श्रीराम और महाराज रावण के युद्ध के समय विभीषण जब अपने भाई और महान योद्धा कुम्भकर्ण को धर्म और नीति की दुहाई देते हुए, लंका के राज्य का लालच देकर कुम्भकर्ण को श्रीराम के साथ मिलकर महाराज रावण के ख़िलाफ़ युद्ध करने का प्रस्ताव रखता है, तब कुंभकरण कहते हैं कि-
“प्रत्येक व्यक्ति के लिए देश और काल के अनुसार धर्म और नीति के मायने बदल जाते हैं। कुम्भकर्ण कहते हैं कि रावण मेरा भाई और लंका का राजा है। मेरा धर्म और मेरे संस्कार अपने राजा और अपने भाई के शत्रु के साथ खड़े होने की आज्ञा नहीं देते। यदि मैं राम के साथ खड़ा होकर, रावण के विरुद्ध युद्ध लड़ूंगा तब मैं न केवल राजद्रोह अपितु भ्रातद्रोह का भी पाप करूँगा। मेरे भाई विभीषण भले ही तुम धर्मात्मा और लंका के राजा कहलाओ, परन्तु आने वाली पीढियां तुम्हें इस राजद्रोह और भ्रातद्रोह के लिए कभी माफ़ नहीं करेंगी। तुम अनन्तकाल तक एक गाली के रूप में ही याद रखे जाओगे, आने वाली पीढियां अपनी संतानों का नामकरण तुम्हारे नाम पर रखने में भी संकोच करेंगी।”
आज हजारों वर्ष बीतने के पश्चात भी पूरी दुनिया में विभीषण नाम एक गाली के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
आज जो लोग CAA का विरोध करने वालों के साथ खड़े होकर देश और समाज को तोड़ने की बातें कर रहे हैं, मोदी और मोदी सरकार को गालियां दे रहे हैं, वह सबलोग विभीषण की भूमिका निभा रहे हैं, वह अपनी कायरता और गद्दारी को सेक्युलिरिज्म की आड़ में छिपाने का असफल प्रयास कर रहे हैं।
उनसे बेहतर तो मुस्लिम समुदाय के वह तमाम लोग हैं, जो अपनी क़ौम, अपने मज़हब और अपने भविष्य के लिए कंधे से कन्धा मिलाकर एकजुटता के साथ संघर्ष कर रहे हैं।
-मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”