सम्पूर्ण भारत में धर्मनिरपेक्षता के पैरोकार और शांतिदूत हिंसा, आगजनी और तोड़फोड़ कर रहे हैं. लेकिन बड़े आश्चर्य की बात है कि बात-बात पर धर्मनिरपेक्षता, संविधान और मानवाधिकारों की दुहाई देने वाले विपक्ष के नेता लगातार भड़काऊ बयानबाजी कर रहे हैं.
कश्मीर में धारा ३७० का विरोध करने वाली कांग्रेस एनआरसी और नागरिकता संशोधन विधेयक का भी विरोध करने में लगी है और लगातार पाकिस्तान की भाषा बोल रही है. गोडसे और सावरकर का विरोध करने वाले राहुल गाँधी और उनकी बहन प्रियंका वाड्रा लगातार उप्रदवियों और दंगाइयों के पक्ष में धरने दे रहे हैं.
उधर समाजवादी पार्टी भी प्रदेश में पूरी तरह से आग में घी डालने का कार्य कर रही है. एक नेता जी जो अपने बाप के नहीं हुए वह देश के क्या होंगे। ऐसा लग रहा है कि मानो कांग्रेस ने देश की और समाजवादी पार्टी ने प्रदेश की सुपारी उठा रखी हो, जाहिर है जिस तरह की भाषा कांग्रेसी और समाजवादी पार्टी बोल रही है और कुकृत्यों को अंजाम दे रही है वह कोई सुपारी किलर ही दे सकता है. सुपारी देने वाले उनके पाकिस्तानी आका जो भाषा बोल रहे हैं ठीक वही भाषा अक्षरक्षः ये लोग दोहरा रहे हैं.
कुल मिलाकर आईएसआई अपने मंसूबों में पूरी तरह से कामयाब हो रही है. उधर वामपंथी चाइना के एजेंट की तरह काम कर रहे हैं, दरअसल वामपंथ को पुष्पित-पल्ल्वित करने वाला चाइना ही है. माओवाद के कट्टर समर्थक वामपंथी हमेशा से भारत के टुकड़े-टुकड़े करने में लगे रहे हैं. जेएनयू उसी वामपंथी विचारधारा को पालने-पोसने में लगी रहती है.
महाराष्ट्र में शिवसेना की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है, उनकी तो सीधी सी कहानी है- “धोबी का कुत्ता, घर का न घाट का”. रहा सवाल स्वरा भास्कर, फरहान अख्तर, जावेद जाफरी जैसे भाँडो का तो इन्हें तो इनके बाप का नहीं पता, तो इन्हें कानून का क्या पता होगा।
कुल मिलाकर इस समय जो लोग नागरिकता संशोधन विधयेक, और एनआरसी का विरोध कर रहे हैं, उनमें कोई भी आम आदमी नहीं है. बल्कि या तो हताश और निराश विपक्ष है, या बॉलीवुड के भांड हैं.