समाजवादी पार्टी के लखनऊ कार्यालय से मिली एक जानकारी के अनुसार बिजनौर संसदीय क्षेत्र से समाजवादी पार्टी ने लोकसभा सदस्य की उम्मीदवारी के लिए जो आवेदन मांगे थे उनमें केवल चार नाम ही सामने आए हैं, जिनमें अतुल प्रधान, स्वामी ओमवेश, संजीव यादव और एक मुस्लिम केंडिडेट जो कि मुजफ्फरनगर से बताए जा रहे हैं। अभी इन मुस्लिम उम्मीदवार का नाम स्पष्ट नहीं हो पाया है।
उधर ये भी कन्फर्म हो चुका है कि चांदपुर सीट से समाजवादी पार्टी के पूर्व विधानसभा प्रत्याशी मौहम्मद अरशद बिजनौर सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगे, उन्होंने मुरादाबाद सीट के लिए आवेदन किया है, और ऑप्शनल रूप में अमरोहा संसदीय क्षेत्र को चुना है।
वैसे इस बात के संकेत तभी से मिलने लगे थे जब मौहम्मद अरशद सपा के दिग्गज नेता आजम खान, महबूब अली और रुचिवीरा से नजदीकियां बढ़ा रहे थे।
यहां यह बता दें कि अमरोहा विधानसभा क्षेत्र में पूर्व शिक्षा मंत्री और वर्तमान सपा विधायक महबूब अली का वर्चस्व आज भी माना जाता है।
एक जिम्मेदार सपा नेता की मानें तो बिजनौर की पूर्व सदर विधायक कुंवरानी रुचिवीरा ने रामपुर संसदीय क्षेत्र से टिकट मांगा है। ये भी स्पष्ट हो गया है कि रुचिवीरा बिजनौर सीट से चुनाव नहीं लड़ेंगी और उनकी बिटिया भी कोई चुनाव नहीं लड़ रही हैं.
यह बिल्कुल आईने की तरह साफ दिख रहा है कि चांदपुर में आज भी स्वामी ओमवेश का दबदबा क़ायम है। इसी कारण से चांदपुर में उन नेताओं की राजनीति शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो गई जो दूसरों की राजनीति ख़त्म करने का दावा कर रहे थे।
स्वामी ओमवेश जाट बिरादरी से हैं और पूर्व गन्ना राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। गंगा पार के क्षेत्रों में भी स्वामी ओमवेश का अच्छा दबदबा है।
अतुल प्रधान को सपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव का करीबी माना जाता है और गंगा पार के क्षेत्रों में उनका भी एक खास दबदबा है। अतुल प्रधान गुर्जर समाज से हैं।
एक और बात जो सामने आई है वह यह है कि इस बार समाजवादी पार्टी बिजनौर संसदीय क्षेत्र से किसी मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट देने के पक्ष में नहीं है, हालांकि इस विषय में अभी तक कोई ठोस जानकारी हमें नहीं मिल पाई है लेकिन समाजवादी खेमे में ये चर्चा जोरों से है।
फिलहाल एक बात तय है कि स्वामी ओमवेश की आंधी ने चांदपुर के कई तिनकों को हवा में उड़ा दिया, अब फिलहाल चांदपुर की राजनीति में स्वामी ओमवेश का पुनः प्रवेश क्या रंग लाएगा ये तो भविष्य के गर्भ में है, किन्तु इतना तय है कि समाजवादी के कई नए चेहरों की राजनीति दफन हो सकती है।
-सपा सूत्रों के हवाले से
✍🏾मनोज चतुर्वेदी *शास्त्री*
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