एक राष्ट्रीय चैनल पर जाने-माने पत्रकार श्रीमन अमरीश देवगन जी के एक शो में हुई एक डिबेट के दौरान शोएब जमाई जो अपने आपको इस्लामिक स्कॉलर लिखते हैं, ने एक शब्द कहा “भगवा तालिबानी गैंग”। इसी शो में माजिद हैदरी जो अपने को कश्मीरी पत्रकार बताते हैं, ने कहा कि “तालिबानी बेचारे हैं, भारत को उन्हें 1 बिलियन डॉलर की मदद करनी चाहिए”। एक सवाल के जवाब में माजिद हैदरी ने कहा कि “तालिबान में पेट्रोल 70 रुपये लीटर है, मुझे वहां से पेट्रोल भरकर लाने दीजिये”। इन्हीं माजिद हैदरी ने एक अन्य प्रश्न के उत्तर में कहा कि “बाबर ने देश को ताकतवर बनाया और औरंगजेब ने देश को एकता प्रदान की।”
शोएब जमाई से कोई पूछे कि भगवा का तालिबान से क्या ताल्लुक़ है? तालिबान का सीधा ताल्लुक़ तो देवबंदी विचारधारा से है, और तालिबानी अफगानिस्तान में इस्लामी हुक़ूमत और शरिया कानून लागू करना चाहते हैं। शोएब जमाई किस प्रकार के इस्लामिक स्कॉलर हैं जिन्हें यही नहीं मालूम कि देवबंदी तालीम इस्लामिक तौर-तरीके सिखाती है, न कि “भगवाधारी परम्पराएं”। शोएब जमाई जैसे लोगों को यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस दिन “भगवाधारियों” ने तालिबानी चोला पहन लिया, उस दिन शोएब जमाई जैसे “आतंकी दल्लों” को छुपने की जगह नहीं मिलेगी।
उधर माजिद हैदरी कहते हैं कि “तालिबानी बेचारे हैं और भारत सरकार को उन्हें 1 बिलियन डॉलर की मदद करनी चाहिए”. कोई माजिद हैदरी साहब से पूछे कि क्या तालिबानियों के अब्बा हुजूर यहां खजाना गाड़ कर गए थे जिसमें से उन्हें हिस्सा दिया जाए, या फिर भारत ने अनाथाश्रम चला रखा है जो ख़ैरात-ज़कात बांटेगा। शायद माजिद हैदरी भूल गए कि इससे पहले 1947 में इसी भारत ने पाकिस्तान को ख़ैरात दी थी, जिसका खामियाजा आज तक हमें भुगतना पड़ रहा है।
माजिद हैदरी साहब जैसे “तालिबान परस्तों” और तमाम आईएसआई के दल्लों को यह समझ लेना चाहिए कि भारत में अब सांपों को दूध पिलाने की परंपरा ख़त्म सी हो गई है। अब तो नागों के फन कुचलने की परंपरा शुरू करनी होगी। अलबत्ता माजिद हैदरी साहब चाहें तो कश्मीर की सड़कों पर चंदा मांगकर तालिबान के लिए ख़ैरात इकट्ठा कर लें।
माजिद हैदरी साहब कहते हैं कि तालिबान में पेट्रोल 70 रुपये लीटर है, उसे वहां से पेट्रोल लाने दिया जाए। अरे माजिद हैदरी साहब, जब आपको तालिबान से पेट्रोल 70 रुपये मिल रहा है और वहां इस्लामिक स्टेट भी बन गया है, तो आप वहां से तेल भरकर क्यों ला रहे हैं, बल्कि अपने परिवार सहित वहीं बस जाइए ताकि आपको अपनी औक़ात का पता चला जाये। वहां रहकर पेट्रोल गाड़ी में भरवाओ या अपने “गांव” में, किसी को क्या फ़र्क़ पड़ेगा।
भारत को भी उन तमाम नमक-हरामों से मुक्ति चाहिए, जो खाते तो भारत का हैं, और गीत अपने बाप तालिबान का गाते हैं। ऐसे लोग भारत की इस पावन भूमि पर बोझ ही तो हैं। सच्चाई तो यह है कि इस देश में कई “हरामखोर” आईएसआई के दलाल हैं, जो दीमक की तरह इस देश को खोखला करने में लगे हैं। यह लोग सही मायने में आस्तीन के सांप हैं, जो “कथित सेक्युलिरिज्म” की आड़ में पल रहे हैं। कुछ तो केवल सपोले हैं लेकिन बड़े-बड़े ज़हरीले नाग इस देश में हैं जो हमारे राष्ट्र और राष्ट्रीयता को डसने को हमेशा तैयार रहते हैं। हमें वक्त रहते ही इन ज़हरीले नागों के फन कुचलने होंगे।
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
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