अभी हाल ही में केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने दारुल उलूम देवबंद पर एक बयान देते हुए कहा कि “देवबंद आतंक की गंगोत्री है” इस बयान के बचाव में दिए अपने एक दूसरे स्टेटमेंट में बीते बुधवार को उन्होंने कहा, ‘देखिए कितने लोग देवबंद से आतंकी गतिविधियों में शामिल हुए हैं। दुर्भाग्य है इस देश का जो राष्ट्र के लिए काम करना चाहिए, वे राष्ट्र विरोधी..मैंने सही कहा कि देवबंद गंगोत्री है’.
व्यक्तिगत रूप से हम केंद्रीय मंत्री श्री गिरिराज सिंह का बहुत सम्मान करते हैं और यह मानते हैं कि देवबंद पर दिए गए उनके इस बयान को बेहद गम्भीरता से लिया जाना चाहिए, क्योंकि यह बयान कोई कोरा राजनीतिक बयान नहीं है, बल्कि इस बयान का सीधा सम्बन्ध देश की एकता, अखण्डता और सम्प्रभुता से जुड़ा हुआ है।
अगर इस बयान में लेशमात्र भी सच्चाई है तो उसकी उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिये अन्यथा इस तरह की कोरी और भड़काऊ बयानबाजी से देश का माहौल बिगड़ने और दो सम्प्रदायों के बीच कड़वाहट बढ़ने की पूरी संभावना होती है।
*कट्टरपन्थ और आतंक दो अलग-अलग विषय हैं। हमारा मानना है कि प्रत्येक धार्मिक व्यक्ति को अपने धर्म, अपनी आस्था और अपने समाज के प्रति समर्पित होना चाहिए, जिसे आप कट्टरपन्थ कह सकते हैं। कट्टरपन्थ के कई रूप होते हैं, लेकिन जब कट्टरपन्थ अतिवादी और हिंसात्मक हो जाता है तो वह आतंक और आतंकी को जन्म देता है। दूसरे शब्दों में कहिए तो उग्र कट्टरपन्थ हमेशा आतंक को जन्म देता है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि हर कट्टरपंथी आतंकी ही होता है।*
मैं 37 सालों से मुसलमानों के बीच उठता- बैठता- खाता-पीता रहा हूँ, मेरी प्रारंभिक शिक्षा- दीक्षा मुस्लिम मुफ़्तालूम इंटर कालेज, चांदपुर में हुई है, और इस्लाम को मैंने बहुत गहराई से जानने और समझने की कोशिश की है, और मेरा मानना है कि मुसलमान एक ऐसी क़ौम है जो हुक़ूमत करना भी करना भी जानती है और फरमाबरदारी (आज्ञापालन) भी। इसलिये हर मुसलमान अपनी क़ौम के लिये एक बेहतरीन शासक भी होता है और एक वफ़ादार सिपाही भी होता है।
देवबंद किसी मुसलमान को आतंकवादी नहीं बनाता, ठीक उसी तरह जिस प्रकार संघ (आरएसएस) की शाखाओं में जाकर कोई भी हिन्दू आतंकी नहीं बन जाता। अलबत्ता वह अपनी मातृभूमि, अपने धर्म और अपने हिन्दू समाज के प्रति जागरूक हो जाता है।