mauhmmd arshad (left) |
शेरबाज पठान साहब और मुहम्मद अरशद साहब में एक मूल अंतर ये है कि शेरबाज पठान एक पॉलिटिकल लीडर है और मुहम्मद अरशद अंसारी एक व्यापारिक लीडर. लीडर दोनों हैं, लेकिन फील्ड अलग है. शेरबाज पठान के निर्णय राजनीतिक सोच से प्रेरित होते हैं और अरशद के निर्णय व्यापारिक सोच से प्रेरित होते हैं.
एक और बात जो महत्वपूर्ण है वो ये कि शेरबाज पठान चांदपुर का बाशिंदा है और वो यहाँ की पब्लिक की नब्ज से बहुत अच्छे से वाकिफ है जबकि अरशद का अधिकांश जीवन ओमान में बीता है और सही मायने में तो वो अभी तक भारतीयों की नब्ज को नहीं जान पाया है.
एक अच्छा पॉलिटिकल लीडर बनने के लिए ये बेहद जरुरी होता है कि आप जनता की नब्ज को समझें क्योंकि जनता ही तो आपको नेता बनाती है. शेरबाज साहब चांदपुर की जनता की नब्ज को बहुत अच्छे से पहचानते हैं जबकि अरशद साहब अभी भी चांदपुर की जनता को नहीं समझ पाए. उसका कारण ये है कि अरशद साहब खुद सीधे-सीधे जनता से ताल्लुक नहीं बना पाए हैं, उनके हर सम्बन्ध का कोई न कोई माध्यम है.
चांदपुर की ८० प्रतिशत जनता कमजोर तबके से है, चांदपुर की जनता एक अच्छा नेता उसी को मानती है जो थाने और तहसील में अपना असर रखता हो, केवल २० प्रतिशत जनता ऐसी है जो विकास की बात करती है और सबसे बड़ी दिक्कत ये है कि ये २० प्रतिशत जनता किसी को नेता नहीं मानती बल्कि उसको अपना फालोअर बनाना चाहती है.
मेरे हिसाब से “नेता एक व्यापारी होता है जो सिर्फ सपने बेचता है”. विकास कोई भी नेता नहीं करता बल्कि विकास करने के लिए एक सिस्टम की जरूरत होती है. जब तक सिस्टम सही से काम नहीं करेगा विकास नहीं होगा. स्वर्गीय राजीव गाँधी ने कहा था कि “प्रत्येक एक रूपये में से केवल १५ पैसे ही सही स्थान पर पहुँच पाते हैं.” इसका सीधा अर्थ है कि विकास सिस्टम से चलता है किसी नेता या पार्टी से नहीं.
आज अरशद साहब के लिए ये समझना जरूरी है कि सिस्टम को बदला जाये अगर आज भी सिस्टम में वही लोग होंगे जो पिछले वर्षों में रहे हैं तो फिर अरशद साहब कितना भी कुछ कर लें विकास नहीं हो पायेगा,ये तय है. इसलिए जरूरत है कि सिस्टम से उन लोगों को दूर रखा जाये जो दागदार हैं. ये वो लोग हैं जो केवल सत्ताभोगी हैं. “ये कल तक किसी और के साथ थे, आज आपके साथ हैं और कल किसी और के साथ हो जायेंगे.” इसलिए विकास तभी सम्भव है जब अरशद साहब सिस्टम की गंदगी को ठीक उसी तरह से साफ़ करें जिस तरह से आजकल पाइप लगाकर नालियां साफ की जा रही हैं.
जहाँ तक शेरबाज पठान साहब के कार्यकाल से तुलना करने का सवाल है तो वो समझ से बाहर की बात है, क्योंकि अरशद साहब तो चुने ही इसलिए गए हैं क्योंकि आप उनसे बेहतर काम करेंगे. यहाँ ये भी समझना बेहद जरुरी है कि परिस्थतियाँ अरशद साहब के प्रतिकूल हैं, क्योंकि लोगों की अपेक्षाएं आपसे अधिक हैं, जबकि आपकी पार्टी सत्ता में नहीं है और अभी सिस्टम को भी आप अच्छी तरह से नहीं जानते हैं. इसलिए आपको अनुभवी सलाहकारों की जरूरत है और किसको कहाँ इस्तेमाल करना है ये भी आपको समझना जरुरी है.
विकास होना चाहिए इससे कोई इंकार नहीं, लेकिन जनता का पेट काटकर नगर का विकास करना कोई राजनीतिज्ञ अक्लमंदी नहीं है. अरशद साहब के लिए सबसे बड़ी चुनौती है कि वो एक अच्छा व्यापारी बने रहकर भी एक अच्छे राजनीतिज्ञ बनने का प्रयास करें.
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