जो लोग हमें गोड़सेवादी कहते हैं और अपने आपको गांधीवादी, मैं उन समस्त स्वयम्भू गांधीवादियों से पूछना चाहता हूं कि-
👉🏽 गाँधीजी अहिंसावादी थे, लेकिन आप तो आतंकियों के लिए छाती पीटते हैं, उन्हें क्रांतिकारी बताते हैं, खुलेआम सड़कों पर पत्थरबाजी और आगज़नी करते हैं, अफ़ज़ल गुरु और कसाब आपके आदर्श हैं, ऐसा क्यों?
👉🏽 गांधीजी राष्ट्रपिता थे, और आप सीधे-सीधे राष्ट्रविरोध करते हैं, आप अपने राष्ट्र का ही सम्मान नहीं करते, तो राष्ट्रपिता का क्या सम्मान करेंगे?
👉🏽 आप कहते हैं कि हमें गाँधीजी ने इस देश में रोका था, मतलब अगर गाँधीजी आपको न रोकते तो आप सीधे पाकिस्तान चले जाते, मतलब आपको इस देश से कोई मौहब्बत नहीं थी, केवल गाँधीजी के कहने मात्र से आप इस देश में रुक गए, तब आप देशभक्त कैसे हुए?
👉🏽 गाँधीजी ने हमेशा सत्य का साथ दिया और आप तो झूठ और फरेब की चलती-फिरती दुकान हैं, तब आप गांधीवादी कैसे हुए?
👉🏽 गांधी जी हमेशा रघुपति राघव राजा राम…..अर्थात रामधुन गाते थे, और उनके अंतिम शब्द भी “हे राम” थे, लेकिन आपने तो श्रीराम के अस्तित्व को ही नकार दिया, आपने तो श्रीराम मंदिर को बनने से रोकने के लिए एडी-चोटी का ज़ोर लगा दिया। तब आप गांधीवादी कैसे हुए?
👉🏽 गांधीजी शुद्ध शाकाहारी वैष्णव भोजन लेते थे, आप मांस के बिना रोटी नहीं तोड़ते। आप कैसे गांधीवादी हैं?
👉🏽 गाँधीजी गाय को माता मानते थे और आप गाय को काटना अपना धर्म बताते हैं, तब आप गांधीवादी कैसे हुए?
👉🏽 गाँधीजी एक आदर्शवादी इंसान थे, आप आदर्शहीन है, गाँधीजी ने कभी कोई अहिंसक आंदोलन नहीं किया और आप हिंसा के बिना कोई आंदोलन कर ही नहीं सकते। आप कैसे गांधीवादी हैं?
👉🏽 गाँधीजी तो कांग्रेस को एक राजनीतिक दल के रूप में कभी देखना ही नहीं चाहते थे, जबकि आपने कांग्रेस को राजनीति का एक दलदल बना दिया है।
आप गांधीवादी नहीं बल्कि जिन्नावादी और जिहादी मानसिकता के “बौद्धिक आतंकी” हैं, आप वैचारिक आतंक की उपज हैं, आपका एक ही मकसद है-गजवा-ए-हिन्द। आपके लिए इस्लामिक राष्ट्र ही आपका राष्ट्र है।
दरअसल गांधीवाद तो वह भेड़ की खाल है जिसे ओढ़कर आप जैसे भेड़िये इस देश में बेरोकटोक घूम रहे हैं, सेक्युलरिज्म की आड़ में इस देश को सांप्रदायिक हिंसा की आग में निरन्तर झोंक रहे हैं।
वीर सावरकर, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय, सरदार वल्लभभाई पटेल, गुरु गोलवलकर, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और तमाम आदर्शवादी और राष्ट्रभक्तों से आपको नफरत क्यों है?
*-मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*