चांदपुर में एक बार फिर से अरविंद कुमार उर्फ पप्पू चेयरमैन साहब के पोस्टर लग गए। अब इसे चुनावी बिगुल माना जाए या फिर राजनीतिक चर्चाओं में रहने के लिए “शुद्ध राजनीतिक प्रोपेगैंडा” यह कहना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन इतना तो तय है कि इस बार अरविंद पप्पू पुनः भाजपा से टिकट के दावेदारी में लाइन लगाकर खड़े हो गए हैं। दरअसल, एक लंबे समय से पूरे जिले में वैश्य बिरादरी की एकमात्र सीट नजीबाबाद में रिजर्व रहती रही है। लेकिन इस बार वह सीट जाट बिरादरी को जाने की सम्भवना है। विश्वस्त सूत्रों का मानना है कि 2022 में यह सीट भाजपा के वरिष्ठ नेता कुंवर भारतेंदु सिंह को जाने की पूर्ण संभावना है। तब ऐसे में जिले में कोई दूसरी सीट वैश्य बिरादरी को देना भाजपा की मजबूरी बन सकता है। यूं भी “बनियों की पार्टी” कहलाने वाली भाजपा, वैश्य बिरादरी को प्रसन्न करने का हरसम्भव प्रयास करेगी। शायद इसी को दृष्टांगत करते हुए, चांदपुर में पप्पू चेयरमैन साहब ने अपना झंडा लहराना आरम्भ कर दिया है। उधर इस लाइन में संजीव बंसल उर्फ काके और विकास गुप्ता उर्फ रॉकी का नाम भी सुनने में आया है। लेकिन उन दोनों की ओर से इस विषय में अभी तक न तो कोई विधिवत ऐलान हुआ है और न ही कोई अन्य संकेत नज़र आया है। यहां समझने वाली बात यह भी है कि वर्तमान में श्रीमती कमलेश सैनी भाजपा की विधायक हैं और 2017 में उन्होंने 92, 000 वोट प्राप्त किये थे और एक ऐतिहासिक विजय प्राप्त की थी। श्रीमती कमलेश सैनी जिस सैनी बिरादरी से आती हैं, उसके भी अच्छे-खासे वोट हैं, और भाजपा के कद्दावर नेता और उप-मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य का भी आशीर्वाद श्रीमती कमलेश सैनी को प्राप्त है। फिलहाल भाजपा ने भी कोई ऐसी लिस्ट अभी तक जारी नहीं की है जिसमें मौजूदा विधायकों का टिकट काटने को लेकर कोई ख़बर दी गई हो। लेकिन यह राजनीति है साहब, यहां कुछ भी असम्भव नहीं है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि अरविंद पप्पू साहब को 2012 में 31,000 वोट मिले थे, तब वह महान दल के टिकट पर चुनाव लड़े थे, और उस समय सैनी समाज के पास कोई बेहतर नेतृत्व नहीं था, जबकि अब न तो महान दल का ही कोई वजूद है और न ही सैनी समाज को किसी अन्य नेतृत्व की आवश्यकता है।
वैसे जानकारों का मानना है कि श्री अरविंद कुमार उर्फ पप्पू चेयरमैन साहब की राजनीति शुद्ध रूप से व्यापारिक राजनीति है। राजनीति में बने रहना उनकी व्यापारिक मजबूरी भी है। इसलिए अपने प्रचार-प्रसार पर 2-3 लाख खर्च कर देना उनके लिए कोई बड़ी बात नही है।
लेकिन हम उन्हें बिना मांगे एक सलाह अवश्य देंगे, और वह यह कि अगर भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ना है तो “कपिल चौधरी” की तरह का हिंदुत्व दिखाना होगा, अगर राहुल गांधी की तरह टोपी पहनकर माला जपने की कोशिश की तो सिर्फ “पप्पू भैया” ही बनकर रह जाएंगे।
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🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
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