*जनाब मौहम्मदअरशद अंसारी साहब के दरबार में शेर पेशे ख़िदमत हैं*
🙏🏾 *आज़ाद परिंदे को घर-बार की ज़रूरत नहीं होती।*
*शेर को किसी और के शिकार की जरूरत नहीं होती।।*
*मेरी क़लम ही मेरी पहचान है, साहब।*
*मुझे किसी अख़बार की ज़रूरत नहीं होती।।*
एक और मुलाहिजा फरमाइए👉🏾
🙏🏾 *तुम किसी मज़लूम को सता नहीं सकते।*
*किसी कमज़ोर को दबा नहीं सकते।।*
*मैं कट जाऊं ये और बात है, मगर*
*तुम मुझे झुका नहीं सकते।।*
👉🏾*नगरपालिका में लाइब्रेरी बनाना मेरी कोशिश ही नहीं, एक जिहाद है।।।*
✍🏾मनोज चतुर्वेदी *शास्त्री*
9058118317