तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने ‘द लर्किंग हाइड्रा: साउथ एशियाज टेरर ट्रैवेल’ पुस्तक के विमोचन के पश्चात उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए PFI अर्थात पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया नामक चरमपंथी इस्लामिक संगठन और उसके राजनीतिक आकाओं की पूरी पोल-पट्टी खोलकर रख दी है।
‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक बहुत खतरनाक संगठन है’
तमिलनाडु के राज्यपाल ने कहा,
‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया एक बहुत ही खतरनाक संगठन है। इसके 60 से ज्यादा फ्रंट हैं। इन्होंने ह्यूमन राइट्स री-हैबिलेटेशन का मुखौटा लगा रखा है। इसके छात्र यूनियन के रूप में काम कर रहे हैं। अनिवार्य रूप से इसका उद्देश्य इस देश को भीतर से अस्थिर करना है।”
राजनीतिक दल पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का समर्थन कर रहे हैं
राज्यपाल आरएन रवि ने कहा कि,
“देश में ऐसे राजनीतिक दल हैं जो अपने स्वयं के राजनीतिक निहित स्वार्थ के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का समर्थन कर रहे हैं। इन्हें विदेशों से फंडिंग हो रही है। यह एक ऐसा खतरा है जिससे हमें बहुत ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है।”
राजनीतिक संसाधन के रूप में हिंसा का उपयोग आतंकवाद
आरएन रवि ने कहा कि राजनीतिक संसाधन के रूप में हिंसा का उपयोग आतंकवाद का कार्य है। इसे लेकर कोई भ्रम नहीं होना चाहिए, चाहे वह माओवादी हो, चाहे कश्मीर में हो या पूर्वोत्तर में।
“इस देश में कोई भी संस्था जो राजनीतिक संसाधन के रूप में हिंसा का उपयोग करती है, वह आतंकवाद का कृत्य है।”
विदेशी स्रोतों से प्रेरित हैं
राज्यपाल ने आगे कहा कि, “कुल मिलाकर आतंकवाद के सभी कार्य जो हमारे देश में हुए हैं, वे विदेशी स्रोतों से प्रेरित हैं। विदेशी ताकतों ने उन्हें उकसाया है। एक बार नहीं कई बार उकसाए गए। भारत पर कितने देशों ने यह खेल खेला है।”
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की स्थापना और उद्देश्य
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) एक चरमपंथी इस्लामिक संगठन है। जिस पर अक्सर मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने, बड़े पैमाने पर धर्मांतरण करने और कुछ राष्ट्र-विरोधी संगठनों के साथ स्थिर संबंध बनाए रखने का आरोप लगाया जाता है, अब इस पर प्रतिबंध की मांग जोर पकड़ रही है।
1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद तीन मुस्लिम संगठनों – केरल के राष्ट्रीय विकास मोर्चा, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु के मनीथा नीति पासारी के विलय के बाद 2006 में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) केरल में शुरू किया गया था। केरल में, इसके पूर्व के अधिकांश नेता प्रतिबंधित स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) के सदस्य थे। पीएफआई खुद को अल्पसंख्यक समुदायों, दलितों और समाज के अन्य कमजोर वर्गों के लोगों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध एक नव-सामाजिक आंदोलन के रूप में वर्णित करता है। केरल में, एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर पी कोया को संगठन का सबसे बड़ा नेता माना जाता है।
पीएफआई का अपना ड्रेस कोड है
पीएफआई की वर्दी है और वह अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर अभ्यास करता है। 2013 में, केरल सरकार ने उसकी स्वतंत्रता परेड पर प्रतिबंध लगा दिया था, जो वह हर साल स्वतंत्रता दिवस पर आयोजित करती है, जब पुलिस ने पाया कि उसके कार्यकर्ता वर्दी पर सितारे और प्रतीक ले जा रहे थे।
2014 में, केरल सरकार ने उच्च न्यायालय में एक हलफनामा प्रस्तुत किया था जिसमें कहा गया था कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के कार्यकर्ता कम से कम 27 राजनीतिक हत्याओं, 86 हत्या के प्रयास के मामलों और 125 से अधिक मामलों में सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने के लिए शामिल थे।
अल जरुल खलीफा’ नामक एक समूह का गठन किया
2015 में, इसके 13 कार्यकर्ताओं को एक कॉलेज के प्रोफेसर टीजे जोसेफ की हथेली काटने के लिए आजीवन कारावास की सजा दी गई थी।
2016 में, जब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने उत्तरी केरल के कन्नूर में कनकमाला में एक गुप्त बैठक में भाग लिया, तो वे सदमे में थे। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (IS) से प्रेरित होकर, युवाओं के एक समूह ने कथित तौर पर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने और विभिन्न समुदायों के बीच अशांति फैलाने के लिए ‘अल जरुल खलीफा’ नामक एक समूह का गठन किया था।
और बाद में, एनआईए ने इसे केरल में पहले आईएस मॉड्यूल के रूप में नामित किया था। केंद्रीय एजेंसी ने बाद में पाया कि गिरफ्तार किए गए लोगों में से कुछ पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के सदस्य थे। इसके कुछ महीने बाद, उत्तरी केरल के एक गांव से महिलाओं और बच्चों सहित कम से कम 22 लोग गायब हो गए; खुफिया अधिकारियों का मानना है कि वे अफगानिस्तान में आईएस में शामिल हुए थे।
पीएफआई को बलि का बकरा बनाना चाहते हैं
पीएफआई ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि हाल के अधिकांश अभियानों का उद्देश्य ज्वलंत मुद्दों से ध्यान भटकाना था। “अब कुछ टीवी चैनल और राजनीतिक दल पीएफआई को दोष देने की होड़ में हैं । उन्हें बलि का बकरा चाहिए और वे ध्यान हटाना चाहते हैं।
हमारा दृष्टिकोण
कुल मिलाकर यह कहना अतिश्योक्ति न होगी कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया आईएसआईएस का भारतीय संस्करण है। जिसका मूल उद्देश्य भारत को दारुल इस्लाम बनाकर यहां इस्लामी हुकूमत को कायम करना है। दूसरे शब्दों में कहें तो गजवा-ए-हिन्द की महत्वाकांक्षा रखने वाले तमाम कट्टरपंथियों का एक झुंड है, जिसे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम दिया गया है। उससे बड़ी विडंबना यह है कि भारत के कुछ राजनीतिक दल अपने निहित स्वार्थों की पूर्ति और सत्तालोलुपता के चलते जयचन्द बनकर पीएफआई जैसे मौहम्मद गौरी को भारत में स्थापित होने लिए सहायता कर रहे हैं।
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