पिछले कुछ दिनों से सोशल मीडिया पर एक मुद्दा छाया हुआ था और मुद्दा था चांदपुर नगरपालिका द्वारा दिये गए गए कथित तुगलकी फरमान का जिसके बारे में बताया जाता है कि नगरपालिका बोर्ड की मीटिंग में एक प्रस्ताव पारित किया गया है जिसके अनुसार चांदपुर शहर में कहीं भी होर्डिंग्स, बैनर या दीवारों इत्यादि पर पोस्टर लगाने के लिए नगरपालिका परिषद चांदपुर से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। बिना पूर्व अनुमति के नगर में पोस्टर, बैनर, होर्डिंग्स लगाने वालों से 5000 रुपये का जुर्माना वसूला जाएगा।
इस सम्बंध में जब हमने अधिशासी अभियंता नगरपालिका परिषद चांदपुर से जानकारी ली तो उन्होंने कहा कि बोर्ड ने यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया है। उन्होंने बताया कि नगर में जगह-जगह लगे पोस्टर, बैनर्स और होर्डिंग्स आदि से शहर में न केवल गन्दगी नजर आती थी बल्कि लोगों की पेंट की हुई दीवारें भी खराब हो जाती थीं। उनका यह भी कहना था कि होर्डिंग्स, बैनर आदि से अतिक्रमण आदि की भी दिक़्क़त होती है।
ईओ शिवराज सिंह के अनुसार नगरपालिका बोर्ड ने यह प्रस्ताव पारित किया है कि अब कोई भी पोस्टर, बैनर या होर्डिंग्स बिना नगरपालिका प्रशासन की पूर्व अनुमति के नहीं लगाए जाएंगे। यदि कोई इस आदेश का उलंघन करता है तो उससे बतौर जुर्माना 5000 रुपये वसूले जाएंगे।
जब हमने ईओ साहब से उस आदेश की कॉपी मांगी तब वो कहने लगे कि अभी बायलॉज तैयार किया जाएगा उसके बाद आपको कॉपी सौंप दी जाएगी।
हमने पूछा कि ये आदेश कब से लागू होंगे तो उन्होंने कहा कि आदेश तो तत्काल प्रभाव से लागू हो चुके हैं।
इसपर हमने पूछा कि शहर में आजकल सबसे ज्यादा पोस्टर, होर्डिंग्स और बैनर तो चेयरपर्सन पुत्र मौहम्मद अरशद और विधायक पुत्र शुभम सैनी के ही नजर आ रहे हैं। इसपर ईओ साहब ने कहा कि उनके ( मौहम्मद अरशद) के पोस्टर, बैनर और होर्डिंग्स जल्दी ही उतार लिए जाएंगे किन्तु विधायक पुत्र शुभम सैनी के विषय में उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया।
दोबारा से विधायक पुत्र के होर्डिंग्स उतरवाने के विषय में जब जोर देकर पूछा गया तो ईओ साहब की सांस गले में ही अटक गई और बड़ी मुश्किल से बोले कि इस विषय में चर्चा की जाएगी।
मतलब ये कि कानून का डंडा केवल बेबस और कमजोर जनता पर ही चलेगा सत्ताधारियों और रसूखदार लोगों पर नहीं।
विधायक पुत्र का होर्डिंग्स उतारने के नाम पर पसीने छूट गए और गरीब जनता से 5000 रुपये वसूले जाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया गया।
मजे की बात तो ये है कि जो लोग आज बैनर्स, पोस्टर और होर्डिंग्स को शहर की गंदगी बता रहे हैं इन लोगों ने तो नगरपालिका प्रांगण में ही एक सोसायटी का एक बड़ा सा बैनर लगवा दिया था जिसका नगरपालिका से कोई लेना देना नहीं था।।
अब हमारा सीधा सवाल नगरपालिका परिषद चांदपुर के सम्मानित बोर्ड सदस्यों और बोर्ड की माननीया चेयरपर्सन महोदया से है कि क्या नियम केवल आम जनता के लिए ही हैं? क्या शहर के रसूखदार, दौलतमंद और जनप्रतिनिधियों के रिश्तेदार, उनके करीबी और खुद जनप्रतिनिधि इस दायरे में नहीं आते?
कानून सबके लिए एक बराबर होना चाहिए चाहे वो विधायक पुत्र हो, चेयरपर्सन पुत्र या फिर कोई और।
दूसरा सवाल ये भी है कि यदि कोई पूरे शहर में पोस्टर लगवा दे या बैनर लगवा दे या होर्डिंग्स लगवा दे तो क्या वह मात्र 5000 रुपये देकर ही छूट जाएगा?
तीसरा प्रश्न यह भी है कि किसके पोस्टर लगने हैं, कहाँ लगने हैं और कितने लगने हैं, क्या ये निर्णय भी नगरपालिका परिषद तय करेगी??
मेरा माननीय चेयरपर्सन महोदया से ये भी अनुरोध है कि वह अपना एक कॉन्टेक्ट नम्बर भी आम जनता को उपलब्ध कराएं ताकि जनता उनसे सीधे बात कर सके। क्योंकि महोदया के सुपुत्र मौहम्मद अरशद साहब तो फोन उठाना भी गवारा नहीं करते या हो सकता है कि केवल अपने चहेतों का ही फोन रिसीव करते हों।।
आशा करता हूँ कि शहर की जनता को उनके सवालों के जवाब अवश्य मिलेंगे और एक सही तस्वीर सामने आएगी।।
हां, एक बात और, कथित रूप से हजारों रुपये का चाय का बिल बनवाने वाले हमारे ईओ साहब किसी से भी चाय के लिए नहीं पूछते, पिलाना तो दूर की बात है। भाजपा की सरकार में रहकर भी जस्टिस लोया के लिए इंसाफ की मांग भी करने से पीछे नहीं हटते।। बहरहाल, हमें राजनीति से क्या लेना-देना।।
✍🏾मनोज चतुर्वेदी *शास्त्री*
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