व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास होना चाहिए। यह बहुत जरूरी बात है। परन्तु अति-आत्मविश्वास हमेशा घातक सिद्ध होता है। यह बात शायद विकास गुप्ता उर्फ़ रॉकी की समझ से बाहर है।
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रॉकी का बोलबाला, विरोधियों के मुहं पर जड़ा ताला
यह सच है कि नितिन गडकरी साहब की जनसभा में रॉकी साहब ने जिस प्रकार से एक बड़ी भीड़ जुटाई उसने उनके विरोधियों के मुहं पर ताला जड़ दिया है। इसको कुछ इस तरह से भी कहा जा सकता है।
रॉकी का हुआ बोलबाला।
विरोधियों के मुहं पर लगा ताला।।
विकास गुप्ता ने यह दिखाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी कि आज की तारीख़ में उनके पीछे युवाओं की एक बड़ी लंबी लाइन है।
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खुद को साबित कर गए रॉकी
नितिन गडकरी की सभा में विकास गुप्ता ने यह भी साबित कर दिया कि वैश्य समाज से वह टिकट के प्रबल दावेदार हैं। और वैश्य समाज का तमाम युवावर्ग रॉकी के नेतृत्व को स्वीकार कर चुका है।
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युवापीढ़ी के आदर्श बन गए रॉकी
अब इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि रॉकी युवाओं का आदर्श बन गया है। और युवाशक्ति की कमान रॉकी के हाथों में है। हम इससे भी इंकार नहीं करते कि रॉकी साहब ने बहुत कम समय में अपने आपको साबित कर दिया है। और कहीं न कहीं वैश्य समाज उनके प्रतिनिधित्व को अंदर ही अंदर सर्वसम्मति से स्वीकार भी करने लगा है।
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सर्वमान्य नेता नहीं बन पाये
यहां तक कि चांदपुर विधानसभा में टिकट के दावेदारों में विकास गुप्ता का नाम प्रमुखता से लिया जाने लगा है। लेकिन केवल इतने भर से आप सर्वमान्य नेता नहीं बन जाते हैं। चुनाव जीतने के लिए आपको सबका साथ-सबका विश्वास-सबका विकास के साथ-साथ सबके प्रयास की महती आवश्यकता है।
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खरगोश की हार का कारण ओवर-कॉन्फिडेंस था
विकास गुप्ता उर्फ़ रॉकी एक बेहद सुलझे हुए औऱ समझदार व्यक्ति हैं। उन्हें यह समझना ही होगा कि कछुए और खरगोश में से जीत कछुए की हुई थी। खरगोश की हार का कारण उसका अति-आत्मविश्वास था। ओवर कॉन्फिडेंस हमेशा नुकसान ही करता है। यह राजनीति है। यहाँ जो दिखता है, अक्सर वह नहीं होता। लेकिन जो होता है वह अक्सर दिखाई नहीं देता है। आगे आप खुद समझदार हैं।