आजकल सोशल मीडिया में कांगी, वामी और कथित सेक्युलर्स द्वारा एक मैसेज ख़ूब वायरल किया जा रहा है। इस मैसेज के अनुसार #भारत_का_RSS_और_अफगानिस्तान_का_तालिबान_दोनों_समान_हैं
👉🏽वायरल मैसेज का पहला अंश
1. RSS का भी अपना ड्रेस कोड है, तालिबान का भी।
✍️हमारा जवाब
*यहां लेखक शायद यह भूल गया कि ड्रेस कोड तो रेडक्रॉस का भी है।*
👉🏽वायरल मैसेज का दूसरा अंश
2. RSS जयश्री राम बोल कर हिंदुत्व के नाम पर हत्या करता है,तालिबान अल्ला हू अकबर बोलकर इस्लाम के नाम पर हत्या करता है।
✍️हमारा जवाब
*अगर वाकई में तालिबान “अल्लाह” और “इस्लाम” दोनों को बदनाम कर रहा है तो ज़ाकिर नायक, हाफ़िज़ सईद जैसे तमाम इस्लामचार्य कहाँ हैं। OIC अर्थात ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज सहित अमानुतल्ला खान, ओवैसी बन्धु, आजम खान, शाहिद सिद्दीकी, मुनव्वर राणा, नसीरुद्दीन शाह, आमिर खान जैसे भारत के महान इस्लामिक विद्वान कहाँ हैं? फलीस्तीन पर इजरायल हमले के दौरान “इस्लाम ख़तरे में है” ऐसा कहकर छाती पीटने वाले अब सामने आने से क्यों डर रहे हैं।*
👉🏽 वायरल मैसेज का तीसरा अंश
3. RSS को भी महिलाओं की आज़ादी और उनके पहनावे से दिक्कत है, तालिबान को भी ।
✍️हमारा जवाब
*तालिबान तो पाकिस्तानी मदरसों में इस्लाम की दीनी तालीम हासिल कर चुके हैं। और इस्लाम में महिलाओं को बेहद सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। तो आख़िर इन तालिबानियों ने कौन से मदरसों से पढ़ाई की है? या फिर मदरसों में इस्लाम को सही ढंग से नहीं पढ़ाया जाता है?*
👉🏽 वायरल मैसेज का चौथा अंश
4. RSS सिर्फ अपनी विचारधारा देश पर थोप रहा है, और जो उसकी आइडियोलॉजी का विरोध करता है उसकी वह या तो हत्या कर देता है या देशद्रोही बताकर जेल में डाल देता है। यही कार्य तालिबान करता है अपने देश के नागरिकों के साथ।
✍️हमारा जवाब
*अभी हाल ही में AIMIM के सुप्रिमो जनाब असदुद्दीन ओवैसी, समाजवादी पार्टी के सांसद जनाब शफीकुर्रहमान बर्क़, ऑल इंडिया मुस्लिम वक़्फ़ बोर्ड के मौलाना जनाब सज्जाद नौमानी और महान शायर मुन्नवर राना साहब ने तालिबान का दिल खोलकर समर्थन किया था, तो क्या यह माना जाए कि यह सभी मुस्लिम रहनुमा RSS और तालिबान की आइडियोलॉजी से पूर्णतः सहमत हैं?*
👉🏽वायरल मैसेज का पांचवा अंश
5. RSS देश के संविधान और लोकतांत्रिक व्यवस्था को नहीं मानता, वह धार्मिक कट्टरता के अनुसार देश चला रहा है,यही काम तालिबान भी कर रहा है।
✍️हमारा जवाब
👉🏽 *तालिबान की पूरी शिक्षा-दीक्षा देवबंदी माहौल में हुई है, तो क्या देवबंदी अपने छात्रों को इसी प्रकार से कट्टरपंथ सिखाते हैं?*
👉🏽वायरल मैसेज का छठा अंश
6. RSS शिक्षा पर नहीं बल्कि रूढ़िवाद, पाखण्डवाद, आडम्बर से भारत को गवर्न कर रहा है, ठीक यही काम तालिबान भी अपनी आसमानी किताब के अनुसार अफगानिस्तान को चला कर कर रहा है।
✍️हमारा जवाब
