Symbolic |
आजकल अधिकांश लोग किसी राजनीतिक पार्टी से इसलिए जुड़ना पसंद करते हैं ताकि जब उनकी पार्टी की सत्ता आये तो वह लोग सरकारी अधिकारियों पर रौब ग़ालिब कर सकें. कम से कम पिछली सरकारों में तो ऐसा ही होता रहा है. उत्तर प्रदेश में सपा और बसपा पार्टी का मामूली कार्यकर्ता भी अपने को हाईकमान से कम नहीं समझता था और कम से कम थाने/तहसीलों में तो उसका पूरा रौब चलता था. लेकिन जबसे योगी सरकार आई है तबसे भाजपा के एक आम कार्यकर्ता की बात तो बहुत दूर की है, खुद भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं की भी नहीं चलती, और तो और भाजपा के विधायकों तक की भी कोई सरकारी अफसर सुनने को तैयार नहीं, एक सब-इंस्पेक्टर यानि दरोगा जी भी किसी भाजपा नेता की धौंस को सुनने को तैयार नहीं हैं.
एक राष्ट्रीय स्तर के समाचार-पत्र में अभी हाल ही की एक घटना का जिक्र है जिसके अनुसार धामपुर के कालागढ़ मार्ग पर बारात के दो पक्षों के बीच मारपीट हो गई थी. जिसका पता चलते ही खाकी वर्दी वाले कुछ लोगों को उठाकर थाने ले आये और उन्हें बंद कर दिया. इसकी खबर मिलते ही सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेता खाकी वर्दी पर सत्ता का रौब ग़ालिब करने पहुँच गए और बंद लोगों में से एक व्यक्ति को निर्दोष बताते हुए उसे छोड़ने की सिफारिश करने लगे. लेकिन खाकी वर्दी ने खाकी कुरता-धारियों की एक न सुनी, जिसके चलते बात तू-तू,मैं-मैं तक पहुँच गई. इस पर खाकी वालों का पारा गर्म हो गया और उन्होंने सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को तुरंत हवालात की हवा खिला दी. जब इसकी खबर कुछ और ऊँचें नेताओं को लगी तो वो भी सिफारिश के लिए थाने आ धमके, सुना है कि वहां फिर से खाकी और खादी में वाकयुद्ध प्रारम्भ हो गया, लेकिन नतीजा वही रहा ढाक के तीन पात. बहरहाल, सुबह के समय एक प्रदेश स्तरीय नेताजी के बीच-बचाव करने के बाद रात में बंद किये गए खादी वर्दीधारी छोड़े गए.
इसे कहते हैं “नमाज बख्शवाने गए थे, रोजे गले पड़ गए.” हालाँकि इसी खबर के साथ धामपुर सी.ओ अर्चना सिंह का वर्जन भी लगा है जिसमें उनका कहना है कि “मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं है, भाजपा नेताओं के साथ कोई अभद्रता नहीं हुई है और न ही उन्हें हवालात में बैठाया गया है. बारात में दो पक्षों के बीच कुछ विवाद हुआ था, जिसपर कार्यवाही की गई.”
लेकिन इसे सुनने के बाद चांदपुर क्षेत्र के एक भाजपा कार्यकर्त्ता का कहना है कि ‘शास्त्री जी, ऐसी भगवा नेतागिरी से क्या फायदा, जो हवालात की हवा खिलवा दे”. इन महोदय का कहना था कि शास्त्री जी, अब ये बात तो वाकई सोचने वाली है कि जिन सत्तापक्ष के नेताओं को रातभर हवालात में मच्छरों से कुश्ती लड़नी पड़ी हो वो बेचारे अब किस मुहं से अपने को नेता कहेंगे. इससे तो सपा/बसपा वाले ही अच्छे थे.
भइय्या इसपर हम तो इतना ही कहेंगे-
भगवा-भगवा चिल्लाये के, जो दियो योगीजी का साथ रे.
