चांदपुर विधानसभा के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा बहुत जोरों पर है कि में आने वाले 2022 उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव में क्या मौजूदा भाजपा विधायक श्रीमती कमलेश सैनी का टिकट खतरे में है?
2017 में 92, 345 मत मिले थे
उल्लेखनीय है कि 2017 में कमलेश सैनी ने भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था और उन्हें 92,345 मत मिले थे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी मौहम्मद इक़बाल उर्फ़ इक़बाल ठेकेदार (पूर्व बसपा विधायक विधायक) को 35, 649 मतों के भारी अंतर से शिकस्त दी थी।
2017 में चांदपुर विधानसभा में मतदान प्रतिशत 69.84% हुआ था। और कमलेश सैनी को 42. 27% मत प्राप्त हुए थे।
कमलेश सैनी की जीत में मोदी लहर एक बड़ा कारक था
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि 2017 में बहुत जबरदस्त “मोदी लहर” चली थी। कुछ राजनीतिक जानकारों ने 2017 में कमलेश सैनी की भारी भरकम जीत के पीछे “मोदी लहर” को एक बड़ा कारण माना था।
कमलेश सैनी का मृद व्यवहार और विनम्र भाषाशैली
लेकिन केवल मोदी लहर को ही इस जीत के पीछे का एकमात्र कारण नहीं माना जा सकता है।
इसके पीछे कमलेश सैनी का मृद व्यवहार औऱ उनकी विनम्र भाषाशैली के साथ- साथ कड़ा संघर्ष भी एक बड़ा कारण रहा था।
अब हालात बदल से गये हैं
लेकिन आज हालात काफी बदले हुए हैं। आज के हालातों में कमलेश सैनी का पार्टी के भीतर ही काफी बड़ा विरोध देखने को मिल रहा है। अगर पूरे क्षेत्र का एक निष्पक्ष सर्वे किया जाए तो कमलेश सैनी के कार्यकाल से अधिकांश जनता संतुष्ट नहीं देखी जा रही है।
क्षेत्र के अधिकांशतः लोगों का मानना है, कि कमलेश सैनी ने अपने कार्यकाल में जनता के हृदय में कोई विशेष छाप नहीं छोड़ी है।
सही शब्दों में कहें। तो कमलेश सैनी को एक दबंग विधायक के रूप में स्वीकार नहीं किया जाता है। जबकि जनता एक दबंग और दृढ़ इच्छाशक्ति के व्यक्ति को अपने जनप्रतिनिधि के रूप में देखना चाहती थी।
हारते हुए सब देखना चाहते हैं लेकिन हराने को कोई तैयार नहीं है
अगर आप जनता से कमलेश सैनी के विषय में बात करें। तो आपको अधिकांशतः यह सुनने में आएगा कि- “कमलेश सैनी को टिकट मिला तो भाजपा चुनाव हार जाएगी।”
लेकिन आपको एक भी शख़्स यह कहने वाला शायद नहीं मिलेगा, कि वह कमलेश सैनी को हराने के लिए जी-जान लगा देगा।
कमलेश सैनी स्टार प्रचारक भी हैं
एक तथ्य यह भी है, कि भारतीय जनता पार्टी के अंदर कमलेश सैनी को सैनी समाज के “स्टार प्रचारक” के रूप में जाना जाता है।
इन दो महत्वपूर्ण प्रश्नों का उत्तर ढूंढना होगा
अब अगर यह मान भी लिया जाए, कि कमलेश सैनी का टिकट खतरे में है। तो यहाँ दो महत्वपूर्ण प्रश्न उठते हैं।
कमलेश सैनी का विकल्प कौन होगा
पहला प्रश्न यह है कि कमलेश सैनी का टिकट काटकर क्या सैनी समाज के किसी दूसरे नेता को दिया जाएगा? और अगर दिया भी जाएगा तो किसे? दूसरे शब्दों में कहें तो सैनी समाज में कमलेश सैनी का विकल्प कौन है?
सैनी समाज का विकल्प कौन
दूसरा महत्वपूर्ण प्रश्न यह है। कि यदि इस बार चांदपुर सीट से सैनी समाज को हाशिये पर रखा जा रहा है। तो फिर किस समाज को खुश करने का प्रयास किया जाएगा? जाट समुदाय या वैश्य समाज?
दूसरे शब्दों में कहें तो सैनी समाज का विकल्प कौन हो सकता है? यह दोनों ही प्रश्न अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण हैं।
जिसका जवाब भारतीय जनता पार्टी के बुद्धिजीवी वर्ग को ढूंढना ही होगा।
क्या कमलेश सैनी को एकदम से हाशिये पर डाला जा सकता है
इसके अतिरिक्त यह भी देखना महत्वपूर्ण होगा कि यदि कमलेश सैनी का टिकट काटा जाता है, तो क्या भाजपा उन्हें कोई बड़ा दायित्व सौंपने की तैयारी कर रही है।
क्योंकि पिछड़े वर्ग की एक सशक्त महिला नेता जो कि अपने समाज की स्टार प्रचारक भी हैं, को एकदम से हाशिये पर धकेलना न तो राजनीतिक दृष्टिकोण से उचित होगा और न ही कूटनीतिक समझ का परिचायक सिद्ध हो सकता है।
सपा आर अल डी गठबंधन से 90% चांस चाँदपुर विधान सभा से स्वामी ओमवेश इलेक्सन लड़ेंगे ।
अब आएगा मज़ा जब सपा बसपा ओर कांग्रेस आपस मे लड़ेगी ओर 100 ,200 mim भी ले जाएगी बीजेपी की शीट स्थाई रूप से स्थगित ।