लोकसभा चुनावों की सुगबुगाहट शुरू होते ही “लव जिहाद” का जिन्न बोतल से बाहर झांकने लगा है।
सरकारों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया
हालांकि इसे पूरी तरह से नकारा तो नहीं जा सकता। और कई बार देश की अदालतों और बुद्धिजीवी वर्ग ने इस विषय पर चिंता ज़ाहिर की है। लेकिन राजनीतिक कारणों के चलते इस गम्भीर से गम्भीरतम होते जा रहे विषय को किसी भी राजनीतिक दल अथवा देश की मौजूदा एवं पूर्ववर्ती सरकारों ने कभी कोई ठोस कदम उठाने की ज़हमत गवारा नहीं की।
लव जिहाद की आड़ में मुस्लिम समुदाय को निशाना
इसके विपरीत देश के चंद पाखंडी, धूर्त और अवसरवादी स्वघोषित हिन्दू ठेकेदारों ने इस मुद्दे की चिंगारी को हवा देकर देश की एकता, अखंडता और साम्प्रदायिक सौहार्द को पलीता लगाने की हरसम्भव कोशिश की है, और “लव जिहाद” की आड़ में मुस्लिम समुदाय को ख़ासकर निशाना बनाने का हरसम्भव प्रयास किया है।
क्या लव जिहाद एक गम्भीर समस्या है
प्रश्न ये है कि यदि वास्तव में लव जिहाद एक गम्भीर समस्या है तो तथाकथित हिंदूवादी संगठनों, स्वघोषित हिन्दू नेताओं/राजनीतिक दलों और पाखंडी बाबाओं और पोंगा पंडितों ने इस समस्या के समाधान के लिए किस तरह के प्रयास किये हैं।
लव जिहाद में कथित हिंदूवादी संगठनों की भूमिका
क्या किसी हिंदूवादी संगठन/संगठनों ने हिन्दू समाज की युवा पीढ़ी को मगदर्शित करने के लिए कोई सेमिनार अथवा सभा की है जिसमें हिन्दू समाज की युवापीढ़ी विशेषकर महिलाओं को हिन्दू धर्म, हिन्दू संस्कृति एवं सभ्यता के विषय में गहनता और गम्भीरता के साथ मार्गदर्शित करने का प्रयास किया गया हो?
विशेष प्रकोष्ठ/आयोग की मांग
क्या किसी भी हिन्दू संगठन अथवा राजनैतिक दल ने सरकार से एक ऐसे विशेष प्रकोष्ठ/आयोग की मांग की है जिसका एकमात्र उद्देश्य ऐसी समस्याओं से जूझती महिलाओं अथवा लव जिहाद की शिकार युवतियों की मानसिक स्थिति अथवा उनकी आर्थिक और सामाजिक जीवन को प्रभावित करने वाली तमाम परिस्थितियों को समझने और समझाने का प्रयास करना हो?
कई नामी-गिरामी हस्तियों ने की दूसरे धर्मों में शादी
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जो लोग “लव जिहाद” का ढोल गले में लटकाए घूमते हैं, उन्होंने कभी यह जानने या बताने का प्रयास किया कि इस देश के कई शीर्ष हिंदूवादी नेताओं के सुपुत्र-सुपुत्रियों ने स्वयं की इच्छा से “मुस्लिम धर्म” के युवा-युवतियों से विवाह किये हैं. बॉलीवुड के कई नामी-गिरामी हस्तियों ने दूसरे धर्मों में शादियां की हैं।
ग़ैर सम्प्रदाय में विवाह पर रोक क्यों नहीं
प्रश्न यह भी है कि यदि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका “लव जिहाद” की समस्या को लेकर वास्तव में चिंतित हैं तो इस पर कोई ठोस संवैधानिक कदम क्यों नहीं उठाया जा रहा है। आखिर क्यों नहीं इस देश में ग़ैर-सम्प्रदाय अथवा धर्म की युवक-युवतियों के विवाह को ग़ैर-कानूनी घोषित कर दिया जाता है?
कथित हिन्दू नेताओं की राजनीति ख़तरे में
यदि ऐसा कोई कानून बना दिया जाए तो न सिर्फ़ “लव जिहाद” की आड़ में इस देश के अल्पसंख्यक समुदाय के ख़िलाफ़ ज़हर उगलने वाले तथाकथित हिन्दू नेताओं की राजनीति खतरे में आ जायेगी वरन पाखंडी औऱ पोंगापंथियों की भी शामत आते देर नहीं लगेगी।
जन्नत की हक़ीक़त क्या है
लेकिन सच तो ये है साहब, कि सबको मालूम है कि जन्नत की हक़ीक़त क्या है, लेकिन दिल को बहलाने के लिए ग़ालिब ये ख़्याल अच्छा है।
- ✍️मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
समाचार-सम्पादक उगता भारत
9058118317
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मुस्लिम समाज का हित केवल बसपा में ही सुरक्षित-डॉ. शकील हाशमी
लवजिहाद: एक समस्या, षड्यंत्र या राजनीतिक प्रोपोगेंडा पार्ट-1