परम आदरणीय श्री मोदी जी
सादर प्रणाम,
सादर प्रणाम,
महोदय,
मैं इस देश का एक आम “पकौड़ा नागरिक”हूँ अर्थात पकौड़ा व्यापारी हूँ और ये बात मैं पुरे गर्व से कह सकता हूँ. ४५ वर्ष की आयु के पश्चात् भी मैं बेरोजगार था, घर चलाना मेरे बस से बाहर हो गया था, किन्तु एक राष्ट्रीय चैनल को दिए गए आपके “पकौड़ा प्रवचन” ने मेरे मन में बसे बेरोजगारी की चाशनी में डूब चुके निराशा के अंधकार को पलभर में ही समाप्त कर दिया. मेरे ह्रदय में आपके प्रति अटूट श्रद्धा एवं विश्वास जाग गया है. आप जैसे ज्ञानी पुरुष के अतिरिक्त अन्य कोई मुझे प्रभावित नहीं कर सकता क्योंकि आपको आधुनिक युग का विवेकानंद कहा जाता है, आप हिन्दूओं के महाराणा प्रताप हैं, आपके साम्राज्य में ही हिन्दूधर्म, राष्ट्रवाद और देशभक्ति दिन-दूनी रात-चौगुनी तरक्की कर रही है, ऐसा मेरा विश्वास है. आप हैं तो हिंदुत्व है, राष्ट्रवाद है, राष्ट्रध्वज है. आपके कारण ही सम्पूर्ण विश्व हमें जान पाया है. आपके “पकौड़ा मिसाइल” के भय से ही पाकिस्तान और चीन शांत बैठे हैं, आतंकवाद जैसा शब्द ही डिक्शनरी से हटा दिया गया है, ऐसा आपके सभी भक्तों का मानना है. आपसे प्रेरणा पाकर ही सभी नौजवानों ने “चाय-पकौड़ा रोजगार” को अपना लिया है और अब शीघ्र अति शीघ्र “डिजिटल पकौड़ा” भी तैयार किये जाने का प्रयास किया जा रहा है. आपने इस देश को “पकौड़ा” शब्द की महत्ता से परिचित कराया, आपके श्रीमुखारविंद से निकले “पकौड़ा” शब्द ने सम्पूर्ण जगत को “पकौड़ा मिसाइल” बनाने पर बाध्य कर दिया. आपके इस “पकौड़ा ब्रह्मास्त्र” से विपक्षियों के सारे दुर्ग ध्वस्त हो गए यहाँ तक कि चीन जैसे देश भी पीछे हट गए. देश में “पकौड़ा विकास” निरंतर प्रगति पर है. स्वयं आदरणीय जेटली जी ने भी “पकौड़ा बजट”बनाकर इस देश में एक नई मिसाल कायम की है. आपसे प्रभावित होकर ही अब अमेरिका और रूस जैसे देश भी हमारे भारत से “पकौड़ा” आयात करने की सोच रहे हैं. आपके भक्त भी अति उत्साहित हैं और समस्त जनों को “पकौड़ा” प्रसाद के रूप में वितरित किया जा रहा है.
आप धन्य हैं प्रभु, आपकी महिमा अपरम्पार है. आपने धारा ३७०, श्रीराम मंदिर, बेरोजगारी, कालाधन, आतंकवाद जैसे छोटे-छोटे अस्त्रों को “पकौड़ा ब्रह्मास्त्र” से क्षणभर में ही काट डाला. मैं आपको और आपकी महान सोच को प्रणाम करता हूँ.
आपके ज्ञान के समक्ष तो हम ब्राह्मण भी नतमस्तक हो गए हैं. हम जान गए प्रभु कि आपने विदेशी निवेश को इसीलिए हरी झंडी दी है ताकि विदेशी वालमार्ट शौपिंग मॉल के बाहर हमारे देश के बेरोजगार “देशी पकौड़ा” बेच सकें और अपने को कमतर न समझें.
जय हो प्रभु, आपकी महिमा अपरम्पार है, आपको युगों-युगों तक “पकौड़ा जनक” के रूप में याद रखा जायेगा. अब हमें और अधिक विकास की आवश्यकता नहीं है.
