“हिन्दू” के साथ आतंकवाद शब्द कभी इस्तेमाल नहीं होता था. मालेगाँव और समझौता ट्रेन धमाकों के बाद एक गहरे षड्यंत्र के तहत हिन्दू संगठनों को इस धमाके में घसीटा गया. जिन बेगुनाह हिन्दुओं को गिरफ्तार किया गया वो इतने सालों तक जेल में रहने के बाद भी बेकसूर साबित हुए. मुंबई हमलों के पश्चात् एक कांग्रेसी नेता ने कथित रूप से इसके पीछे हिन्दू संगठनों की साजिश का दावा किया था. कांग्रेसी नेता के इस बयान को पाकिस्तान ने खूब इस्तेमाल किया था. पर अफ़सोस की बात ये है कि पार्टी की ओर से इस बयान का कभी कोई खंडन नहीं किया गया. Performindia.com नामक एक वेबसाइट में छपे एक लेख के अनुसार अभिनव भारत संस्था से जुड़े सुधाकर चतुर्वेदी को मालेगांव ब्लास्ट के बाद २३ अक्टूबर २००८ को नासिक से गिरफ्तार कर मुंबई ले जाया गया था. सुधाकर चतुर्वेदी ने कहा कि साध्वी प्रज्ञा को जाँच अधिकारीयों ने लैपटॉप पर पोर्न मूवी और अश्लील फोटो दिखाकर टॉर्चर किया गया. उन्होंने आगे बताया कि कर्नल पुरोहित के साथ भी ऐसा ही किया गया. इसी लेख में यह भी बताया गया है कि १८ फरवरी २००७ को समझौता एक्सप्रेस में ब्लास्ट में पाकिस्तानी मुसलमानों को किस तरह से बचाया गया और हिन्दू को फंसाया गया. दरअसल समझौता ब्लास्ट केस के बहाने “हिन्दू” आतंकवाद नाम का शब्द रचा गया. लेख में बताया गया है कि इस केस में एक पाकिस्तानी आतंकवादी पकड़ा गया था और उसने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया था लेकिन महज १४ दिनों में उसे चुपचाप छोड़ दिया गया. इसके बाद इस केस में स्वामी असीमानंद को फंसाया गया ताकि भगवा आतंकवाद को अमली जामा पहनाया जा सके.
कांचीपुरम के वरदराजपेरूमल मन्दिर के प्रबन्धक शंकररामन की हत्या ३ सितम्बर २००४ को कर दी गई थी. इस हत्याकांड में कुल २४ लोगों पर आरोप लगाये गए थे और जयेंद्र सरस्वती को प्रमुख आरोपी बनाया गया. बाद में उनके कनिष्ठ विजयेन्द्र को भी गिरफ्तार किया गया. नवम्बर २००४ में कांग्रेस के सत्ता में आने के कुछ महीनों के अंदर ही दीपावली के मौके पर शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती को हत्या के केस में गिरफ्तार करवाया गया. सुनवाई के दौरान २००९ से लेकर २०१२ तक १८९ गवाहों से पूछताछ की गई थी. उनमें से ८३ गवाह मुकर गए. २७ नवम्बर २०१३ को पन्दुचेर्री की अदालत ने शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती और उनके कनिष्ट विजयेन्द्र सरस्वती को बरी कर दिया गया.
१७ दिसम्बर २०१० को विकिलीक्स ने राहुल गाँधी की अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर से २० जुलाई २००९ को हुई बातचीत का एक ब्यौरा दिया. राहुल गाँधी की जो बात सार्वजनिक हुई उसने देश के १०० करोड़ हिन्दुओं के बारे में राहुल गाँधी और पूरी कांग्रेस पार्टी की सोच को सबके सामने ला दिया. इस ब्योरे के अनुसार राहुल ने अमेरिकी राजदूत से कहा था, “भारत विरोधी मुस्लिम आतंकवादियों और वामपंथी आतंकवादियों से बड़ा खतरा देश के हिन्दू हैं”. कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने एक विवादास्पद बयान में कहा था कि “जो लोग मंदिर जाते हैं वो लडकियाँ छेड़ते हैं”.
२००७ में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि चूँकि राम, सीता, हनुमान और वाल्मीकि वगेरह काल्पनिक किरदार हैं इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है. कांग्रेस ने हमेशा कॉमन सिविल कोड का विरोध किया जबकि कांग्रेस ही हिन्दू कोड बिल लेकर आई थी. जब एनडीए सरकार ने असम में हिन्दुओं और गैर-मुसलमानों को नागरिकता देने का फैसला किया, तो कांग्रेस ने विरोध किया. हिन्दुओं के सबसे अहम मंदिरों में से के सोमनाथ मंदिर को दोबारा बनाने का नेहरु ने विरोध किया था. नेहरु ने कहा था कि सरकारी खजाने का पैसा मन्दिरों पर खर्च नहीं होना चाहिए. नेहरु को तो बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में “हिन्दू” शब्द पर ही आपत्ति थी. जबकि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मुस्लिम शब्द से नेहरु को कभी आपत्ति नहीं हुई.
२०१४ में करारी हार मिलने के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए.के एंटनी ने भी पहली बार स्वीकार किया था कि पार्टी को हिन्दू विरोधी छवि के चलते नुकसान हुआ है.