कल शाम चाँदपुर क्षेत्र से पूर्व बसपा विधायक रहे मौहम्मद इक़बाल उर्फ़ इक़बाल ठेकेदार से उनके निवास पर हुई मुलाकात के दौरान हुई बातचीत में मौहम्मद इक़बाल संसद में हुई धार्मिक नारेबाज़ी से काफ़ी नाराज़ दिखाई दिए। मौहम्मद इक़बाल ने कहा कि “संसद संविधान का मंदिर है, और वहां मौजूद सभी सांसद संविधान की शपथ लेने के लिए ही आते हैं, इसलिए संसद को सांप्रदायिक अखाड़ा बनाना किसी भी दृष्टिकोण से उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि *हमें बाबा साहेब भीमराव आंबेडकर का शुक्रगुजार होना चाहिए कि उन्होंने हमें संविधान के द्वारा एकसूत्र में बांधा।* मौहम्मद इक़बाल ने कहा कि *श्रीराम के लिए मंदिर हैं और अल्लाह के लिए मस्जिद है, किन्तु संविधान के लिए संसद ही मंदिर और मस्जिद है। उन्होंने आगे कहा कि यह देश बाबा साहेब के संविधान से चलता है और जनता के द्वारा चुने हुए प्रतिनिधियों को संविधान का सम्मान करना चाहिए।* मौहम्मद इक़बाल का यह भी कहना था कि इस प्रकार के नारे लगाकर आम जनता की भावनाओं से भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
“एक राष्ट्र-एक चुनाव” के मुद्दे पर सवाल पूछे जाने पर मौहम्मद इक़बाल ने कहा कि अभी हाल ही में चुनाव बीते हैं और मोदी सरकार द्वारा इस मुद्दे को उठाना थोड़ा जल्दबाज़ी ही कहा जायेगा। उन्होंने आगे कहा कि *”इस समय देश के सामने बेरोज़गारी, आतंकवाद, भ्रष्टाचार, गरीबी और भुखमरी जैसी कई समस्याएं मुहं बाए खड़ी हैं। ऐसे में इस प्रकार के मुद्दों को प्राथमिकता देना वास्तव में असल मुद्दों से ध्यान भटकाने की कवायद ही मानी जायेगी।”* मौहम्मद इक़बाल ने कहा कि *”इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि “एक राष्ट्र-एक चुनाव” का मुद्दा गम्भीरता से लिया जाना चाहिए किन्तु अन्य महत्वपूर्ण और गम्भीर मुद्दों को किनारे रखकर केवल इस मुद्दे को तूल देना किसी भी लिहाज़ से बेहतर नहीं माना जा सकता है।”*
मौहम्मद इक़बाल ने बिजली दरों में अप्रत्याशित वृद्धि किये जाने के प्रस्ताव को भी ग़रीब जनता के साथ छल बताया, उन्होंने कहा कि *”आम जनता पहले से ही बेरोजगारी, ग़रीबी और महंगाई की मार से त्रस्त है ,ऐसे में सरकार द्वारा बिजली की दरों में अनाप-शनाप बढ़ोतरी किया जाना एक प्रकार से ग़रीबी में आटा गीला करना ही माना जायेगा।”*
मौहम्मद इक़बाल ने केंद्र और राज्य सरकारों से जनहितकारी योजनाओं औऱ निर्णयों को जल्द से जल्द लागू करने की अपील भी की।
*-मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*