चाँदपुर में आजकल एक चर्चा बहुत जोरों पर है औऱ वो है कि 2019 में बिजनौर लोकसभा से बसपा का प्रत्याशी कौन होगा? एक दैनिक समाचार-पत्र ने कुछ दिन पहले मौहम्मद इकबाल ठेकेदार(पूर्व विधायक बसपा) को टिकट होता हुआ बताया, जबकि उसी अखबार ने हाल ही में हाजी कादिर राणा के पुत्र इमरान राणा को टिकट दिलवा दिया। कुछ लोगों ने मुनीर ख़ालिद(भूतपूर्व चेयरमैन अमीर खालिद के साहबजादे) को बसपा टिकट का दावेदार बता दिया, एक पूरा ग्रुप कुंवरानी रुचिवीरा( पूर्व सदर विधायक, बिजनौर) को टिकट दिलाने में जी-जान से जुटा है, एक और साहब ने शाहनवाज राणा(भूतपूर्व विधायक बिजनौर) को टिकट का दावेदार ठहरा दिया, जबकि कुछ लोग मलूक नागर को सम्भावित प्रत्याशी बताने में जुटे हैं।
कुल मिलाकर जितने मुहं उतने ही बसपा प्रत्याशी।
लेकिन मेरा मानना है कि बसपा का टिकट कोई कद्दू नहीं है जो सबको बंटेगा। वर्तमान में जो हालात हैं उन्हें देखते हुए एक बात तय है कि बिजनौर सीट पर चुनाव केवल बसपा और भाजपा के बीच ही रहेगा। लेकिन जीत किसकी होगी यह इस बात पर काफी हद तक निर्भर करेगा कि कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होगा, जाति/धर्म का होगा? और उसका कद क्या होगा?
दूसरी बात ये भी है कि चूंकि यह सीट बिजनौर लोकसभा की है जिसमें बिजनौर, चाँदपुर, पुरकाजी, मीरापुर और हस्तिनापुर विधानसभा शामिल हैं, ऐसे में यह देखना बेहद जरूरी है कि इन विधानसभाओं में किसकी कितनी भागीदारी है।
कल पूर्व विधायक इकबाल ठेकेदार से काफी लंबी बातचीत हुई, जिसमें उन्होंने अपना पक्ष बेहद मजबूती के साथ रखा, एक बात जो इकबाल ठेकेदार ने कही उससे अधिकतर लोग सहमत होंगे।
इकबाल ठेकेदार का यह कहना है कि वह 10 साल तक विधायक रहे किन्तु इन दस सालों में कभी भी चाँदपुर क्षेत्र में कोई जाति/ साम्प्रदायिक विवाद नहीं हुआ। जबकि कई ऐसे मौके आये जबकि खूनी संघर्ष हो सकता था, लेकिन तत्कालीन विधायक इकबाल ठेकेदार की सूझबूझ के चलते उन्हें टाल दिया गया, जिसके चलते खुद इकबाल ठेकेदार को अपने ही लोगों का विरोध भी झेलना पड़ा।
उसके बावजूद पूर्व विधायक इकबाल ठेकेदार ने शहर की अमन-शांति से कोई समझौता नहीं किया।
इससे एक बात तो स्पष्ट है कि ठेकेदार सर्वसमाज को साथ लेकर चलने वालों में से हैं।
कल की बातचीत से एक बात तो तय हो चुकी है कि बसपा के टिकट को लेकर इकबाल ठेकेदार के मन में कोई संदेह नहीं है और बहनजी से उन्हें बेहद मज़बूत संकेत मिल चुके हैं।
चाँदपुर की जनता के लिए यह एक बेहद अच्छा संकेत है। इकबाल ठेकेदार की सामाजिक और आर्थिक स्थिति बेहद मज़बूत है और राजनीतिक दृष्टिकोण से भी इकबाल ठेकेदार काफी सुलझे हुए खिलाड़ी हैं। दो बार विधायक रह चुके इकबाल ठेकेदार 2017 के विधानसभा चुनाव में तमाम विरोधों और अवरोधों के बावजूद भाजपा प्रत्याशी कमलेश सैनी को एक कड़ी टक्कर देने में सफल रहे थे। साथ ही साथ इकबाल बसपा के एक वफ़ादार सिपाही हैं, उनपर अभी तक दलबदलू का कोई ठप्पा नहीं लगा है।
बहरहाल, बसपा में “होगा तो वही, जो माया रची राखा”। किन्तु फिलहाल इकबाल समर्थकों और चाँदपुर की जनता में काफी उत्साह है, और बाकी विधानसभाओं से भी अच्छे संकेत आ रहे हैं।
खुद इकबाल ठेकेदार ने भी चुनावी बिगुल फूंक दिया है, और उनका आत्मविश्वास चरम सीमा पर है।
वैसे चाँदपुर की आम जनता को एक लंबे समय के बाद कोई शुभ संकेत मिलने जा रहा है, लेकिन ये “हासेदाना चाँदपुर” है, हसद अभी भी बाकी है मेरे दोस्त।
*-मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
(राजनीतिक विश्लेषक)