बीती २० तारीख, दिन शुक्रवार को पूरे देश में हिंसा, आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाएँ हुई थीं. जिससे जिला बिजनौर भी अछूता नहीं रहा, बिजनौर मुख्यालय सहित कस्बा नहटौर, धामपुर, नजीबाबाद और नगीना में भी हिंसा, आगजनी और पत्थरबाजी की घटनाएँ हुईं. लेकिन इस सबके बावजूद चांदपुर कस्बे में सबकुछ शांतिपूर्ण ढंग से निपट गया. यहाँ गौरतलब बात यह है कि चांदपुर में लगभग ७७ प्रतिशत आबादी मुसलमानों की और २३ प्रतिशत आबादी हिन्दुओं की है.
चांदपुर में २० दिसम्बर दिन शुक्रवार को नगर के मौहल्ला पतियापाड़ा में नमाज के बाद सैंकड़ों लोग एकत्रित हो गये. लोगों का कहना है कि यह लोग जमीयतुल-उलेमा-हिन्द नामक संगठन के कहने पर एकत्रित हुए थे और उन्हें किसी भी राजनीतिक नेता ने आमंत्रित नहीं किया था. क्योंकि उलेमाओं का उद्देश्य शांतिपूर्ण ढंग से NRC और CAA के विरोध में सरकार के प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपना था. जैसा कि उलेमा-दीन ने करके भी दिखा दिया.
बसपा के पूर्व विधायक उस प्रदर्शन में सम्मिलित नहीं हुए थे, हालाँकि उन्होंने उसी दिन सुबह को कराल रोड स्थित अपने आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करते हुए NRC और CAA का विरोध संवैधानिक दायरे में रहते हुए करने का आह्वान करते हुए, देश विशेषकर बिजनौर क्षेत्र की जनता से शांति और सद्भाव बनाये रखने की अपील की थी. कांग्रेस के वर्तमान जिलाध्यक्ष और भूतपूर्व चेयरमैन ने भी हमसे फोन पर बातचीत के दौरान यह स्वीकार किया था कि वह चांदपुर के मौहल्ला पतियापाडा में कांग्रेस पार्टी की ओर से प्रोटेस्ट करने के लिए नहीं गए थे बल्कि प्रशासन के अनुरोध पर शांति व्यवस्था को कायम रखने का प्रयास करने के लिए गए थे.
लेकिन कुछ छुटभैये अपनी हरकतों से बाज नहीं आये. उनको तो मानो मुहंमांगी मुराद मिल गई थी या कहिये कि बिल्ली के भाग्य से छींका टूट गया था. जो लोग शहर का नेता बनने की कोशिश में दिन-रात लगे रहते हैं और लाख कोशिशों के बावजूद भी इतनी भीड़ कभी नहीं जुटा पाए, या जिन्होंने अपनी जिन्दगी में कभी इतने लोगों को एक साथ नहीं देखा था, या जो लोग थाने की दलाली कर-करके थक गए और नेता नहीं बन पाए, या वो लोग जिन्हें बोलने की बवासीर है या फिर वो लोग जिनका पुलिस से हमेशा से ३६ का आंकड़ा रहता है, ऐसे सभी लोग हाथ में माइक लेकर पतियापाड़ा के चौराहे पर स्ट्रीट लाईट के नीचे बने चबूतरे को मंच बनाकर अपनी-अपनी भडास निकालने लगे. कुछ लोग तो अपनी जान तक देने की कसमें खाते हुए जहरीले भाषण देने लगे. लेकिन मजे की बात यह है कि इनमें से किसी को भी NRC और CAA की एबीसी भी नहीं पता थी और उनकी बात पर वहां उपस्थित लोगों ने भी कोई ध्यान नहीं दिया. बल्कि उनमें से कईयों के तो हाथ पकडकर मंच से नीचे उतार लिया गया.
सुना है कि समाजवादी के एक पूर्व नगरअध्यक्ष महोदय ने तो अपनी ऊँगली भी काट ली थी और खून से “No NRC” लिख डाला था, यानि ऊँगली कटाकर शहीद होने की हरसम्भव कोशिश की गई थी.
इस विषय पर जब हमने शहर के कुछ बुजुर्ग और सामाजिक लोगों से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि चांदपुर में सिर्फ एक बार साम्प्रदायिक दंगा हुआ है और उसके बाद से लेकर आजतक कभी कोई ऐसी दुर्भाग्पूर्ण घटना नहीं हुई और इंशाअल्लाह कभी होगी भी नहीं. उन्होंने अपनी नई पीढ़ी को संदेश देते हुए कहा कि “यह शहर वर्षों से गंगा-जमुनी तहज़ीब का गवाह रहा है और यहाँ सभी लोग एक-दूसरे के तीज-त्यौहार, रस्मों-रिवाज और सुख-दुःख में शामिल होते आए हैं और इंशाअल्लाह हमेशा होते रहेंगे. उम्मीद है कि आगे आने वाली पीढियां भी इस दस्तूर को बरकरार रखेंगी.”