समाजवादी पार्टी के संस्थापक और उत्तर प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव जिन्हें कथिततौर पर मुल्ला मुलायम सिंह के नाम से जाना जाता है, का मुगल प्रेम अद्भुत और बेमिसाल है. इसके साथ ही स्वयंभू समाजवादी दल के मुखिया और मुलायम सिंह के सुपुत्र भी अपने पूज्य पिताजी के नक्शेकदम पर ही आगे बढ़ रहे हैं.
कारसेवकों पर चलवाईं गोलियां
मुलायम सिंह यादव की मुगलभक्ति की यूं तो कई मिसाले हैं परन्तु ३० अक्टूबर १९९० में अयोध्या में श्री रामजन्मभूमि स्थल पर विश्व हिन्दू परिषद द्वारा आयोजित “विशाल कारसेवा” को विफल करने के लिए उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव द्वारा “मुगलभक्तों” को यह आश्वासन दिया गया था कि “अयोध्या में परिंदा भी पर नहीं मार सकता”. इसके बावजूद वीएचपी के स्वयंसेवकों ने पुलिस बैरिकेड तोड़कर उस समय के विवादित स्थल पर भगवा झंडा लहरा दिया था. इसके बाद मुलायम सिंह यादव ने निहत्थे कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया था. जिसमें सैंकड़ों निर्दोष कारसेवक धर्म की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गये थे.
मुल्ला मुलायम सिंह या जनरल डायर
उस समय का यह हृदयविदारक दृश्य किसी भी रूप में जलियांवाला बाग़ से कम नहीं था. और मुल्ला मुलायम सिंह यादव की तुलना जनरल दायर से कम नहीं कही जा सकती है. माना जाता है कि उस समय निहत्थे कारसेवकों पर हैलिकॉप्टर से गोलियां चलाई गई थीं. हालाँकि इसका कोई ठोस प्रमाण सामने नहीं आया. लेकिन माना जाता है कि एक चुनावी सभा के दौरान मुल्ला मुलायम सिंह ने इस नरसंहार के लिए अपनी पीठ थपथपाई थी.
मन्दिर की जमीन कब्रिस्तान के नाम करा दी गई
श्री बांके बिहारी जी सेवाट्रस्ट की ओर से याचिका दाखिल की गई. जिसमें आरोप लगाया गया कि २००४ में जब यूपी में मुलायम सिंह यादव की सरकार थी तो उनकी पार्टी के यूथ ब्रिगेड नेता भोला खान पठान ने एक अर्जी दी थी. इस अर्जी पर तत्कालीन मुख्य सचिव ने त्वरित कार्यवाही करते हुए आदेश जारी किये थे. जिसके पश्चात् मन्दिर की जमीन कब्रिस्तान के नाम दर्ज हो गई थी. मंदिर ट्रस्ट ने इसके खिलाफ कई बार शिकायत की किन्तु कोई कारवाई नहीं हुई.
मुल्ला मुलायम सिंह ने ज्ञानवापी तहखाने पर लगवा दी स्टील की बाड़
१९९३ में एक बार फिर से सत्ता मुल्ला मुलायम सिंह के हाथ में आई. इस बार मुलायम सिंह यादव ने वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद में व्यासजी तहखाने में पूजा बंद करवा दी थी. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार माननीय नयायालय में दी गई एक याचिका में यह आरोप लगाया गया था कि १९९३ में मुल्ला मुलायम सिंह यादव सरकार ने बिना किसी न्यायिक आदेश के लॉ एंड आर्डर का हवाला देते हुए तहखाने पर स्टील की बाड़ लगवा दी थी.
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