सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि असदुद्दीन ओवैसी यदि उत्तर प्रदेश के मतदाता बन जायें तो वह भी प्रदेश के मुख्यमंत्री हो सकते हैं। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में मुसलमान करीब 20 फीसदी हैं। उनकी हिस्सेदारी है तो सत्ता में भी उनकी भागीदारी होनी चाहिए, उनका अधिकार है, मुसलमानों का भी हिस्सा है। उन्होंने सवाल किया, ”मुसलमान का बेटा क्यों नहीं मुख्यमंत्री व उप-मुख्यमंत्री बन सकता है? क्या मुसलमान होना गुनाह है?”
ओमप्रकाश राजभर जी ने जो कुछ भी कहा है वह बिल्कुल सही बात है। उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री एक मुसलमान को ही बनाना चाहिए। ओवैसी ही क्यों? आजम खान, शफीकुर्रहमान बर्क़, एसटी हसन, इक़बाल महमूद, शाहिद सिद्दीकी, मुनकाद अली, इमरान मसूद और नसीमुद्दीन सिद्दीकी जैसे तमाम मुस्लिम नेता हैं जिन्हें उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने में कोई हर्ज नहीं है।
ओमप्रकाश राजभर की जिन्नावादी सोच से अखिलेश यादव और मायावती को भी सबक़ लेना चाहिए। समाजवादी पार्टी को इस बार आजम खान, शफीकुर्रहमान बर्क़ और एसटी हसन जैसे चेहरों को आगे करके चुनाव लड़ना चाहिए। लोकदल को शाहिद सिद्दीकी को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करना चाहिए और बसपा को मुनकाद अली को मौका देना चाहिए। आम आदमी पार्टी को चाहिए कि वह अमानुतुला खान को सामने लाये और कांग्रेस इमरान मसूद को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में प्रस्तुत करे।
यह कैसा सेक्युलरिज्म है कि मुसलमान वोट दे और मुख्यमंत्री बने अखिलेश यादव, मायावती, प्रियंका, केजरीवाल या जयंत चौधरी। जब वोट मुसलमानों का ले रहे हो तो मुख्यमंत्री भी तो उन्हीं का बनाओ, तभी तो मालूम होगा कि सपा, बसपा, कांग्रेस, लोकदल और आप जैसी पार्टियां “सेक्युलर जमात” में शामिल हैं। हिंदुओं को जातिवाद में उलझाकर और मुसलमानों को भाई चारा समझाकर जो लोग सत्ता की मलाई चाट रहे हैं, उन्हें उस भाईचारे और गंगा-जमुनी तहज़ीब के लिए कुछ तो कुर्बानी करनी ही चाहिए। मुसलमानों को भी उनका हक़ देना चाहिए।
भाजपा तो हिंदूवादी पार्टी है, कट्टरपंथी है, साम्प्रदायिक है, हिंदुओं की तरफदारी करती है, हिंदु राष्ट्र की पैरोकारी करती है, इसलिए वह तो किसी हिन्दू को, किसी भगवाधारी को ही अपना नेता चुनेगी,अपना मुख्यमंत्री चुनेगी। लेकिन जो लोग सेक्युलर हैं, मुस्लिम समाज के हितैषी हैं, हरे रंग को अपने घरों पर पुतवाते हैं, टोपियां पहनकर फोटो खिंचवाते हैं, अपने नाम से पहले “मुल्ला” लगवाते हैं, जयश्रीराम कहने से घबराते हैं, मजारों और दरगाहों पर चादरें चढ़ाते हैं, उन तमाम “स्वघोषित धर्मनिरपेक्ष” और “समाजवादी” पार्टियों को तो ओमप्रकाश राजभर की बातों का न केवल समर्थन करना चाहिए बल्कि सम्भव हो तो 2022 के लिए असदुद्दीन ओवैसी को ही अपना नेता घोषित कर देना चाहिए। यही भाईचारे और गंगा-जमुनी तहजीब का वास्तविक स्वरूप होगा और अपनी असल औक़ात का पता भी चलेगा।
ओमप्रकाश राजभर को भी यह भलीभांति समझना होगा कि जब वह यह मान रहे हैं कि मुसलमानों की हिस्सेदारी 20 प्रतिशत है और इसीलिए मुस्लिम को मुख्यमंत्री बनाने में कोई बुराई नहीं है, तो बेहतर होगा कि यह भी तो बताएं कि कौन सी बिरादरी का मुसलमान मुख्यमंत्री बनेगा और कौन सी का, उपमुख्यमंत्री बनेगा।
शेख़, मुग़ल, सैयद, पठान, अंसारी (बुनकर), झोझे, तेली (मलिक), रंगरेज़, सैफी(बढई), मंसूरी (धुने), धोबी, सलमानी(नाई), कुरैशी, कलाल, कुम्हार, लुहार, मियांसाब आदि कई जातियों के दावेदार मैदान में हैं। इनमें से चुनिए।
इसके अलावा यह भी बताएं कि उत्तरप्रदेश का अगला मुख्यमंत्री सुन्नी मुसलमान होगा या शिया मुस्लिम?
सुन्नी होगा तो देवबंदी होगा या बरेलवी?
हनफ़ी होगा, मालिकी होगा, शाफ़ई होगा या फिर हम्बली होगा?
सल्फी होगा, वहाबी होगा या अहले हदीस होगा? अहमदिया तो नहीं होगा??
अगर शिया होगा तो कौन सा होगा- इस्ना अशरी, ज़ैदिया, इस्माइली शिया या फिर दाउदी बोहरा, खोजा या फिर नुसैरी?
यह भी बताओ कि सवर्ण मुस्लिम होगा या फिर किसी पिछड़ा वर्ग का मुस्लिम मुख्यमंत्री बनेगा?
ओमप्रकाश राजभर, अखिलेश यादव, मायावती, संजय सिंह, जयंत चौधरी और तमाम सेक्युलर राजनीतिक जमात पहले यह तय कर ले कि कौन सी जाति, कौन से वर्ग और कौन से फ़िरक़े का मुसलमान उत्तरप्रदेश का मुख्यमंत्री बनेगा। राजभर साहब मुस्लिमों में कुल 73 फ़िरक़े हैं। बाकी की जानकारी अपने नूरे चश्म जनाब असदुद्दीन ओवैसी साहब से ले लीजिए।
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
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*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।
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