मीडिया सूत्रों के हवाले से मिली ख़बर के अनुसार 8 अगस्त 2021 को बहुजन समाज पार्टी के तत्वाधान में प्रबुद्ध वर्ग के सम्मान, सुरक्षा व तरक्की को लेकर “विचार संगोष्ठी” कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सतीश चंद्र मिश्रा राष्ट्रीय महासचिव राज्यसभा सांसद बसपा होंगे।
प्रश्न यह बनता है कि प्रबुद्ध वर्ग के सम्मान, सुरक्षा और तरक़्क़ी की चिंता सतीश चंद्र मिश्र जैसे “महा-बुद्धिजीवी” को कबसे होने लगी। जब सार्वजनिक मंच पर उन लोगों के पैरों को छू रहे थे जो तिलक, तराजू और तलवार, इनके मारो जूते चार का नारा लगा रहे थे, तब सतीश चंद्र मिश्र को प्रबुद्ध वर्ग के सम्मान की चिंता क्यों नहीं हुई?
आज बिजनौर के बसपा पार्टी के कई ब्राह्मण नेता “जय परशुराम” के नारे लगाते घूम रहे हैं, लेकिन जब ब्राह्मण समाज पर एससी/एसटी एक्ट थोक में लगाये जा रहे थे, तब यह बसपाई प्रबुद्ध वर्ग किस खोह में जा छुपा था?
19 मार्च 2018 को एक ब्राह्मण बन्धु अजय कौशिक, जो कि एक शिक्षक होने के साथ-साथ पत्रकार भी हैं, पर एससी-एसटी एक्ट के अंतर्गत कार्यवाही हो रही थी, तब किसी बसपाई ब्राह्मण को प्रबुद्ध वर्ग के सम्मान, सुरक्षा और तरक़्क़ी की याद क्यों नहीं आई थी। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अजय कौशिक पर इससे पहले भी तीन बार एससी-एसटी एक्ट के अंतर्गत कार्यवाही हुई थी, लेकिन मुकदमे झूठे पाए गए और ख़ारिज कर दिए गए। अजय कौशिक पर अभी भी एससी-एसटी एक्ट के अंतर्गत मुकदमा चल रहा है।
बिजनौर जिले में बसपा का सबसे बड़ा ब्राह्मण चेहरा सुबोध पराशर को माना जाता है। लेकिन जिले के कितने ब्राह्मण सुबोध पराशर को अपना नेता या हितैषी मानते हैं? यह एक बेहद गम्भीर विषय है। यह भी जानने योग्य है कि ब्राह्मण समाज के लिए सुबोध पराशर सहित बसपा में ऐसे कितने ब्राह्मण नेता हैं जिन्होंने वास्तव में जिले के ब्राह्मण समाज के हित में कोई विशेष झंडा गाड़ा हो। सच पूछिये तो ब्राह्मणों के नाम पर सत्ता की मलाई चाटने वाले लोग ही ब्राह्मण समाज का अहित करने में लगे रहते हैं। यह कड़वा सत्य है कि जिला बिजनौर में जब-जब ब्राह्मण समाज पर कोई विपदा आती है तब गिनती के ब्राह्मण ही आगे आते हैं। लेकिन उसमें भी बसपा नेताओं की उपस्थिति न के बराबर ही होती है।
सतीश चंद्र मिश्र बताएं कि आजतक बिजनौर जिले के ब्राह्मणों को उन्होंने क्या सौगात दी है? वह यह भी बताएं कि स्वयं बसपा सुप्रीमो बहन कुमारी मायावती जिन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ही बिजनौर से की थी, ने जिला बिजनौर के प्रबुद्ध वर्ग के सम्मान, उनकी सुरक्षा और विकास के लिये क्या योगदान दिया है? चार बार प्रदेश की मुख्यमंत्री बनने के बावजूद उन्होंने पूरे जिला बिजनौर में एक भी ब्राह्मण धर्मशाला बनवाई हो, कोई हस्पताल खुलवाया हो, ब्राह्मणों के लिये किसी वैदिक पाठशाला का शुभारंभ किया हो, गरीब ब्राह्मणों को पट्टे पर ज़मीन दिलवाई हो या फिर एससी-एसटी एक्ट से पीड़ित किसी ब्राह्मण परिवार को कोई न्याययिक अथवा आर्थिक सहायता की हो?
सच पूछिए तो सतीश चंद्र मिश्र का पूरा राजनीतिक जीवन ही भाई-भतीजावाद के विकास में निकल गया।
आज से पहले सतीश चंद्र मिश्र और सुबोध पराशर ने बिजनौर में कितने ब्राह्मण सम्म्मेलन कराए अथवा करे हैं। बिजनौर के प्रबुद्ध वर्ग को यह प्रश्न सतीश चंद्र मिश्र और सुबोध पराशर जैसे “स्वयंभू ब्राह्मण नेताओं” से पूछना तो चाहिए लेकिन दिक़्क़त यह है कि बिल्ली के गले में घण्टी बांधेगा कौन???
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
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