“मैं अनुसूचित जाति के उन लोगों को, जो इस समय पाकिस्तान में फंसे हुये हैं, यह कहना चाहता हूं कि वह भारत आ जाएं। दूसरी बात मैं यह कहना चाहता हूं कि अनुसूचित जाति के लोग, चाहे वह पाकिस्तान में हों या हैदराबाद में, मुसलमानों या मुस्लिम-लीग पर विश्वास न करें, यह उनके लिए घातक होगा। अनुसूचित जाति के लोगों में मुसलमानों को अपना हितैषी मानने की आदत सी बन गई है, केवल इसलिए कि उनके मनों में हिंदुओं के प्रति रोष है। यह दृष्टिकोण उचित नहीं है”.
( धनजंय कीर कृत ‘अम्बेडकर : जीवन और लक्ष्य’, पृष्ठ 498) (ब्लिट्ज़ 24 अप्रैल, 1993 में उद्धत)
पाकिस्तान बनने के कुछ समय पश्चात ही हिंदुओं को बलात मुसलमान बनाने के समाचार जब बाबा साहेब को मिले तब बाबा साहेब अधीर हो उठे थे। उस वक्त उन्होंने (अम्बेडकर ने) पाकिस्तान सरकार की भर्त्सना करते हुए यह वक्तव्य निर्गत किया था.
यह बयान उन तमाम लोगों को जरूर पढ़ना औऱ समझना चाहिये जो लोग हाथों में बाबा अम्बेडकर साहेब की तस्वीर लेकर नागरिकता संशोधन कानून (CAA) का विरोध कर रहे हैं, विशेषतः बाबा साहेब अंबेडकर के नाम पर राजनीति करने वाले चंद्रशेखर उर्फ रावण सहित समस्त दलित नेता जो कि बाबा साहेब को अपना आदर्श मानते हैं, यह बयान उन सभी लोगों के लिए भी एक बेहतर उदाहरण है जो कि “जय भीम-जय मीम” के नारे लगाते हुए उन लोगों का समर्थन कर रहे हैं जो कानून हाथ में लेकर भी अपने को संविधान का रक्षक बताने से नहीं चूकते।
इस बयान के बाद भी यदि आपकी आंख नहीं खुलतीं तो इसका अर्थ है कि आपने बाबा साहेब के विचारों, उनके सिद्धान्तों और उनके मार्गदर्शन को गम्भीरता से नहीं लिया है।