अभी हाल ही में एक ख़बर मीडिया की सुर्खियों में रही। और यह ख़बर थी कि “वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया” के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. सैयद कासिम रसूल इलियास ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव से मुलाकात की थी।
उमर ख़ालिद के पिता हैं डॉ. इलियास
उल्लेखनीय है कि डॉ. इलियास साहब दिल्ली हिंसा से जुड़े मामलों में आरोपी जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद के पिता हैं. उमर खालिद
दिल्ली हिंसा को लेकर पिछले 1 साल से जेल में बंद हैं. इससे पहले वे जेएनयू में कथित ‘राष्ट्रविरोधी नारों’ के मामलों में कन्हैया कुमार के साथ चर्चा में आए थे।
उमर ख़ालिद को UAPA एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया
उमर खालिद पर दिल्ली पुलिस ने 6 मार्च 2020 को एक एफआईआर दर्ज की थी। इस एफआईआर में उमर खालिद पर लोगों को जमा करना, दंगे भड़काना, दंगों की पूर्व नियोजित साजिश रचना, भड़काऊ भाषण देना, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के दौरे के दौरान लोगों को सड़क पर प्रदर्शन करने के लिए उकसाने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। उन्हें UAPA एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है।
प्रतिबंधित संगठन सिमी के पूर्व सदस्य हैं डॉ. इलियास
डॉ. इलियास श्रीराम जन्मभूमि के खिलाफ केस भी लड़ चुके हैं। इस मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद उन्होंने रिव्यू पिटीशन दाखिल करने की घोषणा भी की थी।
इसके अतिरिक्त कहा जाता है कि डॉ. इलियास प्रतिबंधित संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) के पूर्व सदस्य भी रह चुके हैं।
ख़ुद डॉ. इलयास भी अपने एक पूर्व बयान में यह स्वीकार कर चुके हैं कि वह 1985 तक सिमी के सदस्य रहे हैं।
यह संगठन उस समय बेहद चर्चाओं में रहा था, जब 2001 में भारत सरकार ने इस संगठन को आतंकी संगठन घोषित करते हुए इसपर प्रतिबंध लगा दिया था।
सिमी का प्राथमिक उद्देश्य भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाना था
इसका गठन 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़, उत्तर प्रदेश में हुआ था। शुरुआत में सिमी को जमात-ए-इस्लामी हिंद (JIH) के स्टूडेंट विंग के रूप में जाना जाता रहा था। माना जाता है कि इसका शुरुआती घोषित उद्देश्य भारत को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का था। जिसके लिए वह हिंसा और ज़ोर-ज़बरदस्ती को भी ग़लत नहीं मानते थे।
सिमी का गठन मोहम्मद अहमदुल्लाह सिद्दिकी ने किया था। सिद्दिकी अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी में मीडिया स्टडीज के प्रोफेसर थे।
2002 में प्रतिबंधित कर दिया गया था
सिमी को 2002 में भारत सरकार द्वारा इसे प्रतिबंधित कर दिया गया था। हालांकि, अगस्त 2008 में, एक विशेष न्यायाधिकरण में सिमी पर से प्रतिबंध हटा लिया। ये प्रतिबंध बाद में भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 6 अगस्त 2008 को फिर से बहाल किया गया।
इस संगठन को अनलॉफुल ऐक्टिविटीज प्रिवेंशन ऐक्ट 1967 (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित किया गया था। हालांकि ऐसा कहा जाता है कि प्रतिबंध लगने के बावजूद भी सिमी इंडियन मुजाहिदीन के नाम से भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देता है।
सिमी नेताओं पर देशद्रोह का मुकदमा क़ायम हुआ था
11 सितंबर 2001 को सिमी के तत्कालीन अध्यक्ष शाहिद बद्र फलाही, और उनके 11 साथियों पर देशद्रोह और सांप्रदायिकता भड़काने के आरोप में आपराधिक मुकदमा दर्ज किया गया था।
उल्लेखनीय है कि उस समय उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सत्ता में थी।
सिमी को आतंकी संगठन नहीं मानते थे मुलायम सिंह
जून 2006 में उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सिमी नेताओं के ख़िलाफ़ मुकदमा वापस लेने का निर्णय किया था।
जिसे बाद में अदालत ने मंजूरी भी दे दी थी।
हालांकि केंद्र सरकार ने सिमी को आतंकवादी संगठन मानते हुए प्रतिबंधित कर रखा है। लेकिन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव यही कहते रहे हैं कि “सिमी आंतकवादी संगठन नहीं है”।
कुछ तो है जिसकी पर्देदारी है
अब श्री अखिलेश यादव ने जिस प्रकार से उमर खालिद के पिता और तथाकथित रूप से सिमी के पूर्व सदस्य माने जाने वाले डॉ. इलियास से मुलाकात की है।
वह भी उस समय जबकि प्रदेश में कुछ ही माह पश्चात विधानसभा चुनाव होने हैं। तब ऐसे में इस मुलाक़ात को लेकर अलग-अलग मायने निकाले जा रहे हैं।
औऱ यदि श्री अखिलेश यादव के पिता और समाजवादी पार्टी के संस्थापक माननीय मुलायम सिंह के सिमी को लेकर पूर्व बयानों पर नज़र डाली जाए तो यह कहना अतिश्योक्ति न होगी, कि कुछ तो है जिसकी पर्देदारी है।