प्रमुख मोहन भागवत के एक बयान को लेकर सोशल मीडिया पर बहुत गर्मागर्म बहस चल रही है। इस बहस में संघ विरोधियों के साथ-साथ संघ और हिंदुत्व प्रेमी भी मोहन भागवत पर उंगलियां उठा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूरे विश्व का सबसे बड़ा और अनुशासित संगठन है जिसपर भारतीय और विदेशी राजनीतिज्ञों और मीडिया की नज़र हमेशा बनी रहती है। इसलिए संघ प्रमुख को कोई भी बयान बेहद गम्भीरता और एक रणनीति के अंतर्गत देना होता है।
कांग्रेस, वामपंथ सहित पूरे भारत की “छद्दम सेक्युलर जमात” हमेशा से ही आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और तमाम हिंदूवादी संगठनों के विरुद्ध राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर षड्यंत्र रचता रहा है। भारत ही नहीं अपितु पूरे विश्व के प्रत्येक भारत विरोधी विचारधारा का व्यक्ति/संगठन आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद जैसे राष्ट्रवादी संगठनों को “आतंकी संगठन” घोषित कराने के लिए एड़ी-चोटी का ज़ोर लगाता रहा है।
कांग्रेस और वामपंथ के आरएसएस और भाजपा विरोधी षड्यंत्र का अंदाज़ा केवल इसी बात से लगाया जा सकता है कि भीमाकोरे गांव हिंसा के आरोपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या के षड्यंत्रकारी अर्बन नक्सली फादर स्टेन स्वामी जैसे देशद्रोही की नेचुरल डेथ को भी “छद्म सेक्युलर जमात” ने संदेहास्पद मौत बता दिया और लगातार उसकी निष्पक्ष जांच का ढोल पीट रहे हैं।
दूसरी तरफ 2022 में उत्तरप्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते तमाम कट्टरपंथियों सहित पूरी “छद्दम सेक्युलर जमात” एक वर्ग विशेष के मन में आरएसएस और भाजपा के विरुद्ध नफरत और घृणा का ज़हर भर रही है। पिछले कुछ समय से प्रदेश में साम्प्रदायिक दंगे भड़काने की भी कई कोशिशें हो चुकी हैं, जिन्हें योगी सरकार की सूझबूझ के चलते नाकाम कर दिया गया। दरअसल हिन्दू विरोधी मानसिकता के लोगों का यह षड्यंत्र है कि प्रदेश में सुनियोजित तरीके से दंगा भड़काकर उसका पूरा ठीकरा आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल जैसे हिंदुवादी संगठनों पर फोड़ दिया जाए। ठीक उसी प्रकार जैसे कि दिल्ली दंगों का ठीकरा कपिल मिश्रा सहित कुछ भाजपा नेताओं के सर पर मढ़ दिया गया था।
ऐसे में संघ प्रमुख मोहन भागवत का कोई भी बयान अंतराष्ट्रीय स्तर पर देखा-सुना और विश्लेषित किया जाना स्वाभाविक है। और विपक्ष किसी ऐसे ही बयान की तलाश में है जिसे मुद्दा बनाकर पूरे विश्व में आरएसएस और भाजपा की छवि को धूमिल किया जा सके और येन-केन प्रकारेण “भगवा आतंक” की परिकल्पना को मूर्तरूप दिया जा सके।
यदि आप इस पूरे षड्यंत्र को बिना पूर्वाग्रह से ग्रसित हुए गम्भीरता और निष्पक्षता के साथ समझने का प्रयास करेंगे तो शायद आप संघ प्रमुख की रणनीति की सराहना किये बिना नहीं रह सकेंगे।
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
समाचार सम्पादक- उगता भारत हिंदी समाचार-
(नोएडा से प्रकाशित एक राष्ट्रवादी समाचार-पत्र)
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*विशेष नोट- उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं। उगता भारत समाचार पत्र के सम्पादक मंडल का उनसे सहमत होना न होना आवश्यक नहीं है। हमारा उद्देश्य जानबूझकर किसी की धार्मिक-जातिगत अथवा व्यक्तिगत आस्था एवं विश्वास को ठेस पहुंचाने नहीं है। यदि जाने-अनजाने ऐसा होता है तो उसके लिए हम करबद्ध होकर क्षमा प्रार्थी हैं।
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