आपका परम भक्त
मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”
मैं इस देश का एक आम “पकौड़ा नागरिक”हूँ अर्थात पकौड़ा व्यापारी हूँ और ये बात मैं पुरे गर्व से कह सकता हूँ. ४५ वर्ष की आयु के पश्चात् भी मैं बेरोजगार था, घर चलाना मेरे बस से बाहर हो गया था, किन्तु एक राष्ट्रीय चैनल को दिए गए आपके “पकौड़ा प्रवचन” ने मेरे मन में बसे बेरोजगारी की चाशनी में डूब चुके निराशा के अंधकार को पलभर में ही समाप्त कर दिया. मेरे ह्रदय में आपके प्रति अटूट श्रद्धा एवं विश्वास जाग गया है. आप जैसे ज्ञानी पुरुष के अतिरिक्त अन्य कोई मुझे प्रभावित नहीं कर सकता क्योंकि आपको आधुनिक युग का विवेकानंद कहा जाता है, आप हिन्दूओं के महाराणा प्रताप हैं, आपके साम्राज्य में ही हिन्दूधर्म, राष्ट्रवाद और देशभक्ति दिन-दूनी रात-चौगुनी तरक्की कर रही है, ऐसा मेरा विश्वास है. आप हैं तो हिंदुत्व है, राष्ट्रवाद है, राष्ट्रध्वज है. आपके कारण ही सम्पूर्ण विश्व हमें जान पाया है. आपके “पकौड़ा मिसाइल” के भय से ही पाकिस्तान और चीन शांत बैठे हैं, आतंकवाद जैसा शब्द ही डिक्शनरी से हटा दिया गया है, ऐसा आपके सभी भक्तों का मानना है. आपसे प्रेरणा पाकर ही सभी नौजवानों ने “चाय-पकौड़ा रोजगार” को अपना लिया है और अब शीघ्र अति शीघ्र “डिजिटल पकौड़ा” भी तैयार किये जाने का प्रयास किया जा रहा है. आपने इस देश को “पकौड़ा” शब्द की महत्ता से परिचित कराया, आपके श्रीमुखारविंद से निकले “पकौड़ा” शब्द ने सम्पूर्ण जगत को “पकौड़ा मिसाइल” बनाने पर बाध्य कर दिया. आपके इस “पकौड़ा ब्रह्मास्त्र” से विपक्षियों के सारे दुर्ग ध्वस्त हो गए यहाँ तक कि चीन जैसे देश भी पीछे हट गए. देश में “पकौड़ा विकास” निरंतर प्रगति पर है. स्वयं आदरणीय जेटली जी ने भी “पकौड़ा बजट”बनाकर इस देश में एक नई मिसाल कायम की है. आपसे प्रभावित होकर ही अब अमेरिका और रूस जैसे देश भी हमारे भारत से “पकौड़ा” आयात करने की सोच रहे हैं. आपके भक्त भी अति उत्साहित हैं और समस्त जनों को “पकौड़ा” प्रसाद के रूप में वितरित किया जा रहा है.
आप धन्य हैं प्रभु, आपकी महिमा अपरम्पार है. आपने धारा ३७०, श्रीराम मंदिर, बेरोजगारी, कालाधन, आतंकवाद जैसे छोटे-छोटे अस्त्रों को “पकौड़ा ब्रह्मास्त्र” से क्षणभर में ही काट डाला. मैं आपको और आपकी महान सोच को प्रणाम करता हूँ.
आपके ज्ञान के समक्ष तो हम ब्राह्मण भी नतमस्तक हो गए हैं. हम जान गए प्रभु कि आपने विदेशी निवेश को इसीलिए हरी झंडी दी है ताकि विदेशी वालमार्ट शौपिंग मॉल के बाहर हमारे देश के बेरोजगार “देशी पकौड़ा” बेच सकें और अपने को कमतर न समझें.
जय हो प्रभु, आपकी महिमा अपरम्पार है, आपको युगों-युगों तक “पकौड़ा जनक” के रूप में याद रखा जायेगा. अब हमें और अधिक विकास की आवश्यकता नहीं है.
आपका परम भक्त
मनोज चतुर्वेदी “शास्त्री”