“राम भारत की आत्मा हैं। राममंदिर में सभी को आस्था है। राम ही सबके जीवन के प्रेरणा स्रोत हैं। राम का चरित्र इतना त्यागमय है कि उसकी सीख लेने पर सब समस्याएं खत्म हो जाएंगी”- कांग्रेस के पूर्व विधायक भूधर मिश्रा।
अब ज़रा तस्वीर का दूसरा रुख़ देखिये
2007 में कांग्रेस सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि राम, सीता, हनुमान और वाल्मिकी काल्पनिक किरदार हैं, इसलिए रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं माना जा सकता है।
श्रीराम किस कमरे में पैदा हुए ये बताना मुश्किल
दिल्ली में राष्ट्र विरोधी संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित ‘एक शाम बाबरी मस्जिद के नाम’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मणिशंकर अय्यर ने भगवान राम, अयोध्या स्थित राम जन्मभूमि स्थल सभी को कठघरे में खड़ा कर दिया था। अय्यर ने कहा था कि “राजा दशरथ एक बहुत बड़े राजा थे, उनके महल में 10 हजार कमरे थे, लेकिन भगवान राम किस कमरे में पैदा हुए ये बताना बड़ा ही मुश्किल है।” इसलिए ये दावा करना कि राम वहीं पैदा हुए थे, यह ठीक नहीं है।
राम इतिहास या साहित्य की रचना है
कांग्रेस सांसद कुमार केतकर ने 2 अगस्त को जी न्यूज पर एक चर्चा के दौरान कहा कि- “रामायण की वजह से राम का अस्तित्व है। हालांकि, इस निष्कर्ष पर पहुंचना अभी बाकी है कि राम इतिहास या साहित्य की रचना है या नहीं। वाल्मीकि ने एक महान महाकाव्य लिखा था और इसका प्रभाव भारत और विदेशों दोनों में महसूस किया गया था। लेकिन, मुझे नहीं पता कि वह इतिहास में मौजूद है या नहीं।”
इस्लाम की कुरीति की तुलना श्रीराम से
तीन तलाक पर सुनवाई के दौरान राहुल गांधी के करीबी कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने इस्लामी कुरीति की तुलना श्रीराम से कर दी थी।
सबसे बड़ा खतरा देश के हिन्दू से है
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष श्री राहुल गांधी ने अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर से 20 जुलाई 2009 को हुई एक बातचीत में कहा था, ‘भारत विरोधी मुस्लिम आतंकवादियों और वामपंथी आतंकवादियों से बड़ा खतरा देश के हिन्दू से है।’ 17 दिसंबर, 2010 को विकीलीक्स ने इस बातचीत का एक ब्यौरा दिया था। अमेरिकी राजदूत के सामने दिया गया राहुल गांधी का यह बयान कांग्रेस पार्टी की वास्तविक विचारधारा को दर्शाता है।
महिलाओं पर अत्याचार भारतीय संस्कृति की देन
राहुल गांधी ने जर्मनी में कहा था कि “भारत में महिलाओं के खिलाफ जो अत्याचार होते हैं, उसकी वजह भारतीय संस्कृति है।”
सरकार का काम लोगों को तीर्थ यात्रा कराना नहीं है
मध्य प्रदेश में भाजपा सरकार ने 2012 में “तीर्थ दर्शन योजना” की शुरुआत की थी। इसके अंतर्गत वृद्धों को सरकारी खर्चे पर धार्मिक यात्राएँ कराई जाती थीं। लेकिन, कमलनाथ के नेतृत्व में बनी कॉन्ग्रेस सरकार ने इस योजना को रद्द कर दिया था। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बुजुर्गों को इस योजना के तहत वैष्णो देवी, रामेश्वरम्, तिरुपति, काशी और द्वारका धाम की यात्रा कराने का कार्यक्रम बना था।
