माननीय श्री नरेन्द्र मोदी जी,
आप इस देश के प्रधानमंत्री हैं, अतः मैं आपको सादर प्रणाम करता हूँ औऱ ईश्वर से आपकी दीर्घायु की कामना भी करता हूँ।
महोदय,
आप उन श्रीराम को भूल गए जिनके नाम की माला जपकर आप इस देश के राजा बने।
2014 में आप “हिन्दू का साथ-हिंदुत्व का विकास” का नारा लेकर आये किन्तु 2018 में आप “सबका साथ-सबका विकास” के नारे पर आ गए।
एक बेवफ़ा महबूबा के लिए आप धारा 370 को ही भूल गए, कश्मीर के पंडितों की मार्मिक चीत्कार को भूल गए, आप भूल गए कि किस तरह मासूम बच्चों की गर्दनों को बारीक तारों से काट दिया गया था, आप भूल गए उस बेबस और लाचार मां की चीखों को जिसको उसकी औलाद के सामने नँगा करके घुमाया गया था, आप सबकुछ भूल गए और महबूबा सरकार की जुल्फें ही संवारते रहे।
आपने रोज़गार देने का वायदा किया था किंतु आप युवाओं के हाथों में बेसन, तेल और हरी मिर्चें पकड़ाकर चल दिये। आपने देश को पहली बार यह महाज्ञान दिया कि पकौड़ा बनाना भी एक महान खोज है, और युवा पीढ़ी पकौड़े बनाकर भी अडानी-अम्बानी बन सकती है।
इस परम ज्ञान के लिए सम्पूर्ण भारत युगों-युगों तक आपका आभारी रहेगा।
आपने काला धन वापस लाने का भी वायदा किया था किंतु आप तो लोगों का सफेद धन भी नहीं दिला पाए, आपने बैंकों को इतने अधिकार और लोगों को इतने आधार कार्ड दिए कि वह बेचारे अपना ही सफेद धन देखने को तरस गए। आपने जाड़ों की सर्द रातों में नोटबन्दी का ऐसा हीटर चलाया कि लोगों के पसीने निकल गए।
इधर आपने नोटबन्दी की आकाशवाणी की और उधर लोग आकाश की ओर देखकर सोचने लगे कि हे प्रभु, क्या बस यही देखना बाकी रह गया था?
अब आपने एससी/एसटी एक्ट का ब्रह्मास्त्र चलाया है, ताकि इस देश के “मूल निवासियों” को उनके अधिकार दिए जा सकें। इस एक्ट को बनाकर आपने पूरे विश्व को बता दिया कि संविधान का इससे बेहतरीन दुरुपयोग कोई दूसरा नहीं हो सकता।
आपके द्वारा बनाये गए इस कथित “जातिवाद उन्मूलन सयंत्र” को देखकर नरक में बैठा जनरल डायर भी हैरान होगा कि उसे यह कानून बनाने का ख़्याल क्यों नहीं सूझा?
महोदय, ऐसी तानाशाही देखकर तो हिटलर की भी रूह कांप गई होगी, ख़ुद क्रूरता भी डर गई होगी।
श्रीमन, गरीब, बेबस और लाचार ब्राह्मणों पर जो आप ज़ुल्म ढा रहे हैं, क्या वह उचित है? दान-दक्षिणा के सहारे जीवनयापन करने वाले निर्दोष ब्राह्मणों का कसूर क्या है? आप किस कसूर की सज़ा उन्हें दे रहे हैं?
मेरे परम आदरणीय और बेहद प्रिय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी, आपसे केवल इतना निवेदन करूँगा कि आज सोने से पूर्व एक बार अंधे धृष्टर्राष्ट्र की कहानी जरूर पढ़िए। धृष्टर्राष्ट्र पुत्रमोह में अंधा था और आप दलित मोह में…….
*आपका आज्ञाकारी*
आपका शुभचिंतक
आपकी प्रजा
*मनोज चतुर्वेदी शास्त्री*