आजकल बढ़ती हुई महंगाई और ग़रीबी पर बोलने के लिए कांग्रेसी नेताओं औऱ उनके समर्थकों में एक होड़ सी लगी है। आइये आपको बताते हैं कि ग़रीबी क्या है जिसकी चर्चा कांग्रेसी हर चौराहे पर कर रहे हैं।
*”गरीबी एक मानसिक अवस्था है। खाना, पैसे या भौतिक चीजों की कमी से इसका कोई लेना-देना नहीं है। यदि आप में आत्मविश्वास है तो आप गरीबी से उबर सकते हैं।”* ग़रीबी की यह नई परिभाषा कांग्रेस के राजदुलारे श्री राहुल गांधी ने अगस्त 2013 में गढ़ी थी। उस समय राहुल जी जाने-माने समाज विज्ञानी बद्री नारायण की ओर से जी.बी. पंत सामाजिक विज्ञान संस्थान में आयोजित एक सेमिनार में गरीबी पर व्याख्यान दे रहे थे।
इसी तरह आज जिस “मंहगाई” को लेकर कांग्रेस सहित समूचा विपक्ष सड़कों और चौराहों पर अपनी छाती कूट रहा है उसी कांग्रेस के महान नेता श्री पी. चिदम्बरम ने कहा था- *”महंगाई अच्छी है, ये तो ऐसे ही बढ़ेगी”* मतलब कॉंग्रेसी सरकार में जो महंगाई अच्छी थी, वही भाजपा सरकार में काटने को दौड़ रही है।
आज कांग्रेस भाजपा सरकार पर लगातार मंहगाई को नियंत्रित करने के लिये दबाव बना रही है लेकिन फरवरी 2011 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार में वित्तमंत्री रहे प्रणव मुखर्जी ने एक संवाददाता सम्मेलन में एक प्रश्न के जवाब में कहा था कि *”सरकार ने महंगाई पर नियंत्रण के कई उपाय किए हैं पर उसके पास कोई अलादीन का चिराग नहीं है जिससे महंगाई को तत्काल वश में किया जा सके”।* तो क्या कांग्रेसियों को लगता है कि आज मोदी सरकार के हाथ कोई अलादीन का चिराग़ लग गया है जिससे वह पलक झपकते ही महंगाई को काबू कर लेगी।
इसी प्रकार कांग्रेस के एक और नेताजी ने कहा था कि *”पाँच रुपये में गरीबों को भरपेट भोजन मिल जाता है महँगाई कहाँ है”* आज उसी कांग्रेस को देश में चारों ओर महंगाई ही महंगाई दिखाई दे रही है।
सितंबर 2012 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने डीजल की कीमतों में वृद्धि तथा सब्सिडीयुक्त रसोई गैस की सीमा सीमित किए जाने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि *”पैसे पेड़ पर नहीं उगते।”* सुधि पाठकों को मालूम होना चाहिए कि श्री मनमोहन सिंह कांग्रेस सरकार में लगातार दो बार देश के प्रधानमंत्री रहे हैं और विपक्ष मनमोहन सिंह जी के अर्थशास्त्र ज्ञान का महिमामंडन करते-करते नहीं थकता। कांग्रेस और उनके समर्थक रात-दिन इन्हीं मनमोहन सिंह को अर्थशास्त्र का कौटिल्य बताते हैं, और उनके अर्थशास्त्र के ज्ञान पर फुले नहीं समाते। उन्हें लगता है कि श्री मनमोहन सिंह ने अपने कार्यकाल में भारत को सोने की चिड़िया बना दिया था, लेकिन मोदी सरकार ने अंग्रेजों से ज़्यादा लूटपाट करके भारत को कंगाल बना दिया है।
दरअसल, कांग्रेस और कांग्रेसियों की सबसे बुरी आदत यह है कि वह कभी अपने गिरेबान में झांककर देखने की कोशिश नहीं करते हैं। उन्हें दूसरों के घरों में ताक-झांक करने की बहुत बुरी आदत है। शायद कांग्रेसियों ने कबीरदास का वह दोहा नहीं पढ़ा-
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय ।
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोय ।।
कांग्रेस हाईकमान को चाहिए कि वह संत कबीरदास की शिक्षाओं को आत्मसात करें और अपने बाकी चेले-चपाटों को भी ज्ञान बांटे। अब सिर्फ़ पप्पू बनने से काम नहीं चलेगा।
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
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