उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में दोबारा शपथ लेने वाले बाबा योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में निमंत्रण पर बोलते हुए सपा मुखिया अखिलेश यादव का कहना है कि “न मुझे बुलाया जाएगा और न ही मैं जाऊंगा”।
क्या कोरोना वैक्सीन न लगवाने जैसा है
उल्लेखनीय है कि यह वही अखिलेश यादव हैं जिन्होंने कोरोना वैक्सीन लगवाने पर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कहा था कि “मैं भाजपा की वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा” लेकिन बाद में न केवल अखिलेश यादव बल्कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव सहित समस्त परिवार ने कोरोना की वैक्सीन लगवा ली थी। तो क्या शपथ ग्रहण समारोह में न जाना भी कुछ वैक्सीन न लगवाने जैसा ही है।
शपथ ग्रहण समारोह में जाने के क्या कारण हैं
श्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में न जाने का जो संकल्प अखिलेश यादव ने लिया है। उसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं, यह एक बेहद अहम सवाल है।
यह चुनाव हारने की खिसियाहट तो नहीं है
क्या इसके पीछे चुनाव हारने की खिसियाहट है। क्या यह मानकर चला जाये कि 2022 विधानसभा चुनावों में मिली करारी शिकस्त से सपा मुखिया बुरी तरह से बौखला गए हैं और उसी खिसियाहट में वह योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह से दूरी बनाकर अपनी खिसियाहट को उजागर कर रहे हैं। मतलब खिसियाने सपाई, शपथ समारोह से दूरी बनाई।
कट्टरपंथी वोटबैंक खिसकने का डर
2022 विधानसभा चुनाव में जिस प्रकार से योगिफोबिया के शिकार कट्टरपंथी समाज के लोगों ने समाजवादी पार्टी को एकजुट होकर खुला समर्थन किया था। अब अगर अखिलेश यादव श्री योगी आदित्यनाथ के शपथ ग्रहण समारोह में जाते हैं तो उन्हें निश्चित रूप से उस कट्टरपंथी वर्ग की कड़ी नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। और हो सकता है कि उनका पारंपरिक कट्टरपंथी वोटबैंक आने वाले चुनावों में उनसे किनारा कर ले। ऐसे में आने वाले 2024 लोकसभा चुनावों में उन्हें बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। दूसरे शब्दों में कहें तो अखिलेश यादव को लगता है कि उनका एक ग़लत कदम उनकी पार्टी को सपामुक्त प्रदेश वाली स्थिति में लाकर खड़ा कर सकता है।
बहन-बेटियों को घर से निकालने वाले अखिलेश को बख़्श देंगे
जिन लोगों की मानसिकता इतनी घटिया है कि वह इसलिए अपनी पत्नियों को तलाक़ और बहन-बेटियों को घर से निकाल सकते हैं कि उन्होंने श्री योगी को वोट दिया। तो वह लोग अपने आंखों के तारे-राजदुलारे अखिलेश यादव और उनकी पार्टी का क्या हश्र करेंगे इसका अनुमान तो सहज ही लगाया जा सकता है।
राजनीतिक सौहार्द के लिये यह अच्छे लक्षण नहीं हैं
या फिर यह भी एक कारण हो सकता है कि अखिलेश यादव अपनी झेंप मिटाने के लिये ऐसा कह रहे हों। हो यह भी सकता है कि अखिलेश यादव में स्पोर्ट्स मैन स्प्रिट नहीं है। यानी उन्हें अपनी हार नहीं पच रही है,या दूसरे शब्दों में वह योगी जी की जीत को हज़म नहीं कर पा रहे हैं।
बहरहाल, कारण कोई भी हो लेकिन इतना तय है कि इस बार अखिलेश यादव श्री योगी बाबा के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के इच्छुक नहीं दिखाई दे रहे हैं। और राजनीतिक सौहार्द के लिए यह अच्छे संकेत नहीं हैं।
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