नेतागिरी भी हाथ से जाई, और दर्शन कीजो हवालात के..
एक राष्ट्रीय स्तर के समाचार-पत्र में अभी हाल ही की एक घटना का जिक्र है जिसके अनुसार धामपुर के कालागढ़ मार्ग पर बारात के दो पक्षों के बीच मारपीट हो गई थी. जिसका पता चलते ही खाकी वर्दी वाले कुछ लोगों को उठाकर थाने ले आये और उन्हें बंद कर दिया. इसकी खबर मिलते ही सत्ताधारी पार्टी के कुछ नेता खाकी वर्दी पर सत्ता का रौब ग़ालिब करने पहुँच गए और बंद लोगों में से एक व्यक्ति को निर्दोष बताते हुए उसे छोड़ने की सिफारिश करने लगे. लेकिन खाकी वर्दी ने खाकी कुरता-धारियों की एक न सुनी, जिसके चलते बात तू-तू,मैं-मैं तक पहुँच गई. इस पर खाकी वालों का पारा गर्म हो गया और उन्होंने सत्ताधारी पार्टी के नेताओं को तुरंत हवालात की हवा खिला दी. जब इसकी खबर कुछ और ऊँचें नेताओं को लगी तो वो भी सिफारिश के लिए थाने आ धमके, सुना है कि वहां फिर से खाकी और खादी में वाकयुद्ध प्रारम्भ हो गया, लेकिन नतीजा वही रहा ढाक के तीन पात. बहरहाल, सुबह के समय एक प्रदेश स्तरीय नेताजी के बीच-बचाव करने के बाद रात में बंद किये गए खादी वर्दीधारी छोड़े गए.
इसे कहते हैं “नमाज बख्शवाने गए थे, रोजे गले पड़ गए.” हालाँकि इसी खबर के साथ धामपुर सी.ओ अर्चना सिंह का वर्जन भी लगा है जिसमें उनका कहना है कि “मुझे ऐसी कोई जानकारी नहीं है, भाजपा नेताओं के साथ कोई अभद्रता नहीं हुई है और न ही उन्हें हवालात में बैठाया गया है. बारात में दो पक्षों के बीच कुछ विवाद हुआ था, जिसपर कार्यवाही की गई.”
लेकिन इसे सुनने के बाद चांदपुर क्षेत्र के एक भाजपा कार्यकर्त्ता का कहना है कि ‘शास्त्री जी, ऐसी भगवा नेतागिरी से क्या फायदा, जो हवालात की हवा खिलवा दे”. इन महोदय का कहना था कि शास्त्री जी, अब ये बात तो वाकई सोचने वाली है कि जिन सत्तापक्ष के नेताओं को रातभर हवालात में मच्छरों से कुश्ती लड़नी पड़ी हो वो बेचारे अब किस मुहं से अपने को नेता कहेंगे. इससे तो सपा/बसपा वाले ही अच्छे थे.
भइय्या इसपर हम तो इतना ही कहेंगे-
भगवा-भगवा चिल्लाये के, जो दियो योगीजी का साथ रे.
नेतागिरी भी हाथ से जाई, और दर्शन कीजो हवालात के..
Disclaimer: इस लेख से जुड़े सर्वाधिकार इस वेबसाइट/ब्लॉग के संचालक मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री” के पास सुरक्षित हैं. इसमें प्रकाशित किसी भी लेख के किसी भी हिस्से को लिखित पूर्वानुमति के बिना प्रकाशित नहीं किया जा सकता. ब्लॉग में प्रकाशित किसी भी लेख या उसके किसी हिस्से को उद्धृत किए जाने पर लेख का लिंक और वेबसाइट का पूरा सन्दर्भ (www.sattadhari.com) अवश्य दिया जाए, अन्यथा इसे कॉपीराइट का उल्लंघन माना जायेगा. कड़ी कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है.