ये सच है कि अकेला जिन्ना ही विभाजन के लिए जिम्मेदार नहीं था। लेकिन ये सरासर बकवास है कि दयानन्द सरस्वती का इसमें कोई हाथ है।
विभाजन तो होना ही था इसमें कोई दो राय नहीं हैं। जिन्ना ने एक बात कही थी “हिन्दू और मुस्लिम विचारधारा से एक कभी नहीं हो सकते”. और ये एक बेहद कड़वा सच है। ठीक ऐसा ही सावरकर ने माना था। वास्तव में जिन्ना और सावरकर दोनों ही वैचारिक रुप से अलग थे।
आज की भाषा में कट्टरपंथी थे, इस बात से मैं पूरी तरह से सहमत हूँ।
जिन्ना की मुस्लिम लीग और सावरकर की हिन्दुमहासभा की इसका जीता जागता उदाहरण हैं।
जिन्ना और सावरकर दोनों केवल एक बात पर सहमत थे कि इस्लाम और सनातन विचारधाराओं में कभी एकरूपता नहीं हो सकती।
लेकिन विभाजन सत्तावर्ग की ही देन था।
वास्तविकता तो यही है कि अंग्रेजों को भगाने में सत्ता को हासिल करना ही एकमात्र मकसद था।
सावरकर जैसे हिन्दुनेता मानते थे कि मुगल भी आक्रमणकारी थे और सिर्फ अंग्रेजों को ही नहीं बल्कि मुगलों को भी यहां से चला जाना चाहिए और जिन्ना जैसे मुस्लिम नेता चाहते थे कि मुगल इस देश पर राज करते आये हैं, इसलिये वो गुलामों की तरह यहां नहीं रह सकते। इसलिए या तो उन्हें सत्ता दी जाए या फिर अलग राष्ट्र।।
बस यही विभाजन की असली वजह थी। बाकी सब बकवास है।
गांधी की भूमिका का गोडसे और सावरकर जैसे लोगों ने इसलिए विरोध किया क्योंकि उनका मानना था कि जब पाकिस्तान बन चुका है तब सारे मुस्लिमों को पाकितान ही चले जाना चाहिए। 1947 का विभाजन इसी शर्त पर हुआ था। लेकिन गांधी के अड़ियल रुख के कारण यह सम्भव नहीं हो पाया।
मुस्लिम राष्ट्र का समर्थन केवल जिन्ना ही ने नहीं वरन उस समय के कई दिग्गज मुस्लिम नेताओं ने भी अपरोक्ष रूप से किया था जिसमें अल्लामा इकबाल भी शामिल थे। इतिहास इस बात का साक्षी है।
अंग्रेज खुद भारत को तीन हिस्सों में बांटना चाहता था, और आज वो वैसे ही बंटा हुआ है। जिसमें एक पाकिस्तान, दूसरा बांग्लादेश और तीसरा हिंदुस्तान।
आखिर में एक बात और है, आर्य या सवर्ण कोई जाति नहीं है बल्कि वो हर व्यक्ति है जो सत्ताधिकारी है, जिसके पास सत्ता है।
यहां केवल ब्राह्मणों और ठाकुरों ने ही राज नहीं किया, मौर्य, यदुवंशी आदि ने भी राज किया है।
मूल निवासी कौन था ये अलग विषय है लेकिन मुगल मूल निवासी नहीं थे, ये तय है।
जो जिन्ना का पक्ष ले रहे हैं, उन्हें भारत में रहने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि जो जिन्ना को अपना आदर्श मानते थे वही लोग पाकिस्तान चले गए थे। हिंदुस्तान में इस बात पर कोई बहस नहीं की जा सकती कि जिन्ना कौन था।