मैं पिछले सप्ताह लखनऊ यात्रा पर था। इस दौरान भाजपा और विपक्ष के कई वरिष्ठ नेताओं और समाजसेवियों से वार्तालाप करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। गौरक्षा पर भी चर्चा हुई।
गौरक्षा अभियान क्या है
भाजपा एक वरिष्ठ नेता और गौरक्षा हेतु प्रदेश भर में विशेष अभियान चला रहे एक नेताजी से हमारी जब बातचीत हुई, तब हमने उनसे पूछा कि महोदय आप प्रदेश भर में गौरक्षा अभियान छेड़े हुए हैं, परन्तु प्रश्न यह है कि गौसेवा अभियान चलाने से आपको परहेज क्यों है?
गौरक्षा या गोसेवा
कहने लगे कि गौरक्षा ही तो गोसेवा है। हमने उनसे कहा कि महोदय, आप शायद किसी भ्रम में हैं, गौरक्षा और गोसेवा दोनों ही अलग-अलग विषय हैं। यदि भारतवर्ष का प्रत्येक गोभक्त वास्तव में गोसेवा करे तो नि:संदेह प्रदेश की ही नहीं अपितु सम्पूर्ण विश्व के गोवंश की रक्षा की जा सकती है।
गौरक्षा के नाम पर पाखण्ड
परन्तु विडंबना यह है कि अधिकांश हिन्दू विशेषकर गौरक्षा दलों अथवा संगठनों के नेतागण गौरक्षा के नाम पर पाखण्ड और प्रपंच रचने में लगे हैं।
किन नेताओं ने गोमाता की सेवा की है
मैं पूछता हूँ उन तमाम नेताओं से जो गोरक्षा अभियान चला रहे हैं कि उनमें से कितने नेताओं ने अपने घरों अथवा फार्म हाउसों में गाय माता को पाला हुआ है?
मंदिरों में पाली जाए गाय
कितने मंदिरों में गोमाता की सेवा की जाती है। सम्पूर्ण उत्तर प्रदेश में लाखों की संख्या में मंदिर बने हुए हैं, यदि प्रत्येक मंदिर में मात्र एक गाय भी पाली जाए तो लाखों गोमाताओ की सेवा और रक्षा की जा सकती है।
मंदिर के चढ़ावे से हो गोसेवा
प्रत्येक मंदिर में जो चढ़ावा चढ़ाया जाता है यदि उसका 10 प्रतिशत भी उस मंदिर में पाली जा रही गोमाता की सेवा में लगा दिया जाए तो भरपूर गोसेवा हो सकती है। और तमाम निराश्रित गोवंश को आश्रय मिल सकता है।
हिन्दू पियें गाय का दूध
यदि प्रत्येक हिन्दू अपने बच्चों को गाय का दूध पिलाये और स्वयं भी पिये तो लाखों-करोड़ों घरों में गाय का दूध, दही, घी और मक्खन पहुंचेगा जिससे गोवंश डेयरी उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रत्येक हिन्दू निकाले एक रोटी
यदि प्रत्येक हिन्दू प्रतिदिन एक रोटी अथवा थोड़ा सा हरा चारा भी गाय माता के लिए निकाले तो लाखों-करोड़ों निराश्रित गोवंशों को पेटभर भोजन मिल सकता है।
भाजपा विधायक पालें 100 गाय
यदि श्रीयोगी सरकार बड़े-बड़े भाजपा नेताओं, विधायकों और सांसदों के लिए न्यूनतम 100 गाय पालना अनिवार्य कर दे तो किसी भी स्वघोषित गौरक्षक दल अथवा संगठन की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
गोमांस के निर्यात पर लगे पूर्ण प्रतिबंध
यदि पशुवधगृह में गोवंशों के कटान को पूर्ण प्रतिबंधित कर दिया जाए और गोमांस के निर्यात पर कठोरता से प्रतिबंध लगा दिया जाए तो सम्पूर्ण भारत में गोवंश की स्वतः ही रक्षा हो सकती है।
प्रपंच की राजनीति
लेकिन कटु सत्य यह है कि गौरक्षा की आड़ में पाखण्ड और प्रपंची राजनीति को पुष्पित और पल्लवित किया जाता है।
चांदपुर के नेताओं से प्रश्न
चांदपुर शहर के तमाम हिन्दू नेताओं, भाजपा नेताओं और स्वघोषित गोरक्षकों से बहुत विनम्रता के साथ हम प्रश्न पूछना चाहते हैं कि इनमें से कितने महानुभाव ऐसे हैं जिन्होंने अपने घरों, फार्मों अथवा प्रतिष्ठानों में गोवंश पाल रखे हैं?
किसने किया है भोजन और आश्रय स्थल की व्यवस्था
क्या शहर में एक भी ऐसा नेता है जिसने निराश्रित गोवंश हेतु भोजन और आश्रय स्थल की समुचित व्यवस्था कर रखी हो।
उत्तर की प्रतीक्षा में ……….
- ✍️मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार-सम्पादक उगता भारत
9058118317
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राहुल गांधी की बातों में तर्क ढूंढना मतलब चील के घोंसले में मांस ढूंढना