👉🏽 *जिस आसमानी किताब के अनुसार तालिबान अपना शासन चला रहा है, उसका नाम भी बताने का कष्ट करें। क्योंकि एक मान्यता के अनुसार आसमान से चार किताबें नाज़िल हुई थीं। जो क्रमशः “तौरेत” हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम पर , “जुबूर” हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम पर , “इन्जील”, हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम पर और “कुरान ” मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहे वसल्लम पर नाज़िल हुआ ।। और इस्लाम इन चारों पवित्र किताबों को ऑथेटिक मानता है। तब ज़रा बताएं कि तालिबानी कौन सी आसमानी किताब के अनुसार अफगानिस्तान चला रहे हैं। क्योंकि वेदों, पुराणों, शास्त्रों और उपनिषदों को तो आसमान से उतारा ही नहीं गया था।*
👉🏽वायरल मैसेज का सातवां अंश
7. विज्ञानवाद से RSS को घोर कष्ट है, तालिबान भी विज्ञान का विरोधी है।
✍️हमारा जवाब
👉🏽 *तालिबान ने अपनी पूरी पढ़ाई इस्लामिक इदारों में की है और डॉ. जाकिर नाइक जैसे इस्लामिक विद्वानों के अनुसार इस्लाम पूर्णतया वैज्ञानिक धर्म है, तब यह कैसे सम्भव हो सकता है कि तालिबान विज्ञान का विरोध करे?*
👉🏽 वायरल मैसेज का आठवां अंश
8. मानवता से RSS का दूर-दूर तक वास्ता नहीं। मोब्लिंचिंग इसकी मूल अवधारणा में है। यही कार्य तालिबान भी करता है।
✍️हमारा जवाब
👉🏽 *तालिबान कट्टर सुन्नी इस्लामिक शासन का समर्थन करता है और शरिया कानूनों का भी हिमायती है। और इस्लाम एक मानवीय धर्म है जो केवल इंसानियत और शांति की बात करता है। तब प्रश्न यह है कि क्या तालिबान काफ़िर है?*
👉🏽 वायरल मैसेज का नवा अंश
9. RSS धार्मिक और जातीय श्रेष्ठता को प्रमुख मानता है, तालिबान भी इस्लामिक श्रेष्ठता को मनवाने के लिए हत्या कर रहा है।
✍️हमारा जवाब
👉🏽 *प्रत्येक व्यक्ति अपने ही धर्म को श्रेष्ठ सिद्ध करता है। डॉ. जाकिर नाइक भी तो हमेशा इस्लामिक श्रेष्ठता को ही साबित करते रहे हैं।*
👉🏽वायरल मैसेज का दसवां अंश
10. RSS का मूल एजेंडा रहा भारत के संसाधनों पर कब्जा, तालिबान भी वह कर रहा है।
✍️हमारा जवाब
👉🏽 *पूर्व प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह के अनुसार भारत के संसाधनों पर तो पहला हक़ केवल मुस्लिम समाज का है। और RSS को मुस्लिम विरोधी माना जाता है। तब भला आरएसएस कैसे और क्योंकर भारत के संसाधनों पर अपना अधिकार जमा सकता है?*
👉🏽वायरल मैसेज का ग्यारहवां अंश
11. दोनों ही गैर पंजीकृत संगठन हैं, दोनों ही धार्मिक कट्टरता के पोषक हैं।
✍️हमारा जवाब
👉🏽 *अगर तालिबान ग़ैर-पंजीकृत संस्था है तो सऊदी अरब जैसे महान इस्लामिक देश आजतक तालिबान को रोटियां-बोटियाँ क्यों डालते रहे हैं?*
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
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*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।