लखनऊ के एसजीपीजीआई के वैज्ञानिकों ने फ्लोरीडा और स्पेन के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर किये गए अनुवांशिक शोध के बाद यह निष्कर्ष निकला कि भारतीय मुसलमानों के जींस एक जैसे ही हैं. शोध लखनऊ, रामपुर, बरेली और कानपुर जैसे शहरों के करीब २४०० मुसलमानों और हिन्दुओं पर किया गया था. वैज्ञानिक इस शोध को चिकित्सा स्वास्थ्य की दिशा में बड़ी सफलता माना गया.
अमेरिका की फ्लोरिडा अन्तर्राष्ट्रीय युनिवर्सिटी के डिपार्टमेंट ऑफ़ बायोलोजिकल साइंस के डॉ. मारिया सी टेरेरोस, डेयान रोवाल्ड, रेने जे हेरेरा, स्पेन की युनिवर्सिटी डी विगो के डिपार्टमेंट ऑफ़ जेनेटिक्स के डॉ. जेवियर आर ल्यूस और लखनऊ स्थित संजय गाँधी पीजीआई के अनुवांशिक रोग विभाग की प्रोफेसर सुरक्षा अग्रवाल और डॉ. फैजल खान ने शिया और सुन्नी मुसलमानों के जीन पर लम्बे शोध के बाद यह निष्कर्ष निकाला है. इनके शोध को अमेरिकन जर्नल ऑफ़ फिजिकल एन्थ्रोपोलॉजी ने भी स्वीकार किया है. प्रोफेसर सुरक्षा अग्रवाल बताती हैं कि रिसर्च शुरू करने से पहले उन्होंने मेडीकल काउन्सिल ऑफ़ इंडिया के साथ ही एसजीपीजीआई से नीतिगत सहमती हासिल की. इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में रहने वाले मुस्लिम परिवारों का एक डेटाबेस तैयार किया गया. उसे एक्सेल शीट पर लिस्टेड किया गया. इसके बाद स्टेटिकल टेबल के माध्यम से रेंडमली नामों और जानकारियों को सलेक्ट किया गया. इसके बाद टीम ने सलेक्ट किये गए लोगों से मुलाकात की. उनके साथ इन्टरव्यू किया गया. साथ ही उन्हें इस रिसर्च के बारे में पूरी जानकारी दी गई.
रिसर्च में पता चला कि प्रदेश के शिया और सुन्नी मुसलमान और हिन्दुओं के जीन में कोई अंतर नहीं है. इतना ही नहीं विज्ञानियों ने तुलनात्मक अध्ययन में भारतीय हिन्दुओं, अरब देशों, सेंट्रल एशिया, नार्थ ईस्ट अफ़्रीकी देशों के मुसलमानों के जीन के बीच भी किया तो पाया कि भारतीय मुसलमानों के जीन भारतीय हिन्दुओं से पूरी तरह मेल खाते हैं, मजे की बात ये है कि इनके जीन विदेशी मुसलमानों से मेल नहीं खाते.
विशेष नोट- इस लेख में छपी जानकारी विभिन्न वेबसाइट में प्रकाशित लेखों से संकलित की गई है. इस लेख का उद्देश्य किसी भी प्रकार से साम्प्रदायिक दुर्भावना फैलाना नहीं है.
संकलन- मनोज चतुर्वेदी
स्रोत- दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक लेख से सम्पादित कुछ अंश