वर्तमान में चांदपुर विधानसभा में कई उम्मीदवार अपना भाग्य आजमा रहे हैं। जिसमें सपा गठबंधन सीट से पूर्व विधायक स्वामी ओमवेश, भाजपा से श्रीमती कमलेश सैनी, बसपा से डॉ. शकील हाशमी, AIMIM से यासर अराफ़ात तुर्क, कांग्रेस से उदय त्यागी माइकल और आम आदमी पार्टी से कृष्ण कुमार का नाम चर्चाओं में है।
यह हैं वोट कटवा पार्टियां
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हालांकि चांदपुर विधानसभा में प्रमुख लड़ाई श्रीमती कमलेश सैनी, स्वामी ओमवेश और डॉ. शकील हाशमी के बीच मानी जा रही है। जबकि अन्य उम्मीदवारों को केवल “वोट कटवा” मानकर चला जा रहा है।
फिलहाल के हालातों पर ग़ौर करें तो पूरा चुनाव त्रिकोणीय नज़र आ रहा है
2017 में चांदपुर विधानसभा में कुल मतदाता थे 312,817 जबकि कुल 218, 484 लोगों ने मतदान किया था। अर्थात 69.84 % मतदान हुआ था। उस समय भाजपा प्रत्याशी श्रीमती कमलेश सैनी को 92,345 मत मिले थे। जबकि बसपा के मौहम्मद इक़बाल को 56,696 मत मिले थे और सपा के मौहम्मद अरशद को 36, 531 वोट मिले थे। कांग्रेस के उम्मीदवार शेरबाज पठान को 15,826 मत मिले थे और लोकदल के उम्मीदवार एस के वर्मा को 11,880 वोट मिले थे। पीस पार्टी के उम्मीदवार सहित समस्त अन्य दलों और निर्दलीय उम्मीदवारों को कुल 4,274 वोट मिले थे।
विपक्ष को कुल मिलाकर 1,25,207 वोट मिले थे
इसका अर्थ यह हुआ कि भाजपा के मुकाबले सम्पूर्ण विपक्ष को कुल मिलाकर 1,25,207 वोट मिले थे। अर्थात भाजपा औऱ अन्य समस्त विपक्ष के वोटों में कुल 32, 862 वोटों का अंतर था।
अब सपा और लोकदल मिलकर चुनाव लड़ रहे
अब सपा और लोकदल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। अर्थात 11, 880 +36, 531= 48, 411 जबकि कांग्रेस अभी भी अलग लड़ रही है। और बसपा के उम्मीदवार अभी भी शेख़ बिरादरी से ही हैं। उधर स्वामी ओमवेश उसी जाट बिरादरी से हैं, जिसके रालोद के पूर्व प्रत्याशी एसके वर्मा थे।
इनसे कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ेगा
अलबत्ता कांग्रेस का उम्मीदवार उदय त्यागी उर्फ माइकल का कोई ख़ास वजूद नहीं है और न ही शेरबाज पठान की तरह उनका कोई वोटबैंक है। वह जो भी वोट लेंगे उससे किसी भी उम्मीदवार की सेहत पर कोई ख़ास फ़र्क नहीं पड़ेगा। इस बार पीस पार्टी की तरह ही मीम पार्टी चुनाव लड़ रही है। उसका भी कोई बहुत बड़ा कारनामा अभी तक नहीं दिखाई दिया है।
हालांकि बसपा ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है
लेकिन यहां ग़ौर करने वाली बात यह है कि बसपा ने अपना प्रत्याशी बदल दिया है। इस बार पूर्व विधायक मौहम्मद इक़बाल के स्थान पर डॉ. शकील हाशमी को टिकट दिया गया है।
यहां कुछ महत्वपूर्ण फैक्टर्स पर हम ध्यान केंद्रित कर सकते हैं-
1. क्या डॉ. शकील हाशमी को एकमात्र मजबूत मुस्लिम उम्मीदवार होने का फायदा मिल पायेगा। हालांकि यहां ग़ौरतलब बात है कि डॉ. शकील हाशमी के अलावा AIMIM के प्रत्याशी भी मुस्लिम समुदाय से ही हैं।
2. क्या जाट समाज पूरी तरह से भाजपा को नकार पाएगा?
3. क्या स्वामी ओमवेश दलित समुदाय को अपनी ओर आकर्षित कर पाएंगे?
4. AIMIM मुस्लिम वोटों में कितना सेंध लगा पाएगी??
5. स्वामी ओमवेश “भाजपा” का कितना वोट अपने पाले में कर पाएंगे??
इन सभी सवालों पर बेहद गहन चिंतन की आवश्यकता है।
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