जैसे-जैसे लोकदल और समाजवादी पार्टी के गठबंधन की खबरें सामने आ रही हैं। वैसे-वैसे गठबंधन का टिकट लेने वालों की लाईन भी लंबी होती जा रही है।
मौहम्मद अरशद भी गठबंधन से टिकट की लाईन में
अब समाचार मिल रहा है कि 2017 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके मौहम्मद अरशद भी गठबंधन से टिकट लाईन में लग गए हैं। विश्वसनीय सूत्रों से मिले समाचारों के अनुसार मौहम्मद अरशद लगातार लोकदल प्रमुख जयंत चौधरी से सम्पर्क बनाये हुए हैं।
बड़े नाटकीय ढंग से समाजवादी पार्टी से अपने को अलग कर लिया
यहां यह बताना जरुरी है कि मौहम्मद अरशद ने समाजवादी के टिकट पर अपनी पूज्यनीय माता जी को चांदपुर नगरपालिका अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़वाया था। जिसमें वह विजयी घोषित हुई थीं।
लेकिन उसके कुछ समय पश्चात ही मौहम्मद अरशद ने बड़े नाटकीय ढंग से समाजवादी पार्टी से अपने को अलग कर लिया था। उन्होंने अपनी ही एक राजनीतिक पार्टी बनाने की भी घोषणा कर दी थी।
हालांकि बाद में उनकी सारी घोषणाएं हवा-हवाई ही साबित हुई थीं। और आज तक उनकी उस तथाकथित राजनीतिक पार्टी का कार्यालय खुल ही नहीं पाया।
मुस्लिम दिग्जजों को करारी हार का सामना करना पड़ा था
2017 में मौहम्मद अरशद ने जो राजनीतिक खेल खेला था। उसके चलते शहर के दो दिग्गज मुस्लिम नेताओं का राजनीतिक जीवन खतरे में आ गया था। और एक पूर्व विधायक और एक पूर्व चेयरमैन को करारी हार का मुहं देखना पड़ा था।
नगरपालिका चुनाव पर है पैनी नज़र
अब एक बार फिर से मौहम्मद अरशद वही दांव खेल खेलने की तैयारी कर रहे हैं। और इधर विधानसभा में ज़ोर आजमाने का प्रयास कर रहे हैं। तो उधर चांदपुर नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष पद पर भी उनकी पैनी नज़र है।
अभी तो पूरे चेयरमैन भी नहीं बने हैं
उधर जनता-जनार्दन का कहना है कि अभी तो अरशद साहब पूरे चेयरमैन भी नहीं बन पाए थे। तब ऐसे में पूरे एमएलए बनने की तैयारी किसकी शह पर कर रहे हैं।
जनता त्रस्त भैया मस्त
दरअसल, चांदपुर नगरपालिका की कार्यप्रणाली से शहर की जनता बेहद त्रस्त है। दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी को बीच मझदार में छोड़कर अपनी पार्टी बनाने की कवायद ने सपा के सच्चे सिपाहियों को बहुत तगड़ा झटका दिया था।
उन तमाम लोगों की भावनाओं को भी बहुत गहरा आघात पहुंचा था। जिन्होंने तन-मन-धन से मौहम्मद अरशद का चुनाव केवल इसलिये लड़वाया था। क्योंकि उन्हें लगता था कि मौहम्मद अरशद समाजवादी पार्टी को और अधिक मज़बूत बनाने का प्रयास करेंगे। लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात निकला।
चांदपुर की जनता को भी किसी प्रकार का कोई लाभ नहीं पहुंचा था। सुना है कि मौहम्मद अरशद साहब के निवास पर एक तख़्ती लटका दी गई थी। जिसपर लिखा था-कृपया थाने और तहसील सम्बन्धी कार्यों के लिए सम्पर्क न करें।
हालांकि हम इस ख़बर की पुष्टि नहीं करते लेकिन यदि ऐसा हुआ था। तो इसे किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं माना जा सकता है।
राजनीतिक दलों करें विचार मंथन
बहरहाल, कुल मिलाकर अगर देखा जाए तो मौहम्मद अरशद को जीत दिलाकर आम जनता को निराशा ही हाथ लगी। और न ही समाजवादी पार्टी को किसी प्रकार का कोई लाभ पहुंचा था।
बेहतर होगा कि समाजवादी पार्टी और उसके सहयोगी दलों को किसी भी व्यक्ति को टिकट देने से पूर्व एक बार गहनता के साथ अपने वरिष्ठ कार्यकर्ताओं और आम जनता से विचार मंथन करना ही चाहिए।
हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती
ताकि उन्हें यह समझ आ जाये कि हर चमकने वाली चीज़ सोना नहीं होती।
कुछ लोगों की फ़ितरत में होता है कि वह कभी किसी के नहीं होते। राजनीतिक पार्टियों को ऐसे तोताचश्म लोगों से हमेशा बचकर रहना चाहिए।