विरोध हमेशा उसी का होता है जो या तो किसी का कुछ बना सकता हो या फिर किसी का कुछ बिगाड़ सकता है। जो न तो किसी का कुछ बिगाड़ सकता है और न ही बना सकता है, उसका न तो कोई विरोध होता है और न ही समर्थन। जिसका न विरोध हो और न ही समर्थन, वह व्यक्ति कभी नेता नहीं बन सकता।
आज सम्पूर्ण विपक्ष श्री मोदी का डटकर विरोध कर रहा है और वहीं दूसरी ओर जनता लगातार “हर-हर मोदी, घर-घर मोदी” कर रही है।
एक समय था जब भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी का जबरदस्त विरोध हुआ था, और दूसरी ओर उनके समर्थक “इंडिया इज़ इंदिरा, इंदिरा इज़ इंडिया” का नारा बुलंद कर रहे थे। आज वह नारा बदल गया है, अब कहा जा रहा है – मोदी है तो मुमकिन है।
विरोध या समर्थन व्यक्ति का नहीं होता, बल्कि व्यक्तित्व का होता है, विचारों का होता है। मतभेद हमेशा वैचारिक ही होते हैं। *”विचारों से संगठन का निर्माण होता है और संगठन से शक्ति का निर्माण होता है, और जहां शक्ति होती है वहां राष्ट्र का निर्माण होता है।”* इसीलिए कहा जाता है कि संगठन में ही शक्ति है।
श्री नरेन्द्र मोदी ने इस देश के हिन्दू समाज को “गर्व से कहो हम हिन्दू हैं” का एक विचार दिया है। ठीक उसी प्रकार जैसे वीर दामोदर सावरकर ने “हिन्दुराष्ट्र” का विचार दिया था।
जो हिन्दू समाज कल तक गांधीवाद की बात करता हुआ, गांधी के तीन बंदरों की तरह अपना मुंह, आंख और कान बन्द किये बैठा था। वह हिन्दू जो अपने आपको “हिन्दू” कहते हुए डरता था, हिन्दू संस्कृति की बात करते हुए घबराता था, वह आज “जय श्रीराम” का उदघोष कर रहा है। जो हिन्दू अयोध्या में अपने आराध्य प्रभु श्रीराम के दर्शनों के लिए तरसता था, वह आज श्रीरामजन्मभूमि पर एक भव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण का श्रीगणेश कर रहा है। जो कल तक कश्मीर में जिहादियों की ललकार सुनकर ख़ामोश हो जाता था, वही हिन्दू आज उन्हें ललकार रहा है। श्री नरेंद्र मोदी की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका और उनका योगदान यही है कि उन्होंने सोते हुए हिंदुओं को जागरूक किया है, उन्हें संगठित किया है और उनका मार्गदर्शन किया है। मोदी विरोध का सबसे बड़ा कारण ही यह है कि जिन हिंदुओं को “धर्मनिरपेक्षता” और “भाईचारे” की घुट्टी पिलाकर गहरी नींद में सुला दिया गया था, मोदी ने उन हिंदुओं के स्वाभिमान को ललकार कर उन्हें सुषुप्त अवस्था से जाग्रत अवस्था में ला दिया है।
नरेंद्र मोदी हमें जाग्रत करता है, प्रेरित करता है और हमें हमारे राष्ट्र के प्रति कर्तव्यों के लिए आगे बढ़ने के लिए ललकारता है। मोदी हमें जीवन मूल्यों के प्रति, अपने देश के प्रति, अपनी संस्कृति, अपने समाज और अपने कुल के प्रति स्वाभिमानी बनने की प्रेरणा देता है।
कांग्रेस ने हमें गांधीवाद सिखाया और मोदी ने हमें राष्ट्रवाद सिखाया। हम अपने राष्ट्र में रहकर उसके अन्न-जल से पोषण प्राप्त करके अपना, अपने परिवार और अपने समाज के विकास में सहयोगी बनते हैं। इसलिए उस राष्ट्राभिमान को जाग्रत रखना चाहिए। वर्षों पुराने इस मूलमंत्र को आज मोदी ने पुनः हमारे कानों में फूंक दिया है।
बस यही किया है मोदी ने, यही योगदान है मोदी का, यही बनाया है मोदी ने औऱ यही मोदी विरोध का महत्वपूर्ण कारक है। लेकिन याद रखिये मोदी का जितना विरोध होगा, उतना ही उसका समर्थन बढ़ेगा, क्योंकि हर क्रिया की एक प्रतिक्रिया होती है, जो बल में समान होती है परन्तु दिशा में विपरीत होती है।
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
व्हाट्सऐप-
9058118317
ईमेल-
manojchaturvedi1972@gmail.com
ब्लॉगर-
https://www.shastrisandesh.co.in/
फेसबुक-
https://www.facebook.com/shastrisandesh
ट्विटर-
https://www.twitter.com/shastriji1972
*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।