11 जुलाई 2018 को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने देश के कुछ प्रमुख मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक में मुसलमानों से जुड़े मुद्दों और देश की वर्तमान राजनीतिक व सामाजिक स्थिति पर चर्चा की थी. राहुल गांधी के साथ इस संवाद बैठक में इतिहासकार इरफान हबीब, सामाजिक कार्यकर्ता इलियास मलिक, कारोबारी जुनैद रहमान, ए एफ फारूकी, अमीर मोहम्मद खान, वकील जेड के फैजान, सोशल मीडिया एक्टिविस्ट फराह नकवी, सामाजिक कार्यकर्ता रक्षंदा जलील सहित करीब 15 लोग शामिल हुए. इनके साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद और पार्टी के अल्पसंख्यक विभाग के अध्यक्ष नदीम जावेद भी मौजूद थे.
इसके अगले दिन इस कार्यक्रम को लेकर उर्दू अखबार इंकलाब में *‘हां, कांग्रेस मुसलमानों की पार्टी है।’* शीर्षक से रिपोर्ट लिखी गई.
17 दिसंबर, 2010… विकीलीक्स ने राहुल गांधी की अमेरिकी राजदूत टिमोथी रोमर से 20 जुलाई, 2009 को हुई बातचीत का एक ब्योरा दिया। राहुल ने अमेरिकी राजदूत से कहा था, *‘भारत विरोधी मुस्लिम आतंकवादियों और वामपंथी आतंकवादियों से बड़ा खतरा देश के हिन्दू हैं।’*
अभी हाल ही में राहुल गांधी सोशल मीडिया वॉलंटियर्स की वर्चुअल मीटिंग को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, *’डरने वाले बीजेपी में जाएंगे, बीजेपी डर दिखा कर अपने साथ करती है. जिन्हें डर लग रहा है वे जा सकते हैं. वैसे लोग जो पार्टी छोड़कर गए हैं वे RSS के लोग थे.’*
अमेरिकी राजदूत के सामने खुद के हिन्दूओं से डरने की बात स्वीकार करने वाले राहुल गांधी यह बताएं कि वह स्वयं कांग्रेस क्यों नहीं छोड़ देते। कायदे में तो ख़ुद राहुल गांधी को सबसे पहले कांग्रेस छोड़नी चाहिए क्योंकि उन्हें सबसे अधिक डर हिंदुओं से लगता है और आरएसएस को तो वह स्वयं एक हिंदुवादी संगठन मानते हैं और भाजपा को हिंदुओं का राजनीतिक दल। श्री राहुल गांधी को तो प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से भी डर लगता है। शायद इसीलिए वह मोदी जी को हराने के लिए पाकिस्तान से मदद की गुहार लगाने गए थे। प्रश्न यह भी है कि आखिर श्री राहुल गांधी ने कांग्रेस को “मुस्लिम पार्टी” किसके डर से बताया था?
कुछ कांग्रेसी नेता अभी तक यह कहते नहीं थक रहे थे कि देश को “कांग्रेस मुक्त” कराने का दावा करने वाली भाजपा ख़ुद “कांग्रेस युक्त” होती जा रही है। परन्तु कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने स्वयं ही यह सिद्ध कर दिया कि जो लोग कांग्रेस से भाजपा में गए हैं वह आरएसएस के लोग थे और अभी भी कांग्रेस में आरएसएस के लोग मौजूद हैं। अर्थात श्री गांधी यह मान रहे हैं कि कांग्रेस “RSS युक्त” है।
दरअसल, मुगलों को अपना आदर्श मानने वाली और हमेशा से विदेशी संस्कृति को पुष्पित-पल्लवित करने वाली कांग्रेस को हर उस व्यक्ति/नेता/संगठन से दिक़्क़त होना स्वभाविक ही है, जो भारतीय संस्कृति, सभ्यता, परम्परा और जीवन मूल्यों को अपना आदर्श मानते हैं और उनकी सुरक्षा और संरक्षा हेतु वचनबद्ध हैं।
डरना और डराना कांग्रेस की पुरानी फ़ितरत है। एक अंग्रेज ए ओ ह्यूम द्वारा संस्थापित कांग्रेस ने हमेशा “फुट डालो और राज करो” की अंग्रेजी नीति का अनुसरण किया। औऱ एक वर्ग विशेष को बहुसंख्यक समुदाय का डर दिखाकर अपना राजनीतिक उल्लू सीधा किया। कांग्रेस हमेशा सच्चाई से डरती रही और इसी डर ने उसे 1975 में आपातकाल लगाने को मजबूर किया था।
दरअसल गांधी परिवार को हमेशा से यह डर लगता रहा है कि कहीं सत्ता की बागडोर उनके हाथों से न फिसल जाए और उसके लिए उन्होंने मुसलमानों को हिंदुओं का और हिंदुओं को सिखों का डर दिखाये रखा।
राहुल गांधी बताएं कि कश्मीर में अलगाववाद का डर किसने पैदा किया? पंजाब में खालिस्तान की मांग और भिंडरावाले का जन्मदाता कौन था? नक्सलियों को कौन पाल रहा है? पश्चिम बंगाल, केरल, आसाम और दिल्ली में हुए दंगों का जिम्मेदार कौन है? 1966 में किसके डर से निहत्थे और निर्दोष साधु-संतों पर गोलियां चलवाईं गईं, 1984 में सिखों के नरसंहार और उसके बाद कश्मीरी पंडितों की दर्दनाक चीखों का जिम्मेदार कौन है?
श्री राहुल गांधी पहले अपने डर को दूर भगाएं तभी वह दूसरों पर उंगलियां उठाने के हकदार हो सकते हैं।
🖋️ *मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”*
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