राजीव गांधी जीवन परिचय
पूरा नाम – राजीव फिरोज गांधी
जन्म – 20 अगस्त, 1944
जन्मस्थान – बम्बई
पिता – फिरोज गांधी
माता – इंदिरा गांधी
शिक्षा – इम्प्रेरिअल कॉलेज, लन्दन से इंजीनियरिंग की पढाई की
विवाह – सोनिया के साथ
जन्म – 20 अगस्त, 1944
जन्मस्थान – बम्बई
पिता – फिरोज गांधी
माता – इंदिरा गांधी
शिक्षा – इम्प्रेरिअल कॉलेज, लन्दन से इंजीनियरिंग की पढाई की
विवाह – सोनिया के साथ
संजय गांधी की एक विमान दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद ही राजीव गांधी – Rajiv Gandhi भारत राजनीती में आए. इससे पहले वे इंडियन एयरलाइन्स में विमान चालक थे.
1981 में उन्होंने अमेठी में संसद सदस्य का चुनाव जीता और सन 1983 वे काँग्रेस पार्टी के महासचिव नियुक्त हुये. 31 अक्तुबर, 1984 के दिन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की नृशंस हत्या के बाद उन्होंने कार्यवाहक प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली.1985 के आम चुनाव में प्रचंड जनमत प्राप्त कर उन्होंने विधिवत् प्रधानमंत्री का पदभार संभाला.
1985 के आम चुनावों में मिले प्रचंड बहुमत के पीछे जनता जनार्दन की सहानुभूति एक महत्वपूर्ण कारण तो थी ही, मगर प्रधानमंत्री के पद पर राजीव गांधी के आरोहण का एक अन्य मुख्य कारण विभिन्न मसलो पर उनका आधुनिक दृष्टिकोण और युवा उत्साह था.
भारतीय लोकतंत्र को सत्ता के दलालों से मुक्त कराने की बात कहने वाले वे पहले प्रधानमंत्री थे. भ्रष्ट नौकरशाही को भी उन्होंने आड़े हाथो लिया. उन्होंने ही सबसे पहले देश को एक समृद्ध और शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में ‘इक्कीसवी सदी के ओर’ले जाने का नारा देकर जनमानस में नई आशाएं जगाई.
प्रधानमंत्री बनते ही उन्होंने नई शिक्षा नीती की घोषणा की.देश के औद्योगिक विकास के लिए तरह – तरह के आयोग गठित हुए. विज्ञान और प्रौद्योगिकी को नई गती और दिशा देने के लिए प्रयास तेज किये गये और देश में पहली बार ‘टेक्नोलॉजी मिशन’ एक संस्थागत प्रणाली के रूप में अस्तित्व में आया. राजीव गांधी के पहल पर हुए ऐतिहासिक पंजाब, आसाम, मिझोरम समझौतों के उनकी राजनितिक सूझ – बुझ का परिचय दिया.देश की राजनीती में ये समझौते महत्वपूर्ण पड़ाव थे.
उधर अंतरराष्ट्रीय क्षितिज में भी राजीव गांधी एक सशक्त और कुशल राजनेता के रूप में उभरे. अपने शासनकाल में उन्होंने कई देशो की यात्रा की और उनसे भारत के राजनयिक, आर्थिक व सांस्कृतिक संबंध बढाए.
1986 में गुट – निरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व भारत के पास आनेपर कई अंतरराष्ट्रीय मसलो पर स्पष्ट और बेबाक नीती देकर राजीव गांधी ने भारत को एक सम्मानजनक स्थान दिलाया. फिलिस्तीनी संघर्ष, रंगभेद के खिलाफ दक्षिण अफ़्रीकी लोगों के संघर्ष, स्वापो आंदोलन, नामीबिया की स्वतंत्रता के समर्थन तथा अफ़्रीकी देशो की सहायता के लिए अफ्रीका फंड की स्थापना में भारत की पहल आधुनिक विश्व इतिहास का स्वर्णिम दस्तावेज बन गई है.
राजीव गांधी ने माले में हुए विद्रोह को दबाकर और श्रीलंका की जातीय समस्या के निदान के लिए स्वतंत्र पहल पर समझौता कर हिंद महासागर में अमरीका, पाक तथा अन्य देशो के बढ़ते सामरिक हस्तक्षेप पर अंकुश तो लगाया ही, साथ ही विश्व को यह भी अहसास करा दिया की भारत इस क्षेत्र में एक महती शक्ति है, जिसे विश्व की कोई भी ताकत अनदेखा नहीं कर सकती. इससे विश्व राजनीती में भारत की एक विशिष्ट पहचान बनी. साथ-साथ राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हुए.
मगर प्रधानमंत्रित्व काल के अंतिम दो वर्षों में अपने निजी सलाहकारों की कारगुजारियो की वजह से राजीव गांधी कुछ ऐसे विवादों से आ घिरे, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा. ‘मिस्टर क्लीन’ की उनकी छवि भी धूमिल हुई. वे कड़ी आलोचना का केंद्र बन गये और परिणामत: सन 1989 के आम चुनावों में उनकी पार्टी पूर्ण बहुमत नहीं पा सकी.
1991 के चुनावों में जनता उन्हें फिर से बहुमत से विजयी बनाएगी. इस विश्वास और जनता से मिले समर्थन – स्नेह से अभिभूत हो राजीव गांधी ने अपने सुरक्षा का घेरा भी तोड दिया. मगर विधी की विडम्बना देखिये की जानता से उनकी करीबी ही उनकी जान ले बैठी.
21 मई, 1991 को मद्रास से 50 किमी. दूर स्थित श्री पेरुंबुदुर में एक चुनाव सभा में लोगों से हार लेते समय श्री गांधी एक भयंकर बम विस्फोट का शिकार हो गये. इस सुनियोजित षडयंत्र ने देश की राजनीती से एक युवा युग और आकांक्षा का हमेशा के लिए पटाक्षेप कर दिया जिसने भारतीय ही नहीं पुरे विश्व जनमानस को भीतर तक झकझोर कर रख दिया.
सबसे कम उम्र में विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बनने का गौरव पाने वाले राजीव गांधी का व्यक्तित्व सज्जनता, मित्रता और प्रगतिशीलता का प्रतिक था. राजनैतिक क्षितिज में उनका उदय अप्रत्याशित तो अवश्य था.
परन्तु इतने बड़े देश के प्रधानमंत्री का भर अपने युवा कंधो पर लेते ही राजीव गांधी ने साहसिक कदम उठाकर और ज्वलंत समस्याओं के प्रति स्पष्ट दृष्टीकोण अपनाकर अपनी छवि एक विवेकशील और गतिशील राजनेता के रूप में प्रतिष्ठित की. उनकी स्पष्ट वादिता और आधुनिक विचारों ने उन्हें शीघ्र ही ‘मिस्टर क्लीन’ की संज्ञा दी.
लगभग एक दशक के छोटेसे राजनैतिक जीवन में राजीव गांधी ने एक अमिट छाप छोड़कर अपने देश भारत से हमेशा के लिए विदा हो गये, भारत सरकार ने देश के इस दिवंगत नेता को सर्वोच्च सम्मान ‘भारतरत्न’ से विभूषित कर यथेष्ट श्रद्धांजली दी है.
पुरस्कार – सर्वोच्च सम्मान ‘भारतरत्न’
मृत्यु – 21 May 1991 को उनका निधन हुआ.
साभार-http://www.gyanipandit.com/rajiv-gandhi-in-hindi/
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