़कों पर नहीं आया था। और न ही आज टिकैत बंधुओं की हठधर्मी के विरुद्ध किसी कपिल मिश्रा अथवा किसी अन्य हिन्दू नेता ने कोई आवाज़ उठाई है। जबकि स्वयं माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने कई बार इस विषय पर अपनी चिन्ता जताई है।
कपिल मिश्रा और तमाम हिन्दू संगठनों को चाहिए कि वह टिकैत बंधुओं द्वारा मुख्य मार्गों को घेरने का भी उसी शिद्दत के साथ विरोध करें। जिस शिद्दत से वह सड़कों पर नमाज़ पढ़ने का विरोध कर रहे हैं।
बेशक, सड़कों पर नमाज पढ़ने की इजाज़त किसी को नहीं मिलनी चाहिये। लेकिन केवल नमाज़ पढ़ने की ही क्यों? बल्कि हर उस आयोजन की इजाज़त नहीं मिलनी चाहिये जिससे आम जीवन पर दुष्प्रभाव पड़ता हो। चाहे वह किसी भी धर्म का कोई आयोजन हो। चाहे वह सरकार के विरुद्ध कोई धरना-प्रदर्शन हो। अथवा सड़कों पर होने वाली कोई पार्टी आदि हो।
हम अपेक्षा करते हैं कि जल्द ही श्री कपिल मिश्रा और उनके तमाम साथी संगठन टिकैत बंधुओं द्वारा बंधक बनाए जा रहे तमाम मुख्य मार्गों को भी मुक्त कराने का हरसम्भव प्रयास करेंगे।