स्वाधीनता की 75 वीं वर्षगांठ के शुभअवसर पर सम्पूर्ण भारतवर्ष में अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है।
इसी क्रम में नूरपुर-चांदपुर रोड स्थित एक पब्लिक स्कूल में “अमृत महोत्सव सप्ताह” मनाया गया। जिसके अंतिम दिन एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
अमृत महोत्सव में बोले डॉ. अनिल सिंह
अमृत महोत्सव कार्यक्रम में बोलते हुए भगवंत ग्रुप के चेयरमैन डॉ. अनिल सिंह ने कहा कि- “सांस्कृतिक राष्ट्र ही भारत है।” उन्होंने आगे कहा कि “हमारा भारत स्वाधीन हुआ है, परन्तु अभी हम पूर्ण रूप से स्वतंत्र नहीं हो पाए हैं। अभी हमें स्वतंत्र होने की परम आवश्यकता है। और जिस प्रकार हम सभी ने एकजुट होकर स्वाधीनता के लिए आंदोलन किया। अब उसी एकजुटता के साथ हमें स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़नी होगी।”
उल्लेखनीय है कि “स्वाधीनता व्यक्ति को उसके अधिकार, विश्वास, अपने आप को अभिव्यक्त करने और बंधनों से मुक्त होने तथा अपने अनुसार की जिंदगी को चुनने की शक्ति देता है। जबकि स्वतंत्रता को राजनीतिक, सामाजिक और नागरिक स्वतंत्रता का आनंद लेने के लिए स्वतंत्र होने की स्थिति के रूप में परिभाषित किया गया है।”
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अमृत महोत्सव में मुख्य अतिथि थे कुंवर चरत प्रताप सिंह
अमृत महोत्सव के इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में निर्वासित हिन्द सरकार के प्रथम राष्ट्रपति (1915) के प्रपौत्र कुंवर चरत प्रताप सिंह को आमंत्रित किया गया था। जिन्होंने कहा कि- “हमें हमेशा देश की सेवा के लिए तत्पर रहना चाहिए। और देश के लिये तन-मन-धन समर्पित करने का हौंसला रखना चाहिए।
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अम्बेडकर, चरण सिंह और वाल्मीकि की मूर्ति पर माल्यार्पण किया
कार्यक्रम से पूर्व मुख्य अतिथि कुंवर चरत प्रताप सिंह ने डॉ. अम्बेडकर चौक स्थित संविधान निर्माता डॉ. अम्बेडकर , चौधरी चरण सिंह चौक पर भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की मूर्ति और स्याऊ रोड पर महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति पर माल्यर्पण किया।
मानवता का सन्देश दिया
इसके अतिरिक्त छुआछूत की कुपरम्परा को मिटाते और जातीय सद्भावना दिखाते हुए कुंवर चरत प्रताप सिंह ने पाहुली ग्राम के एक गरीब दलित परिवार के यहां बहुत सादगी और शालीनता के साथ जलपान किया। जिससे सम्पूर्ण समाज में अमीर-गरीब और छूत-अछूत के बीच की दूरी को मिटाने का एक सन्देश गया। कुंवर प्रताप सिंह के इस मानवतावादी कदम की समाज के सभी वर्गों के लोगों ने भूरि-भूरि प्रशंसा की है।
स्वाधीनता संग्राम सेनानियों को याद करें
अमृत महोत्सव कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ कार्यकर्ता महेश जी ने कहा- “हमारा देश 1947 को स्वाधीन हुआ था। लेकिन उसे स्वाधीनता दिलाने में जिन लोगों ने अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। उनको याद करना हमारा कर्तव्य है। देश को आज़ादी दिलाने में महान क्रांतिकारियों ने अपना तन-मन-धन और घर-परिवार सबकुछ बलिदान कर दिया। केवल हमें अपने बारे में ही नहीं सोचना चाहिए। अपितु सम्पूर्ण राष्ट्र के बारे में त्याग और बलिदान की भावना रखते हुए, जीवन जीना चाहिए।”
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पत्रकारों को किया सम्मानित
अमृत महोत्सव के इस शुभअवसर पर मुख्य अतिथि कुंवर चरत प्रताप सिंह ने पत्रकारों और विशेष अतिथियों को सम्मानित करते हुए अंगवस्त्र और एक सम्मान-पत्र भेंट किया।
डॉ. कावेंद्र यादव ने किया सफल संचालन
कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. अनिल सिंह और संचालन डॉ. कावेंद्र यादव ने किया। इसके अतिरिक्त पुखराज सैनी, भूपेंद्र, विशेष तोमर, डॉ. राघव मेहरा, प्रशांत चौधरी, गौरव कुमार, स्वाति चौहान, कृतिका चौहान, दीपक सरोहा, मनोज कुमार, डॉ. शिवानी शर्मा, नीरज कुमार, सुलभा चौहान, नवनीत शर्मा, सुरेंद्र पाल सिंह, कपिल कुमार आदि ने भी अमृत महोत्सव कार्यक्रम को सफ़ल बनाने में अपना विशेष योगदान दिया।