कमलनाथ सरकार के एक मंत्री ने इस योजना पर सवाल खड़े करते हुए इसे बंद करने की वकालत करते हुए कहा था कि – “सरकार का काम लोगों को तीर्थ यात्रा कराना नहीं है।” इतना ही नहीं इन मंत्री महोदय के अनुसार आईफा अवॉर्ड जैसे आयोजनों से प्रदेश का विकास होगा।
तीर्थदर्शन योजना में लोग भक्तिभाव से नहीं, बल्कि घूमने-फिरने के लिए जाते हैं
कमलनाथ सरकार के सहकारिता मंत्री और कॉन्ग्रेस नेता गोविंद सिंह ने इस योजना को ही फालतू बताया था। उन्होंने तीर्थ स्थल जाने वालों के श्रद्धा पर भी सवाल खड़े किए थे। उन्होंने कहा था, “तीर्थदर्शन योजना में लोग भक्तिभाव से नहीं, बल्कि घूमने-फिरने के लिए जाते हैं। खुद के मेहनत के रुपयों से भगवान के दर पर जाएँगे तो उनके जीवन में खुशहाली आएगी। ऐसी योजनाएँ विकास के बजाय सिर्फ वोटरों को लुभाने के लिए शुरू की गई हैं। अब उन्हें बंद किया जाना चाहिए।”
मंदिर में लोग लड़कियां छेड़ने जाते हैं
उल्लेखनीय है कि कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अगस्त 2014 में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राजीव गॉंधी की 70वीं जयंती पर महिला कॉन्ग्रेस के अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा था, “जो लोग मंदिर जाते हैं, मंदिर में जाकर मत्था टेकते और जो आपको मॉं-बहन कहते हैं वही लोग आपको बस में छेड़ते हैं।”
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि आजकल श्री राहुल गांधी जी की बहन श्रीमती प्रियंका वाड्रा भी मंदिरों में मत्था टेकते हुए घूमती हैं। हो सकता है कि प्रियंका जी ने राहुल गांधी जी की इस चेतावनी पर ध्यान न दिया हो। कि मंदिर में लड़कियां छेड़ी जाती हैं।
कांग्रेस को ऐसा करने के लिए बीजेपी ने ‘मजबूर’ किया है
जब शशि थरूर से यह सवाल पूछा गया कि अचानक राहुल गांधी का मंदिरों में जो विश्वास बढ़ा है उसके पीछे क्या कारण हैं। थरूर ने कहा, ‘हम (कांग्रेस) अब लंबे समय से यह महसूस कर रहे हैं कि हमें अपना निजी विश्वास जबरदस्ती पब्लिक के सामने दिखाना पड़ रहा है। हम ईश्वर में भरोसा करते हैं लेकिन हमें कभी ऐसा नहीं लगा कि हमें इसका प्रदर्शन आम जनता के सामने करना चाहिए। क्योंकि कांग्रेस पार्टी नेहरू जी के धर्मनिरपेक्ष विचारों की पार्टी है, वह स्वतंत्रता संग्राम के दौर से इन्हीं विचारों पर कायम है।’
थरूर ने कहा, ‘लेकिन कांग्रेस को ऐसा करने के लिए बीजेपी ने ‘मजबूर’ किया है। बीजेपी ने ‘सच्चे हिंदू और नास्तिक धर्मनिरपेक्ष’ के बीच अंतर दिखाने की यह ‘लड़ाई’ छेड़ी है।’ थरूर ने आगे कहा, ‘और भारत जैसे देश में अगर यह बहस छेड़ी जाए, जहां धर्म गहरे तक जुड़ा है, तो वहां धर्मनिरपेक्षता की हमेशा हार होगी। ऐसे में हमने भी यह तय किया कि अब हमें भी अपने धार्मिक विश्वास का प्रदर्शन करना होगा, लेकिन हम इसमें भी सभी को साथ लेकर चलेंगे और दूसरे धर्मों को भी स्वीकार करते हुए आगे बढ़ेंगे।’
मोदी है तो मुमकिन है
इसका सीधा सा अर्थ है कि कांग्रेस का सच सामने लाने में भारतीय जनता पार्टी और श्री नरेन्द्र मोदी जैसे सच्चे राष्ट्रवादी हिन्दू नेताओं की बहुत बड़ी भूमिका है। शायद इसीलिये कहा जाता है कि मोदी है तो मुमकिन है।
वैसे कांग्रेसी नेताओं के उपरोक्त तमाम बयानों को पढ़ने और समझने के बाद और आज की कांग्रेस की प्रभु श्रीराम भक्ति को देखते हुए यह प्रश्न तो बनता ही है कि कहीं कांग्रेस अब थूक कर तो नहीं चाट रही है।