आयरन लेडी के नाम से जानी जाने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती को उनके निर्णय और अनुशासन के लिए विशेष रूप से जाना जाता है। अपने इसी गुण के कारण प्रदेश की जनता आज भी उनके शासनकाल को याद करती है।
कुमारी मायावती के बारे में यह अक्सर सुनने में आता रहा कि वह एक इंसाफ पसंद महिला हैं और किसी के भी साथ वह नाइंसाफी पसंद नहीं करतीं। किन्तु इस बात को धरातल पर समर्थन मिला जब मायावती ने अपनी पार्टी के बेहद वफ़ादार और पुराने कार्यकर्ता मौहम्मद इकबाल ठेकेदार को न केवल पार्टी में वापस लेने का निर्णय किया बल्कि उन्हें 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी की ओर से प्रत्याशी बनाये जाने का भी निर्णय लगभग कर लिया है, ऐसा लगातार सुनने में आ रहा है।
मायावती का यह निर्णय न केवल पार्टी हित में है बल्कि सर्वसमाज के लोगों के भी हित में भी माना जा रहा है। यदि यह निर्णय धरातल पर उतरता है तब निश्चित रूप से बिजनौर की अवाम विशेषतः मुस्लिम समाज के लिए बहनजी का 2019 के आगमन पर दिया गया सबसे बड़ा तोहफा होगा। मौहम्मद इकबाल ठेकेदार जिस समाज से आते हैं, उसका एक बड़ा वोटबैंक बिजनौर जिले में मौजूद है।
अभी तक मुस्लिम समाज अपने को ठगा सा महसूस कर रहा था क्योंकि उन्हें अपना कोई मज़बूत प्रतिनिधि नहीं दिखाई दे रहा था और साथ ही उन्हें इस बात का भी अंदेशा था कि कहीं बसपा-सपा का गठबंधन किसी ऐसे व्यक्ति को टिकट न दे दे जो दलबदलू हो और किसी ऐसे समाज से आता हो जो न तो दलितों की भावनाओं को समझे और न ही मुस्लिम समुदाय की रक्षार्थ कोई ठोस कदम उठा सके।
दूसरे मुस्लिम समाज लगभग एकसुर में इस बात पर सहमत था कि इसबार गठबंधन का टिकट मुस्लिम समाज के ही किसी व्यक्ति को मिलना चाहिए। क्योंकि नगीना तो पहले से ही सुरक्षित सीट है, ऐसे में वहां पर किसी मुस्लिम को टिकट मिलने का कोई अवसर नहीं है, लेकिन बिजनौर लोकसभा सीट पर मुस्लिम समुदाय के किसी प्रत्याशी को टिकट मिलने में कोई परेशानी नहीं है। आंकड़ों की बाजीगरी के हिसाब से भी मुस्लिम समुदाय को ही प्राथमिकता मिलनी चाहिए।
इसे कुमारी मायावती की राजनीतिक दूरदर्शिता और सर्वसमाज को जोड़े रखने की काबलियत ही माना जायेगा कि उन्होंने बहुत जल्द बिजनौर की अवाम के रुख को भांप लिया और इस सीट को मौहम्मद इकबाल ठेकेदार को देने का मन बना लिया।
मौहम्मद इकबाल ठेकेदार न केवल एक कुशल राजनीतिज्ञ हैं बल्कि सर्वसमाज को साथ लेकर चलने की भी क्षमता रखते हैं। मुस्लिम समुदाय के साथ-साथ दलित समाज को भी उन्होंने एक लंबे समय तक साथ जोड़े रखा है।
बहरहाल, कुल मिलाकर बिजनौर लोकसभा सीट पर एक मजबूत प्रत्याशी उतारा जाना, बसपा-सपा गठबंधन और बिजनौर की अवाम, दोनों के ही हित में होगा।
